Friday, October 10, 2025
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वक्फ संशोधन अधिनियम के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाएगी आरजेडी

पटनाः कांग्रेस, एआईएमआईएम और आम आदमी पार्टी के बाद अब राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) वक्फ संशोधन विधेयक के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का रुख करेगी।

पार्टी के सांसद मनोज झा और नेता फैयाज अहमद ने पार्टी की तरफ से विधेयक के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करने का निर्णय लिया है। लोकसभा और राज्यसभा में पास होने के बाद शनिवार को राष्ट्रपति की मंजूरी मिल गई है।

आरजेडी नेताओं का क्या है तर्क?

समाचार एजेंसी एएनआई की रिपोर्ट के मुताबिक, आरजेडी नेताओं ने तर्क दिया है कि इस अधिनियम से वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन पर प्रभाव पड़ सकता है। राजद नेता कल सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करेंगे। 

इससे पहले कांग्रेस के सांसद मोहम्मद जावेद और आल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन के सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। इसके अलावा आम आदमी पार्टी के विधायक अमानतुल्लाह खान ने भी इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है। 

वक्फ अधिनियम पर क्या बोले तेजस्वी? 

राजद नेता तेजस्वी यादव ने वक्फ अधिनियम के विषय में शनिवार को कहा था कि यदि उनकी पार्टी बिहार में आने वाले चुनाव में आती है तो अधिनियम को डस्टबिन में फेंक देंगे। 

तेजस्वी ने कहा “हम विश्वास करते हैं कि आज मुस्लिमों को निशाना बनाया जा रहा है और कल यह सिख और ईसाइयों के खिलाफ हो सकता है।”

तेजस्वी ने दावा किया था कि विधेयक बेरोजगारी जैसी समस्या से ध्यान भटकाने के लिए लाया गया है। इसके साथ ही तेजस्वी ने कहा था कि उनकी पार्टी बिहार में विधेयक को लागू नहीं होने देगी।

इसके साथ ही तेजस्वी ने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर भी निशाना साधते हुए कहा कि वह पार्टी के भीतर वक्फ विधेयक को लेकर गतिरोध देखा जा रहा है। समाचार एजेंसी पीटीआई ने तेजस्वी के हवाले से लिखा कि  वे (जदयू) यह साबित करने की पूरी करने की कोशिश कर रहे हैं कि यह बिल मुस्लिमों के लिए अच्छा है लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिल रही है। 

इससे पहले इस मार्च में बिहार में वक्फ बिल को लेकर आंदोलन भी हुए हैं। विपक्षी दल इस विधेयक को वापस करने की मांग कर रहे थे। इसके साथ ही प्रदर्शन कर रहे लोगों ने सच्चर कमेटी की सिफारिशें लागू करने की भी मांग की थी। 

इस प्रदर्शन में विपक्षी दलों के नेताओं ने समर्थन किया था जिसमें लालू प्रसाद यादव और नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव भी शामिल थे। इसके अलावा आल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने विधेयक को हटाने की मांग की थी।

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