Friday, October 10, 2025
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‘मुडा’ मामले में सिद्दारमैया को कर्नाटक हाईकोर्ट से बड़ी राहत, CBI जांच की मांग खारिज

बेंगलुरुः मैसूर अर्बन डेवलपमेंट अथॉरिटी (MUDA) मामले में मुख्यमंत्री सिद्धारमैया को बड़ी राहत मिली है। कर्नाटक हाईकोर्ट ने शुक्रवार को आरटीआई कार्यकर्ता स्नेहमयी कृष्णा की याचिका खारिज कर दी, जिसमें उन्होंने मुडा की साइट आवंटन घोटाले की जांच केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) को सौंपने की मांग की थी। न्यायमूर्ति एम. नागप्रसन्ना की अध्यक्षता वाली धारवाड़ पीठ ने स्पष्ट किया कि इस मामले की जांच अब लोकायुक्त द्वारा की जाएगी।

यह फैसला मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के लिए राहत भरा रहा, क्योंकि उन पर आरोप थे कि उन्होंने अपनी पत्नी पार्वती बीएम को मैसूर अर्बन डेवलपमेंट अथॉरिटी द्वारा अवैध रूप से 14 प्लॉट आवंटित करवाए थे। हाईकोर्ट ने 27 जनवरी को प्रवर्तन निदेशालय (ED) द्वारा पार्वती बीएम को जारी किए गए समन पर अंतरिम रोक लगा दी थी। और सभी पक्षों की दलीलें सुनने के बाद अपना फैसला सुरक्षित रखा था।

अदालत के फैसले पर सिद्धारमैया ने खुशी जाहिर की। उन्होंने फैसले का स्वागत करते हुए कहा, “मैं अदालत के निर्णय का सम्मान करता हूं और उसका स्वागत करता हूं।”

हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में देंगे चुनौती

उधर, याचिकाकर्ता स्नेहमयी कृष्णा ने अदालत के फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए इसे एक अस्थाई झटका बताया। उन्होंने कहा कि आदेश पत्र उपलब्ध होने के बाद वह इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देंगे और सीबीआई जांच की मांग जारी रखेंगे। याचिकाकर्ता ने पहले आरोप लगाया था कि उन्हें इस मामले को छोड़ने के लिए धमकाया गया था और आर्थिक लाभ की पेशकश की गई थी। कृष्णा MUDA भूमि आवंटन घोटाले में प्रमुख शिकायतकर्ताओं में से एक हैं।

अदालत में पक्षों की दलीलें

सुप्रीम कोर्ट के फैसलों का हवाला देते हुए छह प्रमुख वकीलों ने इस मामले में बहस की। याचिकाकर्ता के वकील, वरिष्ठ अधिवक्ता मनिंदर सिंह ने स्वतंत्र सीबीआई जांच की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने तर्क दिया कि जब उच्च पदस्थ सरकारी लोगों पर आरोप लगे तो निष्पक्ष जांच जरूरी है। उन्होंने तर्क दिया, “पूरी कैबिनेट ने इस मामले में सीएम सिद्दारमैया को बचाने का फैसला किया है।”

वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने जवाब दिया कि याचिकाकर्ता ने शुरू में लोकायुक्त जांच की मांग की थी, लेकिन बाद में लोकायुक्त के अपनी जांच पूरी करने से पहले सीबीआई जांच की मांग की। उन्होंने तर्क दिया, “सीबीआई भी सरकारी नियंत्रण में है। हालांकि, लोकायुक्त पुलिस लोकायुक्त संस्था के तहत स्वतंत्र रूप से काम करती है।”

वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि यह सीबीआई जांच की मांग करने वाला “दुर्लभतम” मामला नहीं है, उन्होंने जोर देकर कहा कि ऐसी याचिकाओं को अनुमति देने से एक खतरनाक मिसाल कायम होगी।

अब कर्नाटक में सीएम बदलने की चर्चा समाप्त हो जानी चाहिएः मंत्री जी परमेश्वर

राज्य के गृह मंत्री जी परमेश्वर ने फैसले पर कहा, “यह सरकार और मुख्यमंत्री के लिए बड़ी राहत है। हाईकोर्ट ने यह भी माना है कि स्वतंत्र एजेंसियों पर संदेह करने की जरूरत नहीं है। हमें इन संस्थानों पर विश्वास बनाए रखना चाहिए।” उन्होंने आगे कहा, “मुझे लगता है कि अब कर्नाटक में मुख्यमंत्री बदलने की चर्चा समाप्त हो जानी चाहिए।”

 

 

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