नई दिल्लीः भारत रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन का स्वागत करने के लिए पूरी तरह से तैयार है। यूक्रेन पर आक्रमण के बाद पुतिन पहली बार भारत आ रहे हैं। वह अपनी भारत यात्रा के दौरान 23वें भारत-रूस वार्षिक शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए दिल्ली पहुंचेंगे। इस दौरान Su-57 जेट, द्विपक्षीय वार्ता समेत कई अहम मुद्दों पर चर्चा होगी।
पुतिन की दो दिवसीय यात्रा का उद्देश्य रक्षा सहयोगों को बढ़ावा देने के साथ-साथ व्यापार और ऊर्जा के क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने पर केंद्रित है। पुतिन के भारत दौरे के एजेंडे में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के साथ बैठक, दिल्ली पहुंचने के तुरंत बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा आयोजित एक निजी रात्रिभोज, व्यापार और आर्थिक सहयोग पर चर्चा और औद्योगिक सहयोग, नवीन प्रौद्योगिकियों, परिवहन, शांतिपूर्ण अंतरिक्ष अन्वेषण, खनन, स्वास्थ्य सेवा और श्रम प्रवास कार्यक्रमों में अन्य “आशाजनक परियोजनाओं” पर चर्चा शामिल है। पुतिन के सहयोगी यूरी उशाकोव ने कहा कि भारत और रूस के बीच द्विपक्षीय राजनीतिक वार्ता “नियमित और गोपनीय” बनी हुई है।
पुतिन की यात्रा भारत के लिए है महत्वपूर्ण
पुतिन की यह यात्रा भारत के लिए इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि अमेरिका द्वारा भारत पर दंड के रूप में टैरिफ लगाने के कुछ महीनों बाद हो रही है। अमेरिका द्वारा की गई कार्रवाई में भारत से आयातित वस्तुओं पर 50 फीसदी टैरिफ लगाया गया है।
व्लादिमीर पुतिन की इस यात्रा को लेकर क्रेमलिन के प्रवक्ता दिमित्री पेसकोव ने कहा है कि रूस द्वारा भारत को Su-57 लड़ाकू विमान की आपूर्ति की संभावना पर चर्चा हो सकती है। भारत पाँचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमानों की एक खेप खरीदने की प्रक्रिया में है।
कार्यक्रम में रूस-भारत व्यापार मंच में पुतिन की भागीदारी और भारत में आरटी टीवी चैनल के शुभारंभ समारोह को भी शामिल किया गया है जो सहयोग के बढ़ते दायरे को दर्शाता है।
ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट के अनुसार, तेल व्यापार भी केंद्र बिंदु होगा क्योंकि भारत अपनी आयात लागत के भार को देखते हुए, सस्ते कच्चे तेल की अपनी जरूरत को, दंडात्मक अमेरिकी शुल्कों और प्रतिबंधों से बचने की इच्छा के साथ संतुलित करने का प्रयास करेगा।
द्विपक्षीय व्यापार को बढ़ावा देने पर चर्चा
क्रेमलिन के प्रवक्ता दिमित्री पेसकोव ने मंगलवार को स्थानीय मीडिया को बताया कि पुतिन और मोदी के बीच द्विपक्षीय व्यापार को वर्तमान 68 बिलियन डॉलर से बढ़ाकर 2030 तक 100 बिलियन डॉलर करने तथा अपनी-अपनी मुद्राओं में लेनदेन निपटाने की प्रणाली में सुधार करने पर चर्चा होने की उम्मीद है।
भारत-रूस व्यापार को अमेरिका द्वारा लगाए गए प्रतिबंधों से बचाने के उपाय, परमाणु ऊर्जा के लिए छोटे मॉड्यूलर रिएक्टरों पर प्रस्ताव और रक्षा सहयोग को गहरा करना, प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति पुतिन के बीच शिखर सम्मेलन के एजेंडे में शामिल होंगे।
इस दौरान दोनों पक्षों द्वारा कई समझौतों पर हस्ताक्षर किए जाने की भी उम्मीद है, जिनमें से एक भारतीय कामगारों के रूस में आवागमन को सुगम बनाने से संबंधित समझौता भी शामिल है। दोनों पक्ष यूरेशियन आर्थिक संघ के साथ नई दिल्ली के प्रस्तावित मुक्त व्यापार समझौते पर भी चर्चा कर सकते हैं।

