Friday, October 10, 2025
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खबरों से आगे: भारत-पाकिस्तान तनाव- बहुत हुईं बातें, अब जनरल असीम मुनीर को एक्शन दिखाने का समय

असीम मुनीर 14 फरवरी, 2019 को हुए पुलवामा हमले के दौरान लेफ्टिनेंट जनरल के रूप में इंटर सर्विसेज इंटेलिजेंस (ISI) का नेतृत्व कर रहे थे। भारत और पाकिस्तान के बीच द्विपक्षीय संबंध जैश-ए-मोहम्मद (JeM) के आदिल डार के उस झटके से कभी उबर नहीं पाए। अपनी विस्फोट भरी कार को सीआरपीएफ की बस में टक्कर मार कर वह अपने साथ-साथ 40 सीआरपीएफ जवानों की मौता भी कारण बना। 

पाकिस्तान का आतंकी संगठन, JeM, इस स्तर तक बढ़ने में कामयाब रहा कि भारत ने अपने विरोधी के खिलाफ जवाबी कार्रवाई करने के लिए हवाई शक्ति का इस्तेमाल किया। दिसंबर 1971 और फरवरी 2019 के बीच, किसी भी भारतीय सरकार ने पाकिस्तान पर हमला करने के लिए हवाई ताकत का इस्तेमाल नहीं किया था। 

असीम मुनीर अब पाकिस्तानी सेना का सेनाध्यक्ष हैं, जब पहलगाम में 22 अप्रैल 2025 को निर्दोष हिंदुओं के नरसंहार को अंजाम दिया गया। इस आतंकी कार्रवाई के बाद भारत की ओर से अप्रत्याशित प्रतिक्रिया हुई, क्योंकि उसने घटना के 24 घंटे के भीतर सिंधु जल संधि (IWT) को स्थगित करने का फैसला किया। 

यह कार्रवाई अभूतपूर्व है क्योंकि भारत ने युद्ध के दौरान भी IWT को कभी नहीं रोका है। यह नौबत इस जनरल की जेहादी मानसिकता की कगार पर पहुंचने की वजह से, जो आज वस्तुतः पाकिस्तान का एक तरह से मालिक बन बैठ है। वह पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ को बिलावल भुट्टो जरदारी (उनका साथ देने के लिए) के साथ एक डे केयर सेंटर में भी भेज सकता है क्योंकि आज सबकुछ जनरल असीम मुनीर द्वारा तय किया जा रहा है।

‘पीओके बनेगा हिंदुस्तान…’, अब ये नारा लगाने की जरूरत

बहुत समय से कई पाकिस्तानी नेता चिल्लाते रहे हैं…कश्मीर बनेगा पाकिस्तान। भारतीय पक्ष की ओर से प्रतिक्रिया कमतर रही है। शायद उम्मीद के मुताबिक नहीं। हालांकि, अब समय आ गया है कि जैसा कि पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा, पाकिस्तान को “करारा जवाब” दिया जाए। युद्ध के मैदान में दुश्मन से मुकाबला करने के लिए, कमांडरों द्वारा अक्सर रणनीति के रूप में मिरर डिप्लॉयमेंट का सहारा लिया जाता है। 

अब ‘कश्मीर बनेगा पाकिस्तान’ के पाकिस्तानी नारे का जवाब देने के लिए उचित प्रतिक्रिया क्या होगी? सबसे उपयुक्त होगा पाकिस्तान को उसी तरह का जवाब देना। इसके मायने हुए कि ‘POJK बनेगा हिंदुस्तान’ का नारा लगाना होगा। हां, वास्तव में वह क्षण आ गया है जब भारत को पाकिस्तान अधिकृत जम्मू कश्मीर (पीओजेके) को वापस लेने के लिए गंभीरता से काम करना शुरू कर देना चाहिए। यह 1 जनवरी 1949 से ही एक नासूर जैसा घाव है जब 1947-48 के पहले भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान संयुक्त राष्ट्र द्वारा अनिवार्य युद्ध विराम लागू कराया गया था।

दक्षिण के एक जाने-माने सांसद ने कुछ दिन पहले अपने विचार बड़े ही दिलचस्प अंदाज में व्यक्त किए। बात एआईएमआईएम के असदुद्दीन ओवैसी की हो रही है। उन्होंने कहा- ‘इस बार घर में घुस के सिर्फ मारना नहीं। घुस के बैठ जाना। अरे, 1994 का संसद का प्रस्ताव भी यही कहता है।’ 

ओवैसी जिस ओर इशारा कर रहे थे वह भारतीय सेना द्वारा पाकिस्तान अधिकृत जम्मू कश्मीर (पीओजेके) में किया गया सर्जिकल स्ट्राइक था। सितंबर 2016 में भारतीय सेना ने इसे अंजाम दिया था। सर्जिकल स्ट्राइक के दौरान, भारतीय सेना के कमांडो पीओजेके की लीपा घाटी में घुसे थे, उन्होंने कुछ आतंकवादी शिविरों पर हमला किया और फिर वापस आ गए।

ओवैसी ने जो कहा वह यह था कि अब भारतीय सेना, यदि इस बार पीओजेके में प्रवेश करती है तो उसे इस पर कब्जा कर लेना चाहिए, वहीं रहना चाहिए और वापस नहीं आना चाहिए ताकि यह भारत का हिस्सा बन जाए।

22 फरवरी का ‘संकल्प दिवस’

गंभीरता से विचार करें हम पिछले कुछ सालों से हर साल 22 फरवरी को ‘संकल्प दिवस’ के रूप में मनाते आ रहे हैं। उस दिन हम क्या संकल्प लेते हैं? भाजपा सरकार द्वारा मनाया जा रहा यह ‘संकल्प दिवस’ राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) द्वारा संकल्प के बारे में जागरूकता पैदा करने के प्रयासों पर आधारित है। आरएसएस ने लगभग 11 साल पहले मई 2014 में नरेंद्र मोदी के देश के प्रधानमंत्री बनने से बहुत पहले ही इस ‘संकल्प दिवस’ को मनाना शुरू कर दिया था।

22 फरवरी, 1994 को भारत की संसद ने सर्वसम्मति से एक प्रस्ताव पारित किया जिसमें पाकिस्तान से आतंकवाद को सहायता और बढ़ावा देना बंद करने को कहा गया। इसमें यह भी कहा गया कि पाकिस्तान एक हमलावर है, जिसने जम्मू-कश्मीर के एक बड़े हिस्से पर अवैध कब्जा कर रखा है, और बलपूर्वक कब्जाया हुआ है। इस प्रस्ताव में पाकिस्तान से जम्मू-कश्मीर के सभी हिस्सों को भारत को सौंपने को कहा गया है।

इसके अलावा, इसमें यह भी कहा गया कि भारत के पास जम्मू-कश्मीर के अवैध रूप से कब्जे वाले हिस्सों को वापस लेने की इच्छाशक्ति और साधन हैं, जिन्हें हम पाकिस्तान अधिकृत जम्मू कश्मीर (पीओजेके) कहते हैं। वरिष्ठ पत्रकार शेखर गुप्ता एक टेलीविजन चैनल के लिए वॉक द टॉक नाम से एक कार्यक्रम किया करते थे। ‘वॉक द टॉक’ का मतलब अब वही करना हो गया है जो कहा जाए। अभी तक भारत पीओजेके के बारे में बातें तो करता रहा है, लेकिन ऐसा करने के लिए और जरूरी प्रयास करने के लिए कुछ खास नहीं किया है।

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