Homeभारतरामेश्वरम कैफे ब्लास्ट केस में 4 आरोपियों के खिलाफ NIA की चार्जशीट...

रामेश्वरम कैफे ब्लास्ट केस में 4 आरोपियों के खिलाफ NIA की चार्जशीट दायर, ISIS कनेक्शन सहित चौंकाने वाले खुलासे

बेंगलुरु: राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने बेंगलुरु के रामेश्वरम कैफे ब्लास्ट मामले में 9 सितंबर (सोमवार) को चार आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट दायर किया है। जांच एजेंसी ने अपने आरोप पत्र में कहा है कि मुख्य आरोपी मुसाविर हुसैन शाजिब (बम लगाने वाला व्यक्ति) और अब्दुल मथीन अहमद ताहा ISIS मॉड्यूल का हिस्सा थे और पिछले चार वर्षों से फरार हैं। ये दोनों अल हिंद मॉड्यूल का हिस्सा थे, जिसका भंडाफोड़ पहले कर्नाटक पुलिस ने किया था।

चार्जशीट के अनुसार शाजिब और ताहा के अलावा अन्य दो की पहचान माज मुनीर अहमद और मुजम्मिल शरीफ के रूप में की गई है। इन चारों के खिलाफ आईपीसी की विभिन्न धाराओं, गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम, विस्फोटक पदार्थ अधिनियम और पीडीएलपी अधिनियम के तहत आरोप पत्र दायर किया गया है। इन चारों को पहले ही गिरफ्तार किया गया था और वर्तमान में ये न्यायिक हिरासत में हैं।

चार्जशीट में एनआईए ने क्या दावा किया है?

दअसल, इसी साल 1 मार्च को आईटीपीएल बेंगलुरु के ब्रुकफील्ड में रामेश्वरम कैफे में आईईडी धमाके हुए थे। इस घटना में नौ लोग घायल हुए थे। साथ ही होटल की संपत्ति को काफी नुकसान हुआ। एनआईए ने 3 मार्च को मामले की जांच शुरू की थी। एजेंसी ने विभिन्न राज्य के पुलिस बलों सहित अन्य एजेंसियों के साथ कई तकनीकी और क्षेत्रीय स्तर पर जांच की।

जांच में जो बातें सामने आई, उसके मुताबिक शाजिब ही वह शख्स था जिसने कैफे में बम रखा था। अल-हिंद मॉड्यूल का भंडाफोड़ होने के बाद वह ताहा के साथ 2020 से फरार था। कर्नाटक के शिवमोग्गा जिले के रहने वाले ये दोनों ISIS से जुड़े रहे हैं। ये दोनों माज मुनीर अहमद और मुजम्मिल शरीफ सहित कई मुस्लिम युवकों को ISIS की कट्टर विचारधारा से जोड़ने में सक्रिय रूप से शामिल रहे हैं।

डार्कवेब से हासिल किए भारतीय पहचान पत्र

एनआईए की चार्जशीट के अनुसार ताहा और शाजिब ने धोखाधड़ी से भारतीय सिम कार्ड और बैंक खाते हासिल किए। इन्होंने डार्क वेब से कई भारतीय और बांग्लादेशी पहचान पत्रों के दस्तावेज हासिल किए और इसका इस्तेमाल भी किया गया। जांच में ये भी सामने आया है कि ताहा को आतंकी शोएब अहमद मिर्जा ने मोहम्मद शहीद फैसल से मिलवाया था, जो लश्कर के बेंगलुरु मॉड्यूल मामले में फरार है। ताहा ने फिर अपने हैंडलर फैसल को महबूब पाशा, अमीर खाजा मोहिदीन और बाद में माज मुनीर अहमद से मिलवाया।

क्रिप्टो करेंसी के जरिए दिए गए फंड

ताहा और शाजिब को अपने हैंडलर से क्रिप्टो करेंसी के जरिए फंड मिला था जिसे उसने विभिन्न टेलीग्राम आधारित पी2पी प्लेटफॉर्म की मदद से फिएट में बदल दिया। जांच में ये बात भी सामने आई है कि आरोपियों ने बेंगलुरु में अलग-अलग जगहों पर हुई हिंसा को अंजाम देने के लिए इन फंड का इस्तेमाल किया। इसमें 22 जनवरी 2024 को अयोध्या में प्राण प्रतिष्ठा समारोह के दिन बेंगलुरु के मल्लेश्वरम स्थित भाजपा कार्यालय पर एक आईईडी हमला भी शामिल है, जो असफल रहा था।

एएनआई की जांच में इन सभी का हैंडलर एक ‘कर्नल’ नाम से शख्स सामने आ रहा है। पूछताछ और जांच में कई मौकों पर ‘कर्नल’ नाम का जिक्र आया है और यह आरोपियों से एनक्रिप्टेड सोशल मीडिया एप के जरिए ही मिला है।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Recent Comments

मनोज मोहन on कहानीः याद 
प्रकाश on कहानीः याद 
योगेंद्र आहूजा on कहानीः याद 
प्रज्ञा विश्नोई on कहानीः याद 
डॉ उर्वशी on एक जासूसी कथा
Exit mobile version