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अमेरिका: 73 साल की पंजाबी दादी की गिरफ्तारी से मचा बवाल, रिहाई के लिए निकाली गई रैली

73 वर्षीय हरजीत कौर को अमेरिका में हिरासत में लिया गया। वह 1992 में भारत से अमेरिका गई थीं। उनके समर्थन में एक रैली निकाली गई।

कैलिफोर्नियाः अमेरिका के कैलिफोर्निया में रहने वाली 73 वर्षीय पंजाबी दादी को अमेरिकी आव्रजन और सीमा शुल्क प्रवर्तन (ICE) द्वारा हिरासत में लिया गया। वह बीते तीन दशकों से ज्यादा समय से कैलिफोर्निया के पूर्वी खाड़ी में रह रहीं थीं। बीते सप्ताह नियमित जांच के दौरान उन्हें हिरासत में लिया गया था जिसके बाद आक्रोश का सामना करना पड़ रहा है। उनकी रिहाई के लिए रैलियों का आयोजन हो रहा है।

73 वर्षीय हरजीत कौर लंबे समय से हरक्यूलिस में रह रही हैं और उनके खिलाफ कोई आधिकारिक मुकदमा नहीं है। इंडियन एक्सप्रेस के उनके परिवार के हवाले से लिखा कि उन्हें 8 सितंबर को सैन फ्रांसिस्को स्थित आईसीई कार्यालय में कागजी कार्रवाई हेतु बुलाया गया। यहां पर उन्हें अप्रत्याशित रूप से गिरफ्तार कर लिया गया और अगले दिन बेकर्सफील्ड स्थित मेसा वर्डे आईसीई प्रोसेसिंग सेंटर में भेज दिया गया।

1992 में अमेरिका आईं थी हरजीत कौर

हरजीत कौर साल 1992 में अमेरिका आई थीं। वह अपने दो बच्चों के साथ अमेरिका में बस गईं। साल 2012 में उनकी शरण का दावा खारिज होने के बाद से वह आईसीई की निगरानी में हैं।

शुक्रवार को उनकी रिहाई के लिए एक रैली निकाली गई जिसमें उनकी पोती सुखदीप कौर ने कहा कि “वह कोई अपराधी नहीं हैं। और वह सिर्फ मेरी दादी नहीं है। वह सभी की दादी हैं।” सुखदीप ने आगे कहा “हर कोई उन्हें एक मां के रूप में देखता है…वह स्वतंत्र, निस्वार्थ, मेहनती हैं।”

इस रैली में उनकी रिहाई के लिए करीब 200 लोग एल सोब्रांतो में सिख गुरुद्वारे के पास जुटे। इस दौरान प्रदर्नश कर रहे लोगों ने “दादी मां को घर लाओ” और “हमारी दादी मां से हाथ हटाओ” लिखी तख्तियां लहराईं। यह प्रदर्शन करीब दो घंटे चला। उनके समर्थन में वहां से गुजर रही गाड़ियों ने हॉर्न बजाया।

हरजीत कौर के परिवार ने इंडिविजिबल वेस्ट कोन्ट्रा कोस्टा और सिख सेंटर के साथ मिलकर रैली का आयोजन किया। इस रैली में स्थानीय नेताओं ने भी हिस्सा लिया जिसमें कांग्रेसी जॉन गारमेंडी कार्यालय के कर्मचारी और हरक्यूलिस सिटी काउंसिल सदस्य दिल्ली भट्टाराई भी शामिल थे।

भट्टाराई ने रिचमंडसाइड से बात करते हुए कहा “वह समुदाय को कोई नुकसान नहीं पहुंचा रही हैं। वह भी हमारी तरह स्थायी मतदाता हैं। “

समर्थन में उतरे युवा

हरजीत कौर ने बर्कले में करीब 20 सालों तक एक दुकान, साड़ी पैलेस में सिलाई का काम किया। प्रदर्शन के दौरान जो युवा उन्हें सिर्फ दुकान के जरिए ही जानते थे, वे भी उन्हें “दादी” कहकर पुकारने लगे।

कौर की बहू मंजीत कौर ने भीड़ को रोते हुए संबोधित किया। उन्होंने कहा “मुझे उम्मीद है कि हमारे डर सच न हों। मैं पार्थना कर रही हूं कि वह वहां सहीं हों। वह मेरे लिए सबकुछ हैं।”

उन्होंने इस दौरान यह भी याद दिलाया कि उनकी सास ने कभी भी निर्वासन का विरोध नहीं किया। उनके मुताबिक, कौर ने भारतीय वाणिज्य दूतावास से बार-बार यात्रा दस्तावेज मांगे, लेकिन उन्हें देने से इंकार कर दिया गया। उन्होंने बताया कि खुद आईसीई ने उन्हें इसके लिए आश्वासन दिया था कि दस्तावेज जारी होने तक वह निगरानी में रह सकती हैं।

मंजीत कौर ने आगे कहा कि आईसीई पिछले 13 साल से उन्हें यात्रा दस्तावेज दिलाने की कोशिश कर रहा है। उन्होंने कहा कि अगर आईसीई 13 सालों में उन्हें यह नहीं दिला सका तो हम कैसे दिलाएंगे?

परिवार के लोगों ने बताया कि उनकी सेहत सही नहीं है। उन्हें थॉयराइड, माइग्रेन की समस्या है। इसके साथ ही घुटनों में दर्द और चिंता से भी परेशान हैं। रिश्तेदारों ने दावा किया कि उन्हें मेसा वर्डे में उनकी दवाइयां भी नहीं उपलब्ध कराई जा रही हैं।

कैलिफोर्निया राज्य विधानसभा के सदस्य एलेक्स ली ने भी उनका समर्थन किया है और कहा कि हरजीत कौर सही तरीके से काम कर रही हैं और उनके साथ बुरा व्यवहार नहीं किया जाना चाहिए।

इस बीच हरजीत के परिवार ने उनके लिए एक कैंपेन वेबसाइट लांच की है। इसका नाम bringharjithome.com रखा गया है। इसके जरिए उनके समर्थकों से चुने गए अधिकारियों से संपर्क करने का आग्रह किया गया है।

अमरेन्द्र यादव
लखनऊ विश्वविद्यालय से राजनीति शास्त्र में स्नातक करने के बाद जामिया मिल्लिया इस्लामिया से पत्रकारिता की पढ़ाई। जागरण न्यू मीडिया में बतौर कंटेंट राइटर काम करने के बाद 'बोले भारत' में कॉपी राइटर के रूप में कार्यरत...सीखना निरंतर जारी है...

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