Thursday, October 9, 2025
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सबरीमाला सोना घोटाला मामले में TDB हाई कोर्ट का करेगा रुख, विपक्ष ने की CBI जाँच की मांग

टीडीबी अध्यक्ष प्रशांत ने बताया कि पूजा की छुट्टियों के बाद हाई कोर्ट के फिर से शुरू होते ही बोर्ड की स्थाई वकील को याचिका दायर करने का निर्देश दिया गया है।

तिरुवनंतपुरमः त्रावणकोर देवासोम बोर्ड (टीडीबी) के अध्यक्ष पीएस प्रशांत ने शुक्रवार को कहा कि बोर्ड सबरीमाला मंदिर में द्वारपालक मूर्तियों पर सोने की परत के संबंध में एक विस्तृत जाँच के लिए केरल हाई कोर्ट का रुख करेगा। यह जाँच सितंबर 1998 से 2025 की अवधि को कवर करेगी, जिसमें व्यवसायी विजय माल्या द्वारा दान किए गए सोने का उपयोग भी शामिल है।

बता दें यह कदम तब उठाया गया है जब मंदिर के मूल्यवान सोने की परत वाले तांबे के पत्तरों के कथित गबन को लेकर बड़ा विवाद खड़ा हो गया है।

जांच की शुरुआत सितंबर 1998 से होगी

टीडीबी अध्यक्ष प्रशांत ने बताया कि पूजा की छुट्टियों के बाद हाई कोर्ट के फिर से शुरू होते ही बोर्ड की स्थाई वकील को याचिका दायर करने का निर्देश दिया गया है। प्रशांत ने कहा कि जांच में यह पता लगाया जाएगा कि सबरीमाला में सोने का कितना उपयोग हुआ और इसमें कौन-कौन शामिल रहा। जांच की शुरुआत सितंबर 1998 से होगी, जब कारोबारी विजय माल्या ने स्वर्णमंडन के लिए सोने का दान दिया था। उस समय कार्य पब्लिक वर्क्स डिपार्टमेंट (PWD) के अधीन था और उस समय दस्तावेजीकरण व्यवस्थित नहीं था। व्यवस्थित रिकॉर्ड केवल 10–15 साल पहले से उपलब्ध हैं। उन्होंने कहा, पहले यह कैसे संभाला गया, इसकी जानकारी मुझे नहीं है, लेकिन अब इसकी जांच होगी।”

इस मामले में मुख्य प्रायोजक उन्नीकृष्णन पोट्टी के खिलाफ पहले से ही हाई कोर्ट जांच का आदेश दे चुका है। प्रशांत ने कहा कि उन्होंने पहले बोर्ड पर ही आरोप लगाए थे। अब वे खुद कटघरे में हैं। शुरुआत से ही हमने उन्हें जिम्मेदारी से दूर रखा था।

खुफिया अधिकारियों ने उनके करोड़ों रुपये के जमीन के सौदों की जाँच शुरू कर दी है। सबूतों से पता चलता है कि उन्होंने कथित तौर पर लोन दिए थे और केरल भर में जमीनें खरीदी थीं। संदेह है कि राज्य की राजधानी में एक पूर्व देवस्वोम ठेकेदार ने उनके मध्यस्थ के रूप में काम किया। इस बीच टीडीबी की सतर्कता शाखा, एसपी सुनील कुमार वी के नेतृत्व में, शनिवार को पोट्टी से पूछताछ करने वाली है।

जाँचकर्ताओं का आरोप है कि ‘द्वारपालक’ मूर्तियों की सोने की परत को संभालने में गंभीर अनियमितताएँ हुई हैं और एक वेदी भी रहस्यमय तरीके से गायब हो गया है। अधिकारियों का कहना है कि उन्हें पोट्टी की ओर से अब तक कोई जवाब नहीं मिला है।

