पंजाब में अगस्त के अंतिम सप्ताह में आई भीषण बाढ़ को केंद्र सरकार ने ‘गंभीर प्रकृति की आपदा’ घोषित किया है। इस घोषणा के बाद, राज्य सरकार को बाढ़ से हुए नुकसान का आकलन करने के लिए तीन महीने के भीतर एक विस्तृत रिपोर्ट केंद्र को सौंपने को कहा गया है। इसके आधार पर राज्य आपदा प्रतिक्रिया कोष (एसडीआरएफ) और राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया कोष (एनडीआरएफ) से वित्तीय सहायता उपलब्ध कराई जाएगी।
केंद्रीय गृह मंत्रालय ने 16 सितंबर को पंजाब सरकार को इस फैसले की जानकारी दी। बता दें कि ‘गंभीर प्रकृति की आपदा’ घोषित होने पर राज्य आपदा प्रतिक्रिया कोष के अलावा, एक अंतर-मंत्रालयी टीम के दौरे और मूल्यांकन के बाद एनडीआरएफ से भी अतिरिक्त वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है।
पंजाब के मुख्य सचिव केएपी सिन्हा ने एक बैठक कर सभी विभागों और उपायुक्तों को एक विस्तृत मूल्यांकन रिपोर्ट तैयार करने के निर्देश दिए हैं। इस रिपोर्ट के आधार पर ही केंद्र से मिलने वाली सहायता राशि तय होगी। केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह और जितिन प्रसाद पहले ही पठानकोट और गुरदासपुर के बाढ़ प्रभावित इलाकों का दौरा कर नुकसान का जायजा ले चुके हैं।
गौरतलब है कि 28 अगस्त को हुई भारी बारिश के कारण रणजीत सागर बांध के डाउनस्ट्रीम में रावी नदी पर बने माधोपुर बैराज के 54 में से दो गेट टूट गए थे। इससे पठानकोट और गुरदासपुर जिलों में भयंकर बाढ़ आ गई, जिससे गाँव, फसलें और बुनियादी ढाँचा बुरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गए। सेना को मौके पर तैनात 50 कर्मचारियों को बचाना पड़ा, वहीं बैराज के पास की एक इमारत भी पानी के दबाव से ढह गई।
मुख्यमंत्री भगवंत मान ने एक एनडीटीवी से बात करते हुए कहा कि ‘इस बाढ़ से करीब 2,300 गांव और 20 लाख लोग प्रभावित हुए। खेत, घर, सड़कें, ट्रैक्टर और पशुधन बह गए।’ अब तक कम से कम 56 लोगों की मौत की पुष्टि हुई है, जबकि फसलों को व्यापक नुकसान पहुंचा है। शुरुआती अनुमान के मुताबिक राज्य को 13,500 करोड़ रुपये से अधिक का नुकसान हुआ है।
तीन अधिकारी निलंबित, यह वजह रही
इस बीच जल संसाधन विभाग के प्रमुख सचिव, कृष्ण कुमार ने एक्जीक्यूटिव इंजीनियर नितिन सूद, सब-डिविजनल ऑफिसर अरुण कुमार और जूनियर इंजीनियर सचिन ठाकुर को निलंबित कर दिया है। इन अधिकारियों पर 26 और 27 अगस्त की रात को रणजीत सागर बांध से 2.12 लाख क्यूसेक पानी छोड़े जाने के दौरान बैराज के गेट सही समय पर न खोलने का आरोप है।
इस घटना के बाद राज्य के जल संसाधन मंत्री बरिंदर गोयल ने कहा था कि सरकार ने गेटों की मजबूती जाँचने के लिए एक निजी कंपनी ‘लेवल 9 बिज प्राइवेट लिमिटेड’ को काम पर रखा था। कंपनी ने अपनी दिसंबर 2024 की रिपोर्ट में गेट्स को पूरी तरह ठीक बताया था, जबकि हकीकत में ऐसा नहीं था। सरकार ने कंपनी को कारण बताओ नोटिस जारी किया है।
वहीं, केंद्रीय रेल राज्य मंत्री रवनीत सिंह बिट्टू ने केवल तीन अधिकारियों के निलंबन को नाकाफी बताते हुए पंजाब के जल संसाधन मंत्री बरिंदर गोयल के इस्तीफे की मांग की है। उन्होंने मुख्यमंत्री भगवंत मान और मंत्री दोनों को इस घोर लापरवाही के लिए जवाबदेह ठहराने की बात कही है।
1988 की बाढ़ की तुलना में इसबार 20% ज्यादा पानी आया
पंजाब के जल संसाधन मंत्री बरिंदर गोयल ने दावा किया कि रावी नदी में बाढ़ का मुख्य कारण जम्मू-कश्मीर और हिमाचल प्रदेश से आने वाले अनियंत्रित जल स्रोत और नाले थे। उन्होंने कहा कि 1988 की बाढ़ में रावी में 11.21 लाख क्यूसेक पानी था, जबकि इस बार यह 14.11 लाख क्यूसेक तक पहुँच गया था, जो दिखाता है कि इस बार 20% ज्यादा पानी आया।
हालांकि, पूर्व मुख्य अभियंता अमरजीत सिंह दुल्लेट ने कहा कि पंजाब में 70% बाढ़ मानव निर्मित है। उन्होंने माधोपुर हेडवर्क्स की घटना को पूरी तरह से लापरवाही बताया, क्योंकि 1988 की भीषण बाढ़ में भी गेट नहीं टूटे थे। उन्होंने कहा कि गेटों का रखरखाव और उन्हें सही समय पर न खोलना ही इस बर्बादी का कारण बना।
मंत्री गोयल ने केंद्र सरकार पर मदद न करने का आरोप लगाया है। उन्होंने आरोप लगाया कि केंद्र ने केवल 1,600 करोड़ रुपये का अनुदान दिया, जबकि राज्य को 20,000 करोड़ रुपये की विशेष सहायता की जरूरत है। उन्होंने अवैध खनन को बाढ़ का कारण बताने वाले आरोपों को भी खारिज किया। अधिकारियों ने कहा कि जलवायु परिवर्तन अब एक काल्पनिक विषय नहीं है और पंजाब जैसे राज्यों को इसके प्रभाव का अध्ययन करने और पानी के बेहतर प्रबंधन के लिए दुनिया के शीर्ष विशेषज्ञों को एक साथ लाने की आवश्यकता है।