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राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने ‘एक राष्ट्र-एक चुनाव’ की वकालत की, कहा- शासन में स्थिरता आएगी

नई दिल्लीः राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर राष्ट्र को संबोधित करते हुए सभी देशवासियों को शुभकामनाएं दीं। उन्होंने ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ योजना का समर्थन करते हुए इसे बेहतर शासन, वित्तीय बचत, और नीतिगत स्थिरता सुनिश्चित करने वाला महत्वपूर्ण सुधार बताया। राष्ट्रपति ने कहा कि यह योजना लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के चुनावों को एकसाथ आयोजित करने का उद्देश्य रखती है, जो संसाधनों की बचत के साथ-साथ शासन में निरंतरता लाएगी।

नवउपनिवेशवादी मानसिकता के अंत की दिशा में कदम

राष्ट्रपति ने अपने संबोधन में ब्रिटिश काल के आपराधिक कानूनों को समाप्त कर उनकी जगह नए भारतीय कानून लागू करने की पहल को ऐतिहासिक बताया। उन्होंने कहा, “भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम न्याय को केंद्र में रखते हैं। ये नए कानून महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराधों को रोकने को प्राथमिकता देते हैं।”

उन्होंने इस बदलाव को उपनिवेशवादी मानसिकता से मुक्ति की दिशा में एक बड़ा कदम बताया।

‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ से वित्तीय बोझ कम होगा

राष्ट्रपति मुर्मू ने कहा कि ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ योजना न केवल शासन में स्थिरता लाएगी, बल्कि यह वित्तीय बोझ को कम करेगी, संसाधनों का कुशल उपयोग सुनिश्चित करेगी और नीतिगत गतिरोध को रोकेगी। उन्होंने इसे “दूरदृष्टि और साहस” का कदम बताया, जो देश के विकास को नई दिशा देगा।

राष्ट्रपति ने भारतीय संविधान को देश की सामूहिक पहचान का प्रतीक बताते हुए कहा कि यह भारत को एक परिवार के रूप में जोड़ता है। उन्होंने पिछले 75 वर्षों में भारत की प्रगति का उल्लेख करते हुए कहा कि देश ने गरीबी और भुखमरी के दौर से निकलकर आत्मनिर्भरता हासिल की है।

“संविधान ने समावेशी विकास का मार्ग प्रशस्त किया है, जिससे वंचित वर्गों को भी मुख्यधारा में आने का मौका मिला।” उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा गरीबों के लिए आवास, स्वच्छ पेयजल और अन्य बुनियादी सुविधाओं को सुनिश्चित करने के प्रयास जारी हैं।

महिलाओं की भूमिका और गांधी के आदर्श का जिक्र

राष्ट्रपति ने महिलाओं की भागीदारी पर जोर देते हुए कहा कि भारतीय महिलाओं ने हमेशा से राष्ट्र निर्माण में सक्रिय भूमिका निभाई है। संविधान सभा में 15 महिला सदस्यों का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि आज शिक्षा और अन्य क्षेत्रों में महिलाओं का योगदान बढ़ा है।

महात्मा गांधी के सत्य, अहिंसा और करुणा के आदर्शों का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि पर्यावरण संरक्षण और जलवायु परिवर्तन के खिलाफ लड़ाई में हमें एकजुट होकर काम करना होगा।

राष्ट्रपति ने किसानों और मजदूरों के योगदान की सराहना की और कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था ने वैश्विक परिदृश्य में अपनी मजबूत पहचान बनाई है। हाल के वर्षों में उच्च आर्थिक विकास दर ने रोजगार के अवसर बढ़ाए और लाखों लोगों को गरीबी से बाहर निकाला। उन्होंने डिजिटल भुगतान और वित्तीय समावेशन जैसे सुधारों का जिक्र किया, जो भारतीय नागरिकों के जीवन को बेहतर बना रहे हैं।

महाकुंभ को देश की सांस्कृतिक विरासत का प्रतीक बताया

राष्ट्रपति ने प्रयागराज के महाकुंभ को भारतीय सांस्कृतिक विरासत का प्रतीक बताया। भारतीय परंपराओं और भाषाई विविधता को संरक्षित करने के लिए हो रहे प्रयासों की सराहना की। राष्ट्रपति ने कहा कि भारत ने अंतरिक्ष अनुसंधान, कृत्रिम बुद्धिमत्ता और अन्य तकनीकी क्षेत्रों में उल्लेखनीय प्रगति की है।

राष्ट्रपति ने युवाओं को भारत का भविष्य बताते हुए कहा कि आने वाली पीढ़ियां, विशेष रूप से युवा महिलाएं, देश के विकास को नई ऊंचाई पर ले जाएंगी। उन्होंने कहा कि स्वतंत्रता के शताब्दी वर्ष तक भारत एक और मजबूत और आत्मनिर्भर राष्ट्र के रूप में उभरेगा।

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