Friday, October 10, 2025
Homeकारोबाररतन टाटा का 86 साल की उम्र में निधन...एक युग का अंत

रतन टाटा का 86 साल की उम्र में निधन…एक युग का अंत

मुंबई: जाने-माने उद्योगपति और टाटा संस के मानद चेयरमैन रतन नवल टाटा का 86 साल की उम्र में बुधवार देर शाम निधन हो गया। वे मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में भर्ती थे। उन्हें उम्र संबंधी दिक्कतों की वजह से रविवार रात ही अस्पताल में भर्ती कराया गया था। टाटा संस के चेयरमैन एन. चंद्रशेखरन ने रतन टाटा के निधन की पुष्टि करते हुए एक आधिकारिक बयान में कहा, ‘हम रतन टाटा को गहरे दुख के साथ विदाई दे रहे हैं। वे सच में असाधारण शख्स थे। उन्होंने न केवल टाटा संस बल्कि हमारे राष्ट्र के ताने-बाने को भी एक आकार दिया।’

रतन टाटा के निधन की खबर सामने आने के बाद दुनिया भरे से शोक संदेश आ रहे हैं। रतन टाटा के निधन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने श्रद्धांजलि दी है। उन्होंने एक्स पर लिखा, ‘श्री रतन टाटा जी एक दूरदर्शी बिजनेस लीडर, दयालु आत्मा और एक असाधारण इंसान थे। उन्होंने भारत के सबसे पुराने और सबसे प्रतिष्ठित व्यापारिक घरानों में से एक को स्थिर नेतृत्व प्रदान किया। साथ ही, उनका योगदान बोर्डरूम से कहीं आगे तक गया। अपनी विनम्रता, दयालुता और हमारे समाज को बेहतर बनाने के प्रति अटूट प्रतिबद्धता के कारण वे कई लोगों के प्रिय बन गए।’

रतन टाटा का कुछ ऐसा रहा सफर

– टाटा समूह की संभाली कमान: टाटा समूह के रहे अध्यक्ष रतन टाटा 1991 से 2012 तक टाटा समूह के अध्यक्ष रहे। इसके बाद अक्टूबर 2016 से 2017 तक अंतरिम अध्यक्ष रहे। आज आलम ये है कि टाटा ग्रुप देश ही नहीं दुनिया में अपनी पहचान बनाने में कामयाब हुआ है। एक ऐसा ग्रुप तो नमक से लेकर हवाई जहाज तक के कारोबार से जुड़ा है।

– दादी ने पाला-पोसा: रतन टाटा का जन्म 28 दिसंबर 1937 को नवल टाटा और सोनू टाटा के घर हुआ। इनके एक भाई जिमी और एक सौतेले भाई नोएल टाटा भी हैं। रतन टाटा जब 10 साल के थे, तब इनके माता-पिता अलग हो गए थे। इनकी दादी नवाजबाई टाटा ने इनका पालन-पोषण किया। रतन टाटा की शुरुआती शिक्षा मुंबई में हुई।

– अमेरिका से उच्च शिक्षा: बाद में रतन टाटा ने अमेरिका के कॉर्नेल यूनिवर्सिटी से स्ट्रक्चरल इंजीनियरिंग और आर्किटेक्चर में डिग्री प्राप्त की। उन्होंने 1975 में हार्वर्ड बिजनेस स्कूल से उन्नत प्रबंधन कार्यक्रम (Advanced Management Program) पूरा किया।

– टाटा संस से 1962 में जुड़े: रतन टाटा 1962 में टाटा संस से जुड़े और कर्मियों संग काम करते हुए पारिवारिक व्यवसाय के बारे में अनुभव और समझ हासिल की।

– नेलको और एम्प्रेस मिल्स को संभाला: टाटा ग्रुप की नेलको (नेशनल रेडियो एंड इलेक्ट्रॉनिक्स कंपनी लिमिटेड) और एम्प्रेस मिल्स से वे क्रमश: 1971 और 1977 में जुड़े। दोनों ही जगहों पर कंपनी वित्तीय सहित कई समस्याओं से जूझ रही थी। दोनों ही जगहों पर उन्हें समस्याओं को दूर करने में तब खास सफलता नहीं मिल सकी। एम्प्रेस मिल को बाद में बंद करना पड़ा। रतन टाटा वापस टाटा इंडस्ट्रीज में आ गए।

