नई दिल्ली: भारतीय सेना इन दिनों एक बड़े परिवर्तन के कगार पर है। खासकर ऑपरेशन सिंदूर के अनुभव ने इस बदलाव को और तेजी से करने की हरी झंडी दे दी है। भारतीय सेना अपनी पारंपरिक शक्तियों के बेहतर इस्तेमाल के साथ-साथ आधुनिक युद्ध के तौर-तरीकों पर भी पूरा जोर दे रही है। सभी हथियारों से लैस ब्रिगेड से लेकर विशेष ड्रोन यूनिट और बिल्कुल नए स्पेशल फोर्सों- जैसे घातक हथियारों और ड्रोनों के संयोजन से लैस नए बटालियनों से लेकर सेना गंभीर है।
इन सब संभावित बदलावों के बारे में 26 जुलाई को विजय दिवस के दौरान सेना प्रमुख द्वारा घोषणा की गई थी। न्यूज-18 की रिपोर्ट के अनुसार यह इस पहल का पहला चरण है, जिसे भारत की आजादी के 79 वर्ष पूरे होने पर जमीनी स्तर पर लागू किया जा रहा है। इनमें ‘रुद्र’, ‘भैरव’, ‘शक्तिबाण’ और ‘दिव्यास्त्र’ जैसे नामों के ब्रिगेट और बटालियन के साथ-साथ कई अन्य महत्वपूर्ण परिवर्तन शामिल हैं।
भैरव बटालियन क्या है?
सूत्रों के अनुसार अगस्त के अंत तक भारतीय सेना में पाँच भैरव बटालियनें शामिल हो जाएँगी। भैरव बटालियनें घातक स्पेशल फोर्स की यूनिट हैं जो सेना के विशिष्ट विशेष बलों और नियमित इंफेंट्री इकाइयों के बीच एक तरह से ब्रिज का काम करेंगी।
‘भैरव’ का शाब्दिक अर्थ है ‘भयानक’ या घोर विनाश करने वाला होता है। इसे अक्सर हिंदू देवता भगवान शिव के लिए इस्तेमाल किया जाता है। यह विशेष बटालियन होगी लेकिन इनके रणनीतिक कार्य कम होते हैं। इससे सेना की विशिष्ट विशेष बलों को उच्च प्राथमिकता वाले अभियानों के लिए भरपूर समय मिलेगा।
भैरव बटालियन शॉक-एंड-अवे सैनिकों के रूप में कार्य करेंगे, जो दुश्मन सेनाओं पर तेजी से आश्चर्यजनक हमले, सीमा पार छापे और सामरिक व्यवधान डालेंगे।
इसी प्रकार, अगस्त के अंत तक सभी पैदल सेना बटालियनों को ड्रोन प्लाटून से लैस करने के प्रयास किए जा रहे हैं।
रूद्र ब्रिगेड क्या है?
सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने अपने भाषण में रुद्र ब्रिगेड और भैरव बटालियनों का जिक्र किया था। उन्होंने कहा था, ‘अब हर पैदल सेना बटालियन में ड्रोन प्लाटून शामिल हैं, जबकि ‘दिव्यास्त्र बैटरियों’ और लोइटरिंग मुनिशन बैटरियों के जरिए तोपखाने की मारक क्षमता में काफी वृद्धि की गई है। सेना की एयर डिफेंस सिस्टम को स्वदेशी मिसाइल प्रणालियों से लैस किया जा रहा है।’
‘रुद्र’ पूरी तरह से हथियारों से लैस ब्रिगेड हैं जिनमें पैदल सेना, तोपखाने और बख्तरबंद कोर के सैनिक शामिल होते हैं। दरअसल, सेना ने पहले ही अपनी दो ब्रिगेडों को ‘रुद्र’ में बदल दिया है।
शक्तिबाणा, दिव्यास्त्र और दिव्यास्त्र बैटरियां
‘शक्तिबाण’ और ‘दिव्यस्त्र’ की अवधारणाओं को जमीनी तोपखाने में शामिल किया जा रहा है। सूत्रों के अनुसार पहले चरण में तोपखाने की कम से कम पाँच रेजिमेंटों में एक-एक ‘दिव्यस्त्र’ बैटरी होगी। दिव्यास्त्र बैटरियाँ पारंपरिक तोपखाने को उन्नत मानवरहित और सटीक प्रहार तकनीकों के साथ एकीकृत करने की दिशा में एक बदलाव हैं। इससे आधुनिक युद्ध, विशेष रूप से लड़ाई वाली सीमाओं के लिए उपयुक्त और घातक संरचनाएँ तैयार की जा सकें। ये यूनिट ड्रोन, घूमने वाले हथियारों और तोपों का उपयोग करेंगी।
एक अधिकारी ने कहा, ‘दिव्यास्त्र बैटरियों का प्राथमिक लक्ष्य गहन प्रहार क्षमताओं, रियल टाइम टार्गेट ट्रैकिंग सहित स्थिर और गतिशील दोनों प्रकार के खतरों से सटीक रूप से निपटने में सक्षम बनाकर तोपखाने की मारक क्षमता और परिचालन प्रभावशीलता को बढ़ाना है।’
ऐसे ही शक्तिबाण यूनिट विशेष तोपखाना रेजिमेंट हैं जो पूरी तरह से तकनीक से संचालित हैं। यह अपने मिशनों के लिए ड्रोन और मंडराते हथियारों पर जोर देती हैं। ‘देखो और हमला करो’ मिशन इसका तरीका है और ये और हमला करने से पहले लक्ष्यों के ऊपर मंडरा सकते हैं। ये हाइब्रिड दिव्यास्त्र बैटरियों से इस मायने में अलग हैं कि उनमें पारंपरिक बंदूकें शामिल नहीं होंगी और उन्हें विशिष्ट ड्रोन यूनिट कहा जा सकता है।