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पैसा नहीं तो इलाज नहीं; पुणे में अस्पताल की लापरवाही से गर्भवती महिला की मौत, गर्भ में थे जुड़वा बच्चे

पुणे: महाराष्ट्र के पुणे में एक हैरान करने वाले मामला सामने आया है। बताया जा रहा है कि अस्पताल की तरफ से भर्ती नहीं किए जाने के चलते एक गर्भवती महिला की मौत हो गई है। अस्पताल पर आरोप लगाए जा रहे हैं कि रुपये जमा नहीं करने के कारण अस्पताल ने महिला को भर्ती करने से इनकार कर दिया था, जिसके चलते उनकी मौत हो गई है। मृतका के पति महाराष्ट्र विधान परिषद अमित गोरखे के निजी सचिव हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, तनिषा भिसे 7 महीने की गर्भवती थीं। पुणे के दीनानाथ मंगेश्कर अस्पताल की तरफ से कथित तौर पर भर्ती करने से इनकार करने के बाद उनकी मौत हो गई। खबर है कि तनीषा गर्भावस्था से जुड़ी परेशानियों का सामना कर रही थीं। इसके बाद उन्हें परिवार अस्पताल लेकर गया था।

रिपोर्ट्स के मुताबिक, महिला के पति सुशांत भिसे ने दावा किया है कि अस्पताल ने इलाज के लिए 10 लाख रुपये की मांग की थी। उनकी तरफ से 2.5 लाख रुपये तत्काल देने की बात के बावजूद अस्पताल ने कथित तौर पर महिला का इलाज करने से इनकार कर दिया था। उन्होंने बताया है कि पत्नी के गर्भ में जुड़वा बच्चे पल रहे थे।

महिला की डिलीवरी के बाद मौत 

अब अस्पताल से कथित तौर पर इलाज नहीं मिलने के बाद परिवार उन्हें दूसरे अस्पताल लेकर गया। हालांकि, तनीषा की डिलीवरी के बाद मौत हो गई। उन्होंने अस्पताल पर लापरवाही के आरोप लगाए हैं। उन्होंने कहा, ‘उन लोगों ने जिंदगी से ऊपर रुपयों को प्राथमिकता दी। अगर वह उसे समय पर भर्ती कर लेते, तो उसकी जान बच जाती।’

MLC गोरखे का भी कहना है कि अस्पताल ने भर्ती करने से मना कर दिया था। उन्होंने कहा, ‘मैंने स्वास्थ्य मंत्रालय के ओएसडी से हस्तक्षेप करने के लिए कहा था, लेकिन अस्पताल ने फिर भी महिला को इनकार कर दिया। अन्य अस्पताल खोजने में हुई देरी के चलते हमने उसे खