तियानजिन: चीन में हो रहे शंघाई कोऑपरेशन ऑर्गेनाइजेशन (SCO) सम्मेलन में समोवरा राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने दुनिया में चल रही ‘दादागिरी’ वाली नीतियों पर खुलकर हमला बोला है। उन्होंने किसी भी देश का नाम नहीं लिया, लेकिन उनका इशारा साफ तौर पर अमेरिका की तरफ था। जिनपिंग ने कहा कि दुनिया को अब ‘शीत युद्ध की सोच’, ‘आपस में गुट बनाने’ और ‘दादागिरी’ वाले व्यवहार का मिलकर विरोध करना चाहिए।
उन्होंने आगे कहा कि भविष्य में दुनिया में जो बड़े बदलाव और उथल-पुथल हो रही है, उसे देखते हुए एससीओ के सभी देशों को ‘शंघाई भावना’ का पालन करना होगा और अपनी जिम्मेदारियों को अच्छे से निभाना होगा। इस सम्मेलन में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन भी मौजूद हैं।
‘अमेरिका से तनाव के बीच एकजुट हुए भारत, रूस और चीन‘
जिनपिंग का यह बयान ऐसे समय में आया है, जब अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के टैरिफ की नीतियों के कारण दुनियाभर में उथल-पुथल मचा हुआ है। ट्रंप ने चीन के सामानों पर 100 प्रतिशत से ज्यादा का टैरिफ लगाया है, वहीं हाल ही में भारत पर भी रूसी तेल खरीदने के कारण 50 प्रतिशत का टैरिफ लगाया है।
ट्रंप के इस कदम पर रूस और चीन दोनों ने आपत्ति जताई है। उन्होंने भारत पर लगाए गए अतिरिक्त टैरिफ को ‘दादागीरी’ बताया है। दूसरी तरफ इन तनावों के बीच, एससीओ समिट में भारत और चीन के संबंधों में आ रही नरमी पर भी सबका ध्यान रहा। रविवार को जिनपिंग ने कहा था कि दुनिया के सामने यह जरूरी है कि ‘हाथी और ड्रैगन’ (भारत और चीन) एक साथ आएं।
पुतिन के साथ पीएम मोदी की आज द्विपक्षीय वार्ता
विदेश सचिव विक्रम मिस्त्री ने जानकारी दी कि पीएम मोदी आज एससीओए सम्मेलन को संबोधित करने के बाद रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से द्विपक्षीय बैठक करेंगे। सोमवार को दोनों नेताओं की मुलाकात हुई। पुतिन के साथ गले लगते हुए पीएम ने एक्स पर तस्वीरें भी शेयर की हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि राष्ट्रपति पुतिन से मिलना हमेशा सुखद होता है! एक तस्वीर में पीएम मोदी, जिनपिंग और पुतिन एक साथ दिखे। इससे पहले रविवार को पीएम मोदी ने चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग से भी बातचीत की थी।
यह एससीओ शिखर सम्मेलन भारत के लिए बहुत महत्वपूर्ण माना जा रहा है। एक तरफ अमेरिका और चीन के बीच व्यापार युद्ध चल रहा है, वहीं दूसरी तरफ रूस का यूक्रेन के साथ संघर्ष जारी है। ऐसे में यह समिट भारत को एक मौका देता है कि वह बीजिंग और मॉस्को दोनों के साथ अपने संबंधों को फिर से मजबूत करे और अपनी रणनीतिक आजादी बनाए रखे।
बता दें कि एससीओ में चीन, भारत और रूस के अलावा पाकिस्तान, ईरान, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, ताजिकिस्तान, उज्बेकिस्तान और बेलारूस जैसे देश भी शामिल हैं। इससे पहले रविवार को पीएम मोदी ने चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग से भी बातचीत की थी।