चेननई की ‘स्मार्ट क्रिएशंस’ को द्वारपालक की स्वर्णमढ़ित ताम्र-पट्टिकाओं को फिर से चढ़ाने का अनुबंध दिया गया था। प्रशांत ने कहा कि यह एक अधिकृत एजेंसी है और बोर्ड को इस पर पूरा भरोसा है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि 2019 के टीडीबी आदेश में यह कहीं नहीं लिखा था कि पोट्टी को प्लेटों की जिम्मेदारी दी जाएगी। आदेश में यह अवश्य कहा गया था कि काम तिरुवाभरणम कमिश्नर की देखरेख में होना चाहिए और पोट्टी केवल प्रायोजक की भूमिका निभाएंगे।

विपक्ष ने लगाया बड़ा आरोप, CBI जांच की मांग

उधर, कांग्रेस और भाजपा दोनों ने टीडीबी की सतर्कता जाँच पर पूरी तरह से अविश्वास व्यक्त किया है। एआईसीसी महासचिव केसी वेणुगोपाल ने हाई कोर्ट की निगरानी में एक उच्च एजेंसी द्वारा जाँच कराने की मांग की, जबकि भाजपा नेता वी. मुरलीधरन ने सरकार को यह जाँच केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को सौंपने की खुली चुनौती दी। विपक्षी दलों ने आरोप लगाया कि टीडीबी ने सोने की परत चढ़ाने का काम निजी दलालों को सौंपकर मंदिर नियमावली का उल्लंघन किया, जिससे चोरी की गुंजाइश बनी। उन्होंने आरोप लगाया कि इस अवैध कार्य के कारण हाई कोर्ट द्वारा नियुक्त विशेष आयुक्त को भी अंधेरे में रखा गया और मध्यस्थों को मरम्मत के लिए पत्तर चेन्नई ले जाने की अनुमति मिली।

विपक्ष ने यह भी आरोप लगाया कि टीडीबी निजी दलालों को अयप्पा आस्था का मुद्रीकरण करने की अनुमति दे रहा है, जिससे अमीर और प्रभावशाली लोगों को विशेष दर्शन का विशेषाधिकार मिलता है और वे मूल्यवान मंदिर कलाकृतियों को निजी पूजा के लिए बाहर ले जाते हैं।

पोट्टी के रिश्तों और ‘गायब सोने’ पर सवाल

गौरतलब है कि मामले ने तब और तूल पकड़ा जब पिछले हफ्ते टीडीबी सतर्कता ने पोट्टी के घर से चोरी गई कुछ पट्टिकाएं बरामद कीं। साथ ही, 2019 के वीडियो सामने आए, जिनमें पोट्टी कथित तौर पर नई स्वर्ण-पट्टिकाओं को चढ़ाते दिख रहे हैं, जिनमें से कुछ अभिनेता जयाराम के चेन्नई स्थित घर पर भी थीं। जयाराम ने कहा कि वे जांच में सहयोग करेंगे। उन्होंने स्वीकार किया कि पोट्टी से उनकी लंबे समय से जान-पहचान है और वे उन्हें सबरीमाला के वार्षिक मकरविलक्कु महोत्सव में अक्सर देखते रहे हैं।

विपक्ष ने यह भी आरोप लगाया कि 2019 में चेन्नई से लौटाई गई पट्टिकाएं असल में तांबे की थीं, न कि वही स्वर्णमढ़ित पट्टिकाएं जो विजय माल्या ने 1999 में दान की थीं। हाई कोर्ट ने भी यह दर्ज किया कि लौटाई गई पट्टिकाओं का वज़न करीब 4 किलो सोना कम पाया गया।

इस पूरे विवाद में मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन, कांग्रेस नेता सोनिया गांधी और अन्य प्रभावशाली हस्तियों के साथ पोट्टी के सामाजिक मेलजोल की तस्वीरें भी सामने आई हैं, जिससे यह घोटाला और गहरा गया है।

अनिल शर्मा
अनिल शर्माhttp://bolebharat.in
दिल्ली विश्वविद्यालय से पत्रकारिता में उच्च शिक्षा। 2015 में 'लाइव इंडिया' से इस पेशे में कदम रखा। इसके बाद जनसत्ता और लोकमत जैसे मीडिया संस्थानों में काम करने का अवसर मिला। अब 'बोले भारत' के साथ सफर जारी है...
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