Friday, October 10, 2025
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3 विपक्षी राज्यों के पीएम-श्री योजना में हिस्सा नहीं लेने के बाद केंद्र ने रोका उनका फंड, क्या है पूरा मामला जानें?

नई दिल्लीः शिक्षा मंत्रालय ने दिल्ली, पंजाब और पश्चिम बंगाल को समग्र शिक्षा अभियान (एसएसए) के तहत धनराशि रोक दी है। यह फैसला इसलिए लिया गया क्योंकि इन राज्यों ने प्रधानमंत्री स्कूल्स फॉर राइजिंग इंडिया (पीएम-श्री) योजना में भाग लेने से इनकार कर दिया था।

केंद्र ने स्कूलों को बेहतर बनाने के लिए इस योजना की शुरुआत की थी। इसके तहत केंद्र सरकार राज्य सरकारों को पैसा देती है। इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, पीएम श्री योजना के तहत केंद्र सरकार देश के 14,500 सरकारी स्कूलों को आदर्श स्कूल बनाना चाहती है। इस योजना में केंद्र सरकार खर्च का 60% वहन करेगी और बाकी 40% पैसा राज्य सरकारों को देना होगा।

योजना को लेकर केंद्र और तीन राज्य आमने-सामने

पीएम श्री योजना में शामिल होने के लिए राज्यों को शिक्षा मंत्रालय के साथ एक समझौता (एमओयू) करना होता है। तमिलनाडु और केरल जैसे कुछ राज्यों ने तो एमओयू करने की इच्छा जताई है, लेकिन दिल्ली, पंजाब और पश्चिम बंगाल ने  इनकार कर दिया है। इसी वजह से केंद्र सरकार ने उनको मिलने वाला “समग्र शिक्षा अभियान” का पैसा रोक दिया है।

रिपोर्ट में बताया गया है कि इन राज्यों को पिछले साल अक्टूबर-दिसंबर और जनवरी-मार्च तिमाही का तीसरा और चौथा किश्त, साथ ही इस साल अप्रैल-जून तिमाही का पहला किश्त नहीं मिला है। वहीं, राज्यों का कहना है कि उन्होंने कई बार शिक्षा मंत्रालय को चिट्ठी लिखकर पैसा दिलाने की गुहार लगाई है। उनका दावा है कि दिल्ली को 330 करोड़ रुपये, पंजाब को 515 करोड़ रुपये और पश्चिम बंगाल को 1000 करोड़ रुपये से भी ज्यादा पैसा मिलना बाकी है।

शिक्षा मंत्रालय ने इस बारे में कोई जवाब नहीं दिया है। रिपोर्ट के मुताबिक, शिक्षा मंत्रालय के एक बड़े अधिकारी का कहना है कि ये राज्य “समग्र शिक्षा अभियान” का पैसा लेते रहें और “प्रधानमंत्री स्कूल फॉर राइजिंग इंडिया” योजना में शामिल न हों, ऐसा नहीं चल सकता।

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पीएम-श्री योजना के विरोध में पश्चिम बंगाल क्यों?

दिल्ली और पंजाब ने भाग लेने से मना कर दिया क्योंकि आम आदमी पार्टी शासित ये दोनों राज्य पहले से ही “स्कूल्स ऑफ एमीनेन्स” नामक एक समान योजना चला रहे हैं। पश्चिम बंगाल ने अपने स्कूलों के नाम के आगे “पीएम-श्री” जोड़ने का विरोध किया, खासकर क्योंकि राज्यों को इसकी लागत का 40 प्रतिशत वहन करना पड़ता है।

रिपोर्ट की मानें तो पश्चिम बंगाल के शिक्षा मंत्री ब्रत्य बसु और शिक्षा सचिव मनीष जैन ने मंत्रालय को पत्र लिखकर एसएसए फंड जारी करने की मांग की है। इस बाबत दिल्ली सरकार ने भी केंद्र को पत्र लिखा है। इंडियन एक्सप्रेस ने दस्तावेजों के हवाले से बताया है कि जुलाई 2023 से अब तक केंद्र और पंजाब सरकार के बीच कम से कम पांच पत्रों का आदान-प्रदान हो चुका है। इसमें केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान द्वारा पंजाब के सीएम भगवंत मान को लिखा गया पत्र भी शामिल है, जिसमें राज्य सरकार से इस परियोजना का हिस्सा बनने के लिए कहा गया है और राज्य ने इस योजना से बाहर निकलने के अपने रुख को दोहराया है।

पंजाब ने शुरू में दिखाई दिलचस्पी फिर योजना से किनारा कर लिया

पंजाब ने शुरू में पीएम-श्री योजना को लागू करने का विकल्प चुना था। इसने अक्टूबर 2022 में एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए और जिन स्कूलों को अपग्रेड किया जाना था, उनकी पहचान की गई, लेकिन बाद में राज्य ने इससे किनारा कर लिया।

9 मार्च को धर्मेंद्र प्रधान ने मुख्यमंत्री मान को लिखा कि “पंजाब ने हस्ताक्षरित समझौता ज्ञापन में निर्धारित शर्तों के विपरीत, एकतरफा रूप से पीएम-श्री योजना से बाहर निकलने का विकल्प चुना है”। 15 मार्च को पंजाब के शिक्षा सचिव कमल किशोर यादव ने फिर से केंद्र को बताया कि राज्य इस परियोजना का हिस्सा नहीं बनना चाहता है। उन्होंने लिखा कि राज्य पहले से ही अपने स्वयं के “स्कूल ऑफ एमिनेंस”, “स्कूल ऑफ ब्रिलिएंस” और “स्कूल ऑफ हैप्पीनेस” को लागू कर रहा है, जिन्हें एनईपी के साथ जोड़ा जाएगा।

फंड जारी करने के लिए पंजाब केंद्र से लगा रहा गुहार

पंजाब शिक्षा विभाग के अधिकारी लंबित समग्र शिक्षा अभियान फंड को लेकर पत्र लिख रहे हैं। 18 जनवरी को लिखे पत्र में पंजाब के समग्र शिक्षा राज्य परियोजना निदेशक विनय बुबलानी ने शिक्षा मंत्रालय के संयुक्त सचिव विपिन कुमार को फंड जारी करने का अनुरोध किया, ताकि ‘शेष भुगतान और निर्धारित लक्ष्य समय पर हासिल किए जा सकें।’ पंजाब के मुख्यमंत्री ने 27 मार्च को प्रधान को भी पत्र लिखा, जिसमें कहा गया कि ‘मामला गंभीर होता जा रहा है (और) फंड जारी न होने से स्कूलों में बुनियादी गतिविधियां रुक गई हैं।’

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