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राज्यसभा में ‘बिल्स ऑफ लैडिंग, 2025’ विधेयक पारित, 169 साल पुराने औपनिवेशिक कानून की होगी विदाई

नई दिल्लीः मानसून सत्र के पहले ही दिन राज्यसभा ने ‘बिल्स ऑफ लैडिंग 2025’ विधेयक को ध्वनि मत से पारित कर दिया है। यह विधेयक पहले ही लोकसभा से पारित हो चुका है और अब राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद यह कानून का रूप लेगा।

यह ऐतिहासिक विधेयक अधिनियमित होने के बाद, 1856 में लागू हुए औपनिवेशिक ‘भारतीय मालवहन अधिनियम’ की जगह लेगा, जो अब तक भारत में नौवहन से संबंधित दस्तावेज़ों को नियंत्रित करता रहा है।

नया कानून क्यों है अहम?

इस विधेयक का उद्देश्य भारत में शिपिंग और समुद्री व्यापार से जुड़े दस्तावेजीकरण को सरल, स्पष्ट और विवादमुक्त बनाना है। यह विधेयक व्यापार अनुकूल भाषा, वाहकों और पोत-धारकों के अधिकारों की स्पष्ट व्याख्या, और अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप प्रावधानों के ज़रिए भारत की वैश्विक व्यापार प्रतिस्पर्धा को मजबूती प्रदान करेगा।

सर्बानंद सोनोवाल ने विधेयक पर चर्चा के दौरान कहा,“यह केवल एक कानूनी परिवर्तन नहीं है, बल्कि भारत को 2047 तक एक विकसित राष्ट्र बनाने के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के दृष्टिकोण का भी हिस्सा है। यह विधेयक हमारे कानूनी तंत्र को गति, पैमाने और समकालीन आवश्यकता के अनुरूप ढालने की दिशा में एक ठोस पहल है।”

उन्होंने आगे कहा कि यह सही समय है जब हम औपनिवेशिक और संविधान-पूर्व कानूनों के अवशेषों को पीछे छोड़ें और ऐसे कानून अपनाएं जो हमारे अपने लोगों द्वारा बनाए गए हों, आधुनिक हों और ‘स्वर्णिम भारत’ की दिशा में देश को अग्रसर करें।

नए कानून की प्रमुख विशेषताएँ और लाभ

यह नया कानून पुरानी और जटिल शब्दावली के स्थान पर स्पष्ट और व्यापार-अनुकूल भाषा का प्रयोग करता है। यह वाहकों (carriers), पोत वाहकों (vessel carriers) और वैध धारकों (legitimate holders) के अधिकारों और दायित्वों को सुव्यवस्थित करेगा, जिससे शिपिंग दस्तावेजों में अस्पष्टता कम होगी और मुकदमेबाजी का जोखिम भी कम होगा। साथ ही, यह अंतरराष्ट्रीय मानदंडों के साथ तालमेल बिठाकर वैश्विक व्यापार में भारत की स्थिति को मजबूत करेगा।

यह विधेयक पुराने कानून का नाम बदलकर भारत के औपनिवेशिक अतीत से एक निर्णायक कदम का प्रतीक है। यह कानूनी भाषा को सरल बनाता है, जटिल प्रावधानों का पुनर्गठन करता है और एक सक्षमकारी खंड प्रस्तुत करता है, जो केंद्र सरकार को प्रभावी कार्यान्वयन के लिए निर्देश जारी करने का अधिकार देता है।

सर्बानंद सोनोवाल ने सदन के सदस्यों से विधेयक पारित करने का आह्वान करते हुए कहा कि ‘द बिल्स ऑफ लैडिंग, 2025’ विधेयक हमारे संवैधानिक मूल्यों को दर्शाता है और पुराने औपनिवेशिक कानूनों को एक आधुनिक, सुलभ ढांचे से बदलने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि जैसे-जैसे हमारा समुद्री क्षेत्र तेजी से विस्तार कर रहा है, यह सुधार व्यापार को आसान बनाएगा, विवादों को कम करेगा और भारत की वैश्विक व्यापार स्थिति को मजबूत करेगा।

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