भारत को शंघाई कोऑपरेशन ऑर्गेनाइज़ेशन (एससीओ) सम्मेलन में बड़ी कूटनीतिक जीत मिली। एससीओ के साझा बयान में पहलगाम हमले की निंदा की गई। एससीओ के साझा बयान में कहा गया है कि ‘सदस्य देशों ने पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले की कड़ी निंदा की है।’ गौरतलब है कि एससीओ के रक्षामंत्रियों की बैठक में संयुक्त बयान पर राजनाथ सिंह ने हस्ताक्षर करने से इनकार कर दिया था। उन्होंने कहा था क संयुक्त बयान आतंकवाद के खिलाफ भारत के मजबूत स्टैंड को नहीं दिखाता है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कड़े रुख के बाद एससीओ ने अपने बयान में साफ-साफ कहा कि आतंकवाद पर दोहरे मापदंड स्वीकार नहीं किए जाएँगे। पाकिस्तानी पीएम शहबाज शरीफ की मौजूदगी में एससीओ ने अपने बयान में पहलगाम में हुए आतंकी हमले की कड़ी निंदा की जिसमें 26 बेकसूर लोग मारे गए थे।
संगठन ने पीड़ितों के परिवारों के प्रति गहरी संवेदना व्यक्त की और कहा कि इन हमलों के दोषियों, आयोजकों और उन्हें बढ़ावा देने वालों को हर हाल में न्याय के कटघरे में लाना चाहिए। इस बात को इसलिए भी अहम माना जा रहा है क्योंकि पाकिस्तान, जो लंबे समय से भारत में आतंकवाद को बढ़ावा देता रहा है, भी इस संगठन का सदस्य है।
सदस्य देशों ने 11 मार्च को जाफर एक्सप्रेस और 21 मई 2025 को खुजदार में हुए आतंकवादी हमलों की भी कड़ी निंदा की। संगठन ने कहा कि इन हमलों के अपराधियों, आयोजकों और समर्थकों को न्याय के कटघरे में लाना चाहिए।
संगठन ने आतंकवाद, अलगाववाद और अतिवाद के खिलाफ अपनी मजबूत प्रतिबद्धता दोहराई। उन्होंने कहा कि ऐसे आतंकवादी गुटों का फायदा उठाना या उन्हें अपने मकसद के लिए इस्तेमाल करना बिल्कुल गलत है। साथ ही, उन्होंने यह भी माना कि आतंकवाद और अतिवाद से निपटने में हर देश और उसकी संस्थाओं की अहम भूमिका होती है।
एससीओ बैठक में पीएम मोदी ने पहलगाम हमले का जिक्र कर पाकिस्तान को आतंकवाद पर घेरा
परिषद की बैठक में पीएम मोदी ने पहलगाम हमले का जिक्र कर पाकिस्तानी पीएम के सामने ही खूब खरी खोटी सुनाई। पीएम मोदी ने कहा कि भारत पिछले चार दशकों से आतंकवाद का शिकार रहा है और इस कारण कई माँओं ने अपने बच्चों को खोया है। उन्होंने कहा हाल ही में हमने पहलगाम में आतंकवाद का एक बहुत ही घिनौना रूप देखा। मैं उन दोस्तों का धन्यवाद करता हूँ जो इस संकट में हमारे साथ खड़े रहे। यह सिर्फ भारत की आत्मा पर हमला नहीं था, बल्कि मानवता में विश्वास रखने वाले हर देश के लिए एक खुली चुनौती थी।
मोदी ने सवाल उठाया कि क्या कुछ देशों द्वारा आतंकवाद को खुला समर्थन देना स्वीकार किया जा सकता है? उन्होंने कहा कि किसी भी देश की तरक्की के लिए सुरक्षा, शांति और स्थिरता बहुत बहुत जरूरी है। प्रधानमंत्री ने जोर देकर कहा कि हमें एक ही आवाज में और साफ-साफ कहना होगा कि आतंकवाद पर दोहरे मापदंड स्वीकार नहीं होंगे। हमें इसके हर रूप और रंग का विरोध करना होगा। यह मानवता के प्रति हमारी जिम्मेदारी है। खास बात यह है कि प्रधानमंत्री द्वारा इस्तेमाल किए गए यही शब्द तियानजिन घोषणापत्र के संयुक्त बयान का हिस्सा भी बने।
गौरतलब है कि जून में एससीओ रक्षा मंत्रियो की बैठक में राजनाथ सिंह ने संगठन के साझा बयान पर हस्ताक्षर करने से इनकार कर दिया था। उन्होंने बयान में पहलगाम हमले का कोई जिक्र न होने पर आपत्ति जताई थी। राजनाथ सिंह का कहना था कि यह संयुक्त बयान आतंकवाद के खिलाफ भारत के मजबूत स्टैंड को नहीं दिखाता है।