भारतीय रिजर्व बैंक ने रेपो रेट में 25 बेसिस प्वाइंट की कटौती कर दी है। अब यह दर 5.5 प्रतिशत से घटकर 5.25 प्रतिशत हो गई है। आरबीआई ने शुक्रवार को अपनी मौद्रिक नीति समिति की तीन दिवसीय बैठक के बाद रेपो रेट में 0.25 प्रतिशत की कटौती की घोषणा की है। रेपो रेट में कटौती से बैंकों के लिए कर्ज लेना सस्ता हो जाएगा, जिसका सीधा लाभ होम लोन जैसे खुदरा कर्जों की दरों में कमी के रूप में ग्राहकों को मिल सकता है।
शुक्रवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस में आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा ने बताया कि समिति ने यह फैसला सर्वसम्मति से लिया, ताकि आर्थिक गति को और सहारा मिल सके। उन्होंने कहा कि अर्थव्यवस्था में तरलता बढ़ाने के लिए आरबीआई एक लाख करोड़ रुपये तक की सरकारी प्रतिभूतियां खरीदेगा। इसके अलावा, पांच अरब डॉलर का डॉलर-रुपया स्वैप प्रबंध भी लागू किया जाएगा।
गौरतलब है कि इससे पहले आरबीआई ने अगस्त और अक्टूबर की समीक्षाओं में रेपो रेट को स्थिर रखा था। उससे पहले फरवरी से जून के बीच रेपो रेट 6.5 प्रतिशत से घटाकर 5.5 प्रतिशत किया गया था। गवर्नर ने पिछले हफ्ते संकेत दिया था कि अनुकूल आर्थिक संकेतकों के चलते और कटौती की गुंजाइश मौजूद है।
गवर्नर संजय मल्होत्रा की प्रेस कॉन्फ्रेंस की अन्य मुख्य बातें
बड़े ओएमओ की घोषणाः आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा ने एक लाख करोड़ रुपये के ओपन मार्केट ऑपरेशन की घोषणा की। इसका उद्देश्य सिर्फ बैंकिंग प्रणाली में तरलता बढ़ाना है, न कि सरकारी बॉन्ड की यील्ड पर प्रत्यक्ष प्रभाव डालना। घोषणा के तुरंत बाद 10 साल की सरकारी प्रतिभूतियों की यील्ड 5 बेसिस प्वाइंट गिर गई, जो बाजार की सकारात्मक प्रतिक्रिया को दिखाती है।
3 साल की डॉलर–रुपया स्वैप विंडोः रिजर्व बैंक तीन साल के लिए डॉलर-रुपया बाय-सेल स्वैप सुविधा खोलेगा। इस व्यवस्था में बैंक आरबीआई को डॉलर बेचेंगे और बदले में रुपये प्राप्त करेंगे। तय अवधि पूरी होने पर आरबीआई वही डॉलर बैंकों को वापस बेचेगा। इससे अल्पावधि में तरलता बढ़ती है और अंत में आरबीआई एक प्रीमियम के साथ डॉलर लौटाता है। यह कदम बाजार में स्थिरता बनाए रखने और मुद्रा विनिमय दबाव को कम करने के लिए अहम माना जा रहा है।
वित्तीय वर्ष 26 जीडीपी ग्रोथ अनुमान 7.3% किया गया: आरबीआई ने आर्थिक वर्ष 2025-26 के लिए जीडीपी वृद्धि का अनुमान 6.8 प्रतिशत से बढ़ाकर 7.3 प्रतिशत किया। गवर्नर ने ग्रामीण इलाकों में बढ़ती मांग, शहरी अर्थव्यवस्था में सुधार और निजी क्षेत्र की तेज होती गतिविधियों को इसकी मुख्य वजह बताया। उन्होंने कहा कि आर्थिक माहौल निवेश और खपत दोनों के लिए अनुकूल दिख रहा है।
महंगाई अनुमान घटाकर 2% किया: केंद्रीय बैंक ने वित्तीय वर्ष 26 के लिए खुदरा महंगाई का अनुमान 2.6 प्रतिशत से घटाकर 2 प्रतिशत किया। आरबीआई का कहना है कि हेडलाइन और कोर इन्फ्लेशन सितंबर 2026 तक 4 प्रतिशत या उससे नीचे बने रहने की संभावना है। कम महंगाई आगे भी मौद्रिक नीति को सहूलियत दे सकती है।
विदेशी मुद्रा भंडार 11 महीने के आयात कवर के बराबर: देश का फोरेक्स रिजर्व 686 अरब डॉलर पर पहुंच गया है। यह स्तर लगभग 11 महीने के आयात बिल को आराम से संभाल सकता है। वैश्विक अनिश्चितता के बीच इस भंडार को काफी मजबूत माना जा रहा है।
चालू खाते का घाटा सीमित रहने की उम्मीद: आरबीआई गवर्नर के अनुसार, इस वित्त वर्ष चालू खाते का घाटा मामूली रह सकता है। उन्होंने बताया कि पहली छमाही में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश में अच्छी बढ़त दर्ज हुई है। हालांकि विदेशी पोर्टफोलियो निवेश में सिर्फ 0.7 अरब डॉलर का निवल प्रवाह रहा, क्योंकि इक्विटी बाजार में निकासी का दबाव बना हुआ है।

