Wednesday, September 10, 2025
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पंजाब के सभी जिले बाढ़ की चपेट में, 11.7 लाख हेक्टेयर से ज्यादा कृषि भूमि तबाह, भगवंत मान ने केंद्र को लिखा पत्र

मुख्यमंत्री भगवंत मान ने कहा कि प्राकृतिक आपदा से फसलों को हुए नुकसान के लिए किसानों को प्रति एकड़ दिया जाने वाला मुआवजा बहुत कम है। उन्होंने केंद्र से मांग की कि किसानों को कम से कम 50,000 रुपये प्रति एकड़ का मुआवजा दिया जाए।

Punjab floods: पंजाब इस समय हाल के वर्षों की सबसे भयानक बाढ़ का सामना कर रहा है। राज्य के सभी 23 जिलों को बाढ़ प्रभावित घोषित कर दिया गया है। सीएम भगवंत मान ने बताया कि भारी बारिश और डैमों से पानी छोड़े जाने के कारण 10 से अधिक जिलों में बाढ़ की स्थिति गंभीर है।

शुक्रवार तक के आंकड़ों के अनुसार, 1,902 गाँव पानी में डूब गए हैं, 3.8 लाख से अधिक लोग प्रभावित हुए है जबकि 11.7 लाख हेक्टेयर से ज्यादा कृषि भूमि तबाह हो गई है। इस आपदा में कम से कम 43 लोगों की जान चली गई है।

सबसे ज्यादा प्रभावित उत्तरी जिला गुरदासपुर है, जहाँ 329 गाँव और 1.45 लाख लोग बाढ़ की चपेट में हैं, और 40,000 हेक्टेयर खेत डूब गए हैं। पड़ोसी देश पाकिस्तान का पंजाब प्रांत भी इस बाढ़ से अछूता नहीं है। वहाँ भी कम से कम 43 लोगों की मौत हुई है और 9 लाख से ज्यादा लोग विस्थापित हुए हैं।

सतलज नदी में तेज बहाव के कारण लुधियाना जिले के पूर्वी हिस्से में एक तटबंध पर भारी दबाव पड़ रहा है, जिसके बाद जिला प्रशासन ने अलर्ट जारी किया है। अधिकारियों ने शुक्रवार को बताया कि अगर यह तटबंध और कमजोर होकर टूटता है तो ससरली, बूंट, रावत, हवास, सीरा, बूथगढ़, मांगली टांडा, ढेरी, ख्वाजके, खस्सी खुर्द, मांगली कादर, माटेवारा, मंगत और मेहरबान जैसे कई गांवों में बाढ़ आ सकती है।

प्रशासन ने निवासियों को सतर्क रहने के साथ-साथ संभव हो तो ऊपरी मंजिलों पर चले जाने और निचले या एक मंजिला घरों में रहने वालों को अस्थायी रूप से सुरक्षित आश्रयों में चले जाने की सलाह दी है।

राहत केंद्र राहोण (घोन्सगढ़), चंडीगढ़ और टिब्बा रोड पर स्थित सत्संग घरों के साथ-साथ कैलाश नगर, खस्सी कलां, भुखरी और माटेवारा के स्कूलों और मंडियों में स्थापित किए गए हैं। वहीं, प्रशासन ने लोगों से अपील की है कि वे अपने ज़रूरी दस्तावेजों को वाटरप्रूफ बैग में सुरक्षित रखें और यह सुनिश्चित करें कि बुजुर्गों, बच्चों और बीमार लोगों को सबसे पहले सुरक्षित स्थानों पर पहुँचाया जाए।

भगवंत मान ने की किसानों के लिए 50,000 प्रति एकड़ मुआवजे की मांग

पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने बाढ़ से हुए नुकसान के लिए केंद्र सरकार से राहत राशि बढ़ाने की मांग की है। मंगलवार को नाव में बैठकर फिरोजपुर जिले के बाढ़ प्रभावित इलाकों का जायजा लेने के बाद उन्होंने कहा कि मौजूदा मुआवजा राशि किसानों और पशुपालकों के नुकसान की भरपाई के लिए बहुत कम है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि प्राकृतिक आपदा से फसलों को हुए नुकसान के लिए किसानों को प्रति एकड़ दिया जाने वाला मुआवजा बहुत कम है। उन्होंने केंद्र से मांग की कि किसानों को कम से कम 50,000 रुपये प्रति एकड़ का मुआवजा दिया जाए, क्योंकि फसल उगाने में उनकी लागत बहुत बढ़ गई है।

