न्यूयॉर्क: रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने शनिवार को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) में भारत के लिए स्थायी सीट की वकालत की। लावरोव ने संयुक्त राष्ट्र महासभा के वार्षिक शिखर सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि दुनिया का वर्तमान संतुलन 80 साल पहले की स्थिति से बिल्कुल अलग है, जब संयुक्त राष्ट्र की स्थापना हुई थी। उन्होंने कहा कि वर्तमान वैश्विक परिदृश्य से तालमेल बैठाने के लिए UNSC में बदलाव की जरूरत है।
रूसी विदेश मंत्री ने कहा कि रूस एशिया, अफ्रीका और लैटिन अमेरिका से प्रतिनिधित्व बढ़ाने के लिए भारत और ब्राजील के स्थायी सदस्यता आवेदन का समर्थन करता है।
इससे पहले भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने भी शनिवार को संयुक्त राष्ट्र महासभा में कहा कि परिषद की स्थायी और अस्थायी दोनों सदस्यता का विस्तार किया जाना चाहिए और ‘भारत अधिक जिम्मेदारियां संभालने के लिए तैयार है।’
80 साल में काफी बदल गई दुनिया…
लावरोव ने इस बात पर जोर दिया कि वर्तमान वैश्विक संतुलन 80 साल पहले संयुक्त राष्ट्र की स्थापना के समय से काफी अलग है, इसलिए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद को और अधिक प्रभावी और प्रतिनिधि बनाने के लिए सुधारों की आवश्यकता है।
संयुक्त राष्ट्र महासभा में अपने भाषण में लावरोव ने ग्लोबल साउथ की सामूहिक स्थिति को आकार देने में शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) और ब्रिक्स जैसे मंचों के महत्व का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा कि ये समूह विकासशील देशों के हितों के समन्वय के तंत्र के रूप में एक विशेष भूमिका निभाते हैं।
लावरोव ने कहा कि रूस पर उत्तरी अटलांटिक गठबंधन और यूरोपीय संघ के देशों पर हमला करने की योजना बनाने का आरोप लगाया जा रहा है। रूस का ऐसा कोई इरादा न तो कभी रहा है और न ही है। हालाँकि, मेरे देश के खिलाफ किसी भी आक्रमण का निर्णायक जवाब दिया जाएगा।
‘भारत के पास अपना आत्मसम्मान…वो फैसले लेने में सक्षम’
UNGA के मंच से इतर रूसी विदेश मंत्री लावरोव ने स्वतंत्र व्यापार और ऊर्जा निर्णय लेने के भारत के संप्रभु अधिकार का भी दृढ़ता से बचाव किया। उन्होंने रूसी तेल खरीदने पर अमेरिका द्वारा कदमों को लेकर चिंताओं को भी खारिज किया।
लावरोव की यह प्रतिक्रिया अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारत सहित उन देशों पर सेकेंडरी प्रतिबंध लगाने की बार-बार दी गई चेतावनी के बीच आई है जो रूसी तेल खरीदना जारी रखे हुए हैं। संयुक्त राष्ट्र महासभा में अपने संबोधन में, ट्रंप ने रूसी तेल खरीदने के लिए यूरोप, चीन और भारत की आलोचना करते हुए कहा था, ‘चीन और भारत इस चल रहे युद्ध के मुख्य वित्तपोषक हैं।’ उन्होंने आगे कहा, ‘यूरोप को इसे और तेज करना होगा, यह उनके लिए शर्मनाक है। हम बहुत कड़े टैरिफ लगाने के लिए पूरी तरह तैयार हैं।’
हालांकि रूसी विदेश मंत्री ने कहा कि भारत का अपना राष्ट्रीय हित सबसे पहले आता है। लावरोव ने कहा कि मास्को ‘भारत के राष्ट्रीय हितों’ और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा अपनाई गई विदेश नीति का पूरा सम्मान करता है।
लावरोव ने कहा, ‘हम भारत के राष्ट्रीय हितों का पूरा सम्मान करते हैं, और नरेंद्र मोदी द्वारा इन राष्ट्रीय हितों को बढ़ावा देने के लिए अपनाई जा रही विदेश नीति का भी पूरा सम्मान करते हैं। हम उच्चतम स्तर पर नियमित संपर्क बनाए रखते हैं।’
‘रूस-भारत आर्थिक साझेदारी पर कोई खतरा नहीं’
रूसी विदेश मंत्री ने बताया कि प्रधानमंत्री मोदी और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने हाल ही में तियानजिन में शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) शिखर सम्मेलन में बातचीत की थी और दिसंबर में एक और बैठक निर्धारित है, जब पुतिन के नई दिल्ली आने की उम्मीद है।
अमेरिका द्वारा प्रतिबंधो को लगाने की चेतावनी पर एक सवाल के जवाब में, लावरोव ने कहा कि भारत और रूस के बीच आर्थिक साझेदारी ‘खतरे में नहीं है।’
लावरोव ने कहा, ‘भारतीय प्रधानमंत्री और विदेश मंत्री ने स्पष्ट कर दिया है कि भारत अपने साझेदार खुद चुनता है। अगर अमेरिका के पास भारत और अमेरिका के बीच द्विपक्षीय व्यापार को समृद्ध करने के प्रस्ताव हैं, तो वे उन शर्तों पर चर्चा करने के लिए तैयार हैं, चाहे अमेरिका कुछ भी शर्तें रखे। लेकिन जब भारत और तीसरे देशों के बीच व्यापार, निवेश, आर्थिक, सैन्य, तकनीकी और अन्य संबंधों की बात आती है, तो भारत इस पर अपनी मर्जी से केवल उन्हीं देशों के साथ चर्चा करेगा।’
लावरोव ने उन अटकलों को खारिज किया कि वाशिंगटन के रुख से रूसी तेल आयात पर नई दिल्ली का रुख बदलेगा। उन्होंने कहा, ‘वे खुद ये फैसले लेने में पूरी तरह सक्षम हैं।’
उन्होंने आगे कहा, ‘लेकिन हम अन्य देशों से क्या खरीदते हैं, अमेरिका से नहीं, बल्कि रूस या अन्य देशों से, यह हमारा अपना मामला है। और इसका भारत-अमेरिका एजेंडे से कोई लेना-देना नहीं है। और मेरा मानना है कि यह एक बहुत ही सार्थक प्रतिक्रिया है जो दर्शाती है कि तुर्की की तरह भारत में भी आत्म-सम्मान है।’