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सेना पर टिप्पणी मामले में कोर्ट में सरेंडर के बाद राहुल गांधी को मिली जमानत

लखनऊः कांग्रेस सांसद राहुल गांधी को लखनऊ की एमपी-एमएलए स्पेशल कोर्ट ने मंगलवार को बड़ी राहत दी। अदालत ने 2022 में भारत जोड़ो यात्रा के दौरान भारतीय सेना पर दिए गए कथित अपमानजनक बयान के मामले में उन्हें जमानत दे दी। राहुल गांधी ने इस मामले में अदालत में स्वयं उपस्थित होकर औपचारिक रूप से सरेंडर किया, जिसके बाद उनकी जमानत याचिका स्वीकार कर ली गई।

अदालत ने जमानत की शर्तों के तहत बीस-बीस हजार रुपए की दो जमानतें दाखिल करने का निर्देश दिया, जिसके बाद राहुल गांधी को रिहा कर दिया गया। सुनवाई के दौरान कोर्ट कक्ष वकीलों से खचाखच भरा हुआ था। प्रक्रिया के दौरान राहुल गांधी को न्यायाधीश के कक्ष में ले जाया गया, जहां जमानत की औपचारिकताएं पूरी की गईं।

क्या है मामला?

यह मामला भारत जोड़ो यात्रा के दौरान 16 दिसंबर, 2022 को दिए गए एक बयान से जुड़ा है। राहुल गांधी ने तब अरुणाचल प्रदेश में भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच झड़प को लेकर कहा था, “लोग भारत जोड़ो यात्रा के बारे में तो पूछेंगे, लेकिन हमारे सैनिकों को चीनी सैनिकों द्वारा पीटे जाने पर कोई सवाल नहीं करेगा।”

इस बयान को लेकर बॉर्डर रोड्स ऑर्गनाइजेशन (BRO) के पूर्व निदेशक और सेना में कर्नल रैंक के समकक्ष अधिकारी उदय शंकर श्रीवास्तव ने मानहानि की शिकायत दर्ज कराई थी। उनका कहना था कि राहुल गांधी की यह टिप्पणी न केवल सेना की प्रतिष्ठा को ठेस पहुंचाती है, बल्कि सैनिकों के मनोबल को भी नुकसान पहुंचाती है।

इस शिकायत पर सुनवाई करते हुए विशेष कोर्ट ने राहुल गांधी को आरोपी के तौर पर समन जारी किया था। राहुल गांधी ने इससे पहले इलाहाबाद हाईकोर्ट से राहत पाने की कोशिश की थी, लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिली थी।

अजय राय और अविनाश पांडे के साथ कोर्ट पहुंचे राहुल गांधी

मंगलवार को राहुल गांधी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष अजय राय और प्रभारी अविनाश पांडे के साथ कोर्ट पहुंचे। पूरे मार्ग और कोर्ट परिसर में सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए थे। कांग्रेस नेताओं के अनुसार, राहुल गांधी दोपहर बाद दिल्ली लौट गए। बताया गया कि वे जल्द ही वह अपनी रायबरेली लोकसभा सीट का भी दौरा कर सकते हैं।

सरकार के एक वरिष्ठ वकील ने बताया कि राहुल गांधी के खिलाफ मानहानि की कार्यवाही जारी रहेगी और आगे की सुनवाई में यह देखा जाएगा कि क्या उनकी टिप्पणी जानबूझकर की गई थी और क्या वह सेना की छवि को नुकसान पहुंचाने के उद्देश्य से थी।

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