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सिर्फ कोटा में ही ऐसा क्यों हो रहा है? छात्र आत्महत्याओं पर SC ने जताई नाराजगी, राज्य सरकार से पूछे कई सवाल

नई दिल्लीः सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को राजस्थान सरकार से कोटा के कोचिंग सेंटरों में हो रही छात्र आत्महत्याओं को लेकर कड़ी नाराजगी जताई और इसे गंभीर स्थिति करार दिया। न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति आर महादेवन की पीठ ने कहा कि वर्ष 2025 में अब तक कोटा में 14 छात्रों ने आत्महत्या की है, जो अत्यंत चिंताजनक है।

समाचार एजेंसी पीटीआई के अनुसार, न्यायमूर्ति पारदीवाला ने नाराजगी जताते हुए राजस्थान सरकार से पूछा कि “राज्य के तौर पर आप क्या कर रहे हैं? ये बच्चे आत्महत्या क्यों कर रहे हैं और सिर्फ कोटा में ही ऐसा क्यों हो रहा है? क्या आपने कभी इस पर गंभीरता से विचार किया?” 

इस पर राज्य सरकार के वकील ने अदालत को बताया कि इन आत्महत्या मामलों की जांच के लिए एक विशेष जांच दल (SIT) का गठन किया गया है। 

दो मामलों की एक साथ सुनवाई 

पीठ दो मामलों की एक साथ सुनवाई कर रही थी। पहला मामला IIT खड़गपुर के एक 22 वर्षीय छात्र की आत्महत्या से जुड़ा था, जिसकी लाश 4 मई को उसके हॉस्टल के कमरे में फंदे से लटकी मिली थी।

दूसरा मामला कोटा में अपने माता-पिता के साथ रह रही एक नीट की तैयारी कर रही छात्रा की संदिग्ध परिस्थितियों में हुई मौत से संबंधित था। IIT खड़गपुर वाले मामले में अदालत को बताया गया कि एफआईआर दर्ज कर ली गई है, लेकिन चार दिन की देरी को लेकर अदालत ने गंभीर सवाल उठाए। पीठ ने कहा, ऐसी गंभीर घटनाओं को हल्के में न लें। ये अत्यंत गंभीर विषय हैं।

अदालत ने 24 मार्च को दिए अपने एक पुराने फैसले का उल्लेख किया, जिसमें उसने शैक्षणिक संस्थानों में लगातार हो रही छात्र आत्महत्याओं पर चिंता जताई थी और छात्र मानसिक स्वास्थ्य को लेकर एक राष्ट्रीय टास्क फोर्स गठित करने का आदेश दिया था।

पुलिस को लगाई फटकार

पीठ ने पुलिस अधिकारी से भी सख्त सवाल पूछे। पीठ ने पूछा कि “एफआईआर दर्ज करने में चार दिन क्यों लगे?” इस पर अधिकारी ने जवाब दिया कि जांच अभी चल रही है। अदालत ने निर्देश दिया कि जांच कानून के अनुसार और शीघ्रता से सही दिशा में होनी चाहिए।

हालांकि पुलिस ने दावा किया कि आईआईटी प्रशासन ने ही पुलिस को सूचना दी थी। लेकिन पीठ ने इस पर नाराजगी जताई और कहा कि हम इस मामले में कड़ा रुख अपना सकते थे। यहां तक कि संबंधित पुलिस अधिकारी के खिलाफ अवमानना की कार्यवाही भी कर सकते थे।

कोर्ट ने FIR दर्ज ने होने पर जताई नाराजगी

कोटा के मामले में पीठ ने साफ तौर पर एफआईआर दर्ज न किए जाने पर नाराजगी जताई। जब कोर्ट ने पूछा कि इस साल अब तक कोटा में कितनी छात्र आत्महत्याएं हुई हैं, तो राज्य सरकार के वकील ने जवाब दिया –  14 आत्महत्याएं।

कोर्ट ने पूछा कि ये छात्र मर क्यों रहे हैं? और यह भी याद दिलाया कि टास्क फोर्स की रिपोर्ट में समय लगेगा, लेकिन राज्य सरकार को तत्काल कार्रवाई करनी चाहिए थी। पीठ ने राज्य सरकार से पूछा कि “आप हमारे आदेश की अवमानना कर रहे हैं। अब तक एफआईआर क्यों दर्ज नहीं की गई?”

नीट छात्रा के संबंध में कोर्ट को बताया गया कि वह नवंबर 2024 से संस्थान के हॉस्टल में नहीं रह रही थी और अपने माता-पिता के साथ रहती थी। इस पर अदालत ने कहा कि पुलिस का कर्तव्य था कि वह स्वत: एफआईआर दर्ज कर जांच शुरू करती, लेकिन संबंधित थाने के प्रभारी अधिकारी ने अपने कर्तव्य का पालन नहीं किया।

सुप्रीम कोर्ट ने कोटा के प्रभारी पुलिस अधिकारी को 14 जुलाई को व्यक्तिगत रूप से पेश होने का आदेश दिया है और आत्महत्या के मामलों में लापरवाही पर स्पष्ट स्पष्टीकरण मांगा है।

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