रतन टाटा के नेतृत्व में टाटा संस की प्रमुख सफलताएं

रतन टाटा के 21 साल के नेतृत्व में टाटा संस ने सफलता की कई कहानियां लिखी। टाटा संस ने न केवल अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपने कारोबार का विस्तार किया बल्कि कई वैश्विक कंपनियों का अधिग्रहण भी किया। इसी दौरान टाटा समूह न्यूयॉर्क स्टॉक एक्सचेंज तक भी पहुंचा।

टाटा स्टील ने ब्रिटिश कंपनी कोरस का अधिग्रहण किया, जिससे यह दुनिया की सबसे बड़ी स्टील निर्माता कंपनियों में से एक हो गई। इसके अलावा टाटा मोटर्स ने जगुआर और लैंड रोवर का अधिग्रहण किया, जिससे भारत की यह कंपनी वैश्विक ऑटोमोबाइल उद्योग में एक बड़ी पहचान बनाने में कामयाब रही।

इसी दौरान रतन टाटा ने टाटा नौनो को भी लॉन्च किया जिसे दुनिया की सबसे सस्ती कार के रूप में जाना गया। हालांकि कुछ साल की लोकप्रियता के बाद टाटा नैनो का प्रयोग विफल साबित हुआ।

टाटा ने ब्रिटेन की प्रतिष्ठित टेटली टी और अमेरिका की ऐट ओ क्लॉक कॉफी का भी अधिग्रहण किया था। इससे टी और कॉफी उद्योग में भी टाटा ग्रुप का कद काफी बढ़ा। आज टाटा की ग्लोबल बेवेरेजेस दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी चाय कंपनी है।

रतन टाटा को मिले पुरस्कार

पद्म भूषण (भारत सरकार का तीसरा सर्वोच्च नागरिक सम्मान (2000)
ओरिएंटल रिपब्लिक ऑफ उरुग्वे का सम्मान (उरुग्वे सरकार, 2004)
अंतरराष्ट्रीय विशिष्ट उपलब्धि पुरस्कार (बी नाई बि रिथ इंटरनेशनल, 2005)
लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स एंड पॉलिटिकल साइंस की मानद फैलोशिप (2007)
पद्म विभूषण (भारत सरकार का दूसरा सर्वोच्च नागरिक सम्मान, 2008)
इटालियन गणराज्य के ऑर्ड ऑफ मेरिट के ‘ग्रैंड ऑफिसर’ का पुरस्कार (इटली सरकार, 2009)
मानद नाइट कमांडर ऑफ द ऑडर ऑफ द ब्रिटिश एम्पायर, यूनाइटेड किंगडम (2009) की उपाधि
ओस्लो बिजनेस फॉर पीस अवॉर्ड (बिजनेस फॉर पीस फाउंडेशन 2010)
ऑर्डर ऑफ द ब्रिटिश एम्पायर नाइट ग्रैंड क्रॉस (2014)

सादगी की मिसाल कहे जाते थे रतन टाटा

रतन टाटा को लेकर उनकी सादगी की भी खूब चर्चा होती है। टाटा ग्रुप के कर्मचारियों सहित आम लोगों में भी उनकी यही छवि दिलों को छूती रही थी। टाटा ग्रुप में तो उनकी सादगी के कई किस्से मशहूर हैं। वक्त की पाबंदी के लिए भी वे जाने जाते थे। दिखावे से भी काफी दूर रहा करते थे। रतन टाटा अपनी कमाई का बड़ा हिस्सा ‘टाटा ट्रस्ट’ सहित अन्य संस्थाओं को कर दिया करते थे।

RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Most Popular

Recent Comments

मनोज मोहन on कहानीः याद 
प्रकाश on कहानीः याद 
योगेंद्र आहूजा on कहानीः याद 
प्रज्ञा विश्नोई on कहानीः याद 
डॉ उर्वशी on एक जासूसी कथा