मान ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर मृतकों के परिवारों के लिए मुआवजे की राशि 4 लाख से बढ़ाकर 8 लाख रुपये करने का आग्रह किया है। इसके अलावा, उन्होंने 40 से 60 प्रतिशत दिव्यांगता के लिए मुआवजे की राशि को 74,000 रुपये से बढ़ाकर 1.50 लाख रुपये और 60 प्रतिशत से अधिक दिव्यांगता के लिए 2.50 लाख से बढ़ाकर 5 लाख रुपये करने की भी मांग की है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि वह समय-समय पर केंद्र सरकार के सामने यह मुद्दा उठाते रहे हैं। उन्होंने बताया कि सोमवार को प्रधानमंत्री मोदी और गृहमंत्री अमित शाह ने उन्हें फोन किया था, जिसके बाद उन्होंने उन्हें पूरी स्थिति से अवगत कराया। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार पीड़ितों की मदद करने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है, लेकिन केंद्र सरकार द्वारा लगाए गए कुछ नियम इसमें बाधा डाल रहे हैं, जो दुर्भाग्यपूर्ण है। उन्होंने कहा कि केंद्र को इस संकट की घड़ी में उदार रवैया अपनाना चाहिए।

मुख्यमंत्री भगवंत मान ने बताया कि राज्य के 1,300 से अधिक गाँव बाढ़ से प्रभावित हुए हैं और लाखों लोग इसकी चपेट में हैं। उन्होंने कहा कि 10 से अधिक जिलों में बाढ़ की स्थिति गंभीर है। करीब तीन लाख एकड़ से अधिक कृषि भूमि, खासकर धान के खेत, पानी में डूब गए हैं, जिससे किसानों को कटाई से ठीक पहले भारी नुकसान हुआ है। इसके अलावा, बड़े पैमाने पर पशुधन का भी नुकसान हुआ है, जिससे ग्रामीण परिवारों की आजीविका पर गंभीर असर पड़ा है।

क्यों बार-बार डूबता है पंजाब?

पंजाब को पांच नदियों की धरती कहा जाता है। ‘पंज’ मतलब पांच और ‘आब’ मतलब पानी। रावी, ब्यास, सतलज, झेलम, चेनाब बहती हैं। इनमें तीन-रावी, ब्यास और सतलज बारहमासी नदियाँ हैं। इन नदियों की वजह से पंजाब दुनिया के सबसे उपजाऊ क्षेत्रों में से एक है। पंजाब अकेले देश के 20 प्रतिशत गेहूँ और 12 प्रतिशत चावल का उत्पादन करता है। लेकिन मानसून के दौरान यही नदियां पंजाब के लिए अभिशाप भी बन जाती हैं।

जब पंजाब और इसके ऊपरी क्षेत्रों हिमाचल प्रदेश और जम्मू-कश्मीर में भारी बारिश होती है, तो इन नदियों का जलस्तर तेजी से बढ़ जाता है। हालाँकि, नदियों के किनारे ‘धुस्सी बांध’ (मिट्टी के तटबंध) बने हुए हैं लेकिन भारी बारिश के आगे ये भी सरेंडर कर जाते हैं। यही इस साल भी हुआ।

अगस्त में शुरुआती हफ्ते के बाद हिमाचल में जो भारी बारिश हुई, जगह-जगह बादल फटने की घटनाएं हुईं, इससे ब्यास नदी उफान पर आ गई। इसका नतीजा यह हुआ कि कपूरथला, तरनतारन, फिरोजपुर, फाजिल्का और होशियारपुर बाढ़ की चपेट में आ गए।

भाखड़ा ब्यास प्रबंधन बोर्ड (बीबीएमबी) के निदेशक संजीव कुमार ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि इस साल पोंग डैम में पानी की आवक 2023 के मुकाबले 20 प्रतिशत ज्यादा थी, जो एक रिकॉर्ड है। उन्होंने कहा कि ऐसे हालात में डैम की सुरक्षा के लिए पानी छोड़ना ही पड़ता है। हालांकि, पंजाब सरकार का मानना है कि बीबीएमबी, जो केंद्र सरकार के नियंत्रण में है, राज्य के हितों को प्राथमिकता नहीं देता।

पंजाब के जल संसाधन मंत्री बरिंदर कुमार गोयल ने कहा कि यह कहने में कोई झिझक नहीं है कि केंद्र को पंजाब के लोगों की परवाह नहीं है।

विशेषज्ञों का कहना है कि सिर्फ डैम ही नहीं, बल्कि तटबंधों का खराब रखरखाव भी एक बड़ी समस्या है। केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने बाढ़ प्रभावित इलाकों का दौरा करने के बाद कहा कि अवैध खनन से तटबंध कमजोर हुए हैं, और उन्हें मजबूत बनाना बहुत रूरी है।

अनिल शर्मा
अनिल शर्माhttp://bolebharat.in
दिल्ली विश्वविद्यालय से पत्रकारिता में उच्च शिक्षा। 2015 में 'लाइव इंडिया' से इस पेशे में कदम रखा। इसके बाद जनसत्ता और लोकमत जैसे मीडिया संस्थानों में काम करने का अवसर मिला। अब 'बोले भारत' के साथ सफर जारी है...
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