Thursday, October 9, 2025
Homeविश्वभारत को अमेरिका से एक और झटका, सीनेटर ने छात्र वीजा के...

भारत को अमेरिका से एक और झटका, सीनेटर ने छात्र वीजा के बाद वर्क परमिट पर भी रोक की मांग की

अमेरिकी सीनेटर ने छात्र वीजा के साथ वर्क परमिट पर रोक लगाने की मांग की है। हाल ही में अमेरिका ने एच-1बी वीजा पर शुल्क भी बढ़ाया है। ऐसे में भारतीय छात्रों को नुकसान हो सकता है क्योंकि भारी संख्या में छात्र पढ़ने के लिए जाते हैं।

वाशिंगटनः अमेरिकी राष्ट्रपति द्वारा भारत पर लगाए गए 50 फीसदी टैरिफ और हाल ही में एच-1बी वीजा पर बढ़ाए गए शुल्क के बाद जारी विवाद के बीच भारत को एक और झटका लगा है। रिपब्लिकन पार्टी के सीनेटर चक ग्रासले ने बुधवार को होमलैंड सिक्योरिटी विभाग से छात्र वीजा धारकों को वर्क परमिट बंद करने का आग्रह किया। सीनेटर का मानना है कि ये लोग अमेरिकियों के खिलाफ प्रतिस्पर्धा करते हैं।

ग्रासली ने एक्स पर एक पोस्ट करते हुए लिखा “DHS को अमेरिकियों के साथ प्रतिस्पर्धा करने वाले छात्र वीजा धारकों को कार्य प्राधिकरण वीजा जारी करना बंद करना होगा। यह कानून का सीधा उल्लंघन है और अमेरिका को तकनीकी कॉर्पोरेट जासूसी के जोखिम में डालता है। मैंने DHS सचिव नोम को एक पत्र भेजकर उनसे विदेशी छात्र वीजा धारकों को कार्य प्राधिकरण जारी करना बंद करने का अनुरोध किया है।”

अमेरिका में प्रभावित होगा OPT नियम

अमेरिका में यदि ऐसा होता है तो इससे OPT (वैकल्पिक व्यावहारिक प्रशिक्षण) प्राधिकरण प्रभावित होगा। इसके जरिए छात्रों को डिग्री पूरी करने के बाद 12 से 36 महीनों तक अमेरिका में काम करने का अवसर मिलता है। ऐसे में यह बंद हो सकता है।

सीनेटर द्वारा यह टिप्पणी ऐसे वक्त में आई है जब हाल ही में अमेरिकी प्रशासन ने एच-1बी वीजा के लिए शुल्क बढ़ाकर 1,00,000 डॉलर कर दिया है। इसके बारे में ट्रंप प्रशासन ने कहा कि यह एकमुश्त शुल्क है। वीजा को लेकर नए नियम नए आवेदकों पर ही लागू होंगे। यह नियम उन पर नहीं लागू होंगे जो पहले से आवेदन कर चुके हैं। इसके साथ ही वीजा का नवीनीकरण कराने वाले धारकों पर भी यह नियम लागू नहीं होंगे।

यह भी पढ़ें – अमेरिका में एच-1बी वीजा पर भारी शुल्क के बीच जर्मनी ने भारतीय पेशेवरों को दिया खुला न्योता

सीनेटर की इस टिप्पणी का असर भारतीय छात्रों पर पड़ सकता है क्योंकि भारतीय छात्र बड़ी संख्या में अमेरिका में शिक्षा ग्रहण करने जाते हैं। अमेरिकी दूतावास के मुताबिक, भारत साल 2024 में अमेरिका में अंतर्राष्ट्रीय छात्र भेजने वाला देश बना। वर्तमान में करीब 3,31,000 छात्र अमेरिका में अध्ययन कर रहे हैं।

2024 की तुलना में घटी अंतर्राष्ट्रीय छात्रों की संख्या

इसमें कहा गया कि भारतीय स्नातक छात्रों की संख्या करीब 19 प्रतिशत बढ़कर 2,00,000 हो गई है। हालांकि, अमेरिकी आव्रजन विभाग के आंकड़ों के मुताबिक, इस वर्ष जुलाई में अंतर्राष्ट्रीय छात्रों का आगमन 2024 की तुलना में काफी कम था।

ऐसा अनुमान जताया जा रहा है कि साल 2025 के अंत तक अमेरिकी संस्थानों में नए छात्रों के नामांकन में लगभग 50 प्रतिशत की गिरावट आएगी। इसमें भारतीय छात्रों की संख्या में भी लगभग 50 प्रतिशत की गिरावट देखी जाएगी।

यह भी पढ़ें – सात महीने में सात युद्ध खत्म कराए, भारत और चीन यूक्रेन युद्ध को दे रहे फंडिगः UN में बोले ट्रंप

इसके साथ ही अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा आव्रजन नीतियों में सख्ती के कारण भी छात्र अमेरिका की योजना पर विचार कर रहे हैं। ट्रंप प्रशासन ने हालांकि, एच-1बी वीजा को लेकर कहा है कि इस फैसले के पीछे का कारण है कि इससे अधिक कुशल विदेशी पेशेवरों को ही कुशल नौकरियों के लिए लाया जाए, जिन्हें अमेरिकी कर्मचारियों द्वारा भरा नहीं जा सकता।

अमरेन्द्र यादव
अमरेन्द्र यादव
लखनऊ विश्वविद्यालय से राजनीति शास्त्र में स्नातक करने के बाद जामिया मिल्लिया इस्लामिया से पत्रकारिता की पढ़ाई। जागरण न्यू मीडिया में बतौर कंटेंट राइटर काम करने के बाद 'बोले भारत' में कॉपी राइटर के रूप में कार्यरत...सीखना निरंतर जारी है...
RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Most Popular

Recent Comments

मनोज मोहन on कहानीः याद 
प्रकाश on कहानीः याद 
योगेंद्र आहूजा on कहानीः याद 
प्रज्ञा विश्नोई on कहानीः याद 
डॉ उर्वशी on एक जासूसी कथा