Friday, October 10, 2025
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आर. चिदंबरम: पोखरण परमाणु परीक्षणों में थी बड़ी भूमिका, 17 साल तक रहे प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार

मुंबई: देश के पूर्व प्रमुख वैज्ञानिक सलाहकार डॉ. राजगोपाल चिदंबरम का शनिवार को 88 वर्ष की उम्र में निधन हो गया। उन्होंने शनिवार तड़के 3.20 बजे मुंबई के जसलोक अस्पताल में अंतिम सांस ली। पीएम मोदी ने आर. चिदंबरम के निधन पर दुख जताते हुए कहा कि उनके प्रयास आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करेंगे।

भारत के पोखरण परमाणु परीक्षणों के मुख्य वास्तुकार रहे डॉ. चिदंबरम ने 1974 में बॉम्बे से पोखरण तक प्लूटोनियम ले जाने वाले सैन्य ट्रक में यात्रा की थी। इंडिया राइजिंग मेमोयर ऑफ ए साइंटिस्ट में उन्होंने इसका खुलासा किया था। इस वाकये को 1974 और 1998 के बीच गुप्त रखा गया था।

डॉ. राजगोपाल चिदंबरम: परमाणु परीक्षणों में अहम भूमिक

11 नवंबर, 1936 को चेन्नई में जन्मे डॉ. राजगोपाल चिदंबरम को भारत के परमाणु हथियार कार्यक्रम में अहम भूमिका के लिए जाना जाता है। उन्होंने पोखरण-1 (1975) और पोखरण-2 (1998) के परमाणु परीक्षणों में अहम भूमिका निभाई थी। चिदंबरम को साल 1975 और साल 1999 में पद्म श्री और पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया था। वह भारत सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार भी रहे।

परमाणु ऊर्जा विभाग ने एक बयान में कहा, ‘प्रख्यात भौतिक विज्ञानी और भारत के सबसे प्रतिष्ठित वैज्ञानिकों में से एक डॉ. राजगोपाला चिदंबरम का आज सुबह (4 जनवरी 2025) 3:20 बजे निधन हो गया। भारत की वैज्ञानिक और रणनीतिक क्षमताओं में डॉ. चिदंबरम के अद्वितीय योगदान और विज्ञान और प्रौद्योगिकी में उनके दूरदर्शी नेतृत्व को हमेशा याद किया जाएगा।’

कई अहम पदों पर किया काम

डॉ. चिदंबरम ने अपने करियर में कई भूमिकाएँ निभाईं। इसमें भारत सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार (2002-2018), भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र के निदेशक (1990-1993), परमाणु ऊर्जा आयोग के अध्यक्ष और भारत सरकार के सचिव, परमाणु ऊर्जा विभाग (1993-2000) जैसी जिम्मेदारियां शामिल हैं। इसके अलावा वे अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA) के बोर्ड ऑफ गवर्नर्स के अध्यक्ष (1994-1995) भी रहे थे।

पीएम मोदी ने डॉ. चिदंबरम को कैसे किया याद?

पीएम मोदी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट में लिखा, ‘डॉ. राजगोपाल चिदंबरम के निधन से बहुत दुख हुआ। वे भारत के परमाणु कार्यक्रम के प्रमुख वास्तुकारों में से एक थे और उन्होंने भारत की वैज्ञानिक और सामरिक क्षमताओं को मजबूत करने में महत्वपूर्ण योगदान दिया। उन्हें पूरा देश कृतज्ञता के साथ याद करेगा और उनके प्रयास आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करेंगे।’

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