Friday, October 10, 2025
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जम्मू-कश्मीर से राष्ट्रपति शासन हटा, उमर अब्दुल्ला होंगे अनुच्छेद 370 निष्प्रभावी होने के बाद पहले मुख्यमंत्री

नई दिल्ली: केन्द्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर से 13 अक्तूबर को राष्ट्रपति शासन हटने की अधिसूचना जारी हुई। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू द्वारा इस आशय का निर्णय रविवार को जारी हुआ। इसी के साथ राज्य में नवनिर्वाचित सरकार के गठन का मार्ग प्रशस्त हो गया।

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू द्वारा हस्ताक्षरित भारत सरकार की अधिसूचना में कहा गया है, “जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम 2019 के अनुभाग 54 के तहत मुख्यमंत्री की नियुक्ति से पहले अनुभाग 73, भारतय संविधान के अनुच्छेद 239 और 239ए द्वारा प्राप्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए 31 अक्तूबर 2019 को जारी केन्द्र शासित प्रदेश जम्म-कश्मीर से सम्बन्धित आदेश तत्काल प्रभाव से आदेश निरस्त किया जाता है।”

जम्मू-कश्मीर विधानसभा के लिए हुए चुनाव के नतीजे आने के बाद राज्य की नेशनल कांफ्रेंस और कांग्रेस के गठबंधन को पूर्ण बहुमत प्राप्त हुआ। नेशनल कांफ्रेंस के उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला ने शुक्रवार को राज्यपाल मनोज सिन्हा से मिलकर सरकार बनाने का दावा पेश किया।

नेशनल कांफ्रेंस के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला ने परिणाम आने के बाद घोषणा की थी कि उनके बेटे और पार्टी उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार होंगे। नेशनल कांफ्रेंस और कांग्रेस के विधायक दल ने उमर अब्दुल्ला को अपना नेता चुना और उसके बाद उन्होंने राज्यपाल से मिलकर सरकार बनाने का दावा पेश किया।

जम्मू-कश्मीर में अगस्त, 2019 से राष्ट्रपति शासन लागू था। पाँच अगस्त 2019 को भारतीय संसद में जम्मू-कश्मीर राज्य को विशेषाधिकार देने वाले भारतीय संविधान के अनुच्छेद 370 और अनुच्छेद 35-ए को तत्काल प्रभाव से निष्प्रभावी करने वाला अधिनियम पारित हुआ था। उसी समय जम्मू-कश्मीर को पूर्ण राज्य के बजाय केन्द्र शासित प्रदेश में परिवर्तित किया गया था।

केन्द्र शासित प्रदेश में कई अहम मामलों में मुख्यमंत्री के अधिकार पर राज्यपाल का सीदा नियंत्रण होता है। पूर्ण राज्य में मुख्यमंत्री के पास ज्यादा अधिकार होते हैं।

जम्मू-कश्मीर चुनाव का परिणाम

जम्मू-कश्मीर की कुल 90 विधानसभा सीटों के लिए हुए चुनाव में नेशनल कांफ्रेंस को सर्वाधिक 42 सीटों पर जीत मिली। भाजपा को कुल 29 सीटों पर विजय मिली। कांग्रेस को छह सीटों पर और महबूबा मुफ्ती की पीडीपी को तीन सीटों पर जीत मिली।

जम्मू-कश्मीर पीपल कांफ्रेंस को एक सीट पर और माकपा को एक सीट पर जीत मिली। सात सीटों पर निर्दलीय उम्मीदवारों को जीत मिली।

जम्म-कश्मीर विधानसभा में बहुमत के लिए 46 सीटों की जरूरत होती है। नेशनल कांफ्रेंस और कांग्रेस ने चुनावपूर्व गठबंधन किया था। इस गठबंधन को पूर्ण बहुमत प्राप्त हुआ।

सीटों के मामले में दूसरे स्थान पर रही भाजपा वोट प्रतिशत के मामले में पहले स्थान पर रही। भाजपा को कुल मतदान का 25.64 प्रतिशत वोट प्राप्त हुए। वहीं नेशनल कांफ्रेंस को 23.43 प्रतिशत और कांग्रेस को 11.9 प्रतिशत वोट प्राप्त हुए। पीडीपी को 8.87 प्रतिशत वोट प्राप्त हुए।

अनुच्छेद 370 और 35ए के निष्प्रभावी होने के बाद जम्मू-कश्मीर में यह पहला चुनाव था। चुनाव प्रचार के दौरान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा था कि उनकी सरकार जम्मू-कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा वापस देगी। पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने भी चुनाव प्रचार के दौरान पूर्ण राज्य का दर्जा वापस दिये जाने की माँग की थी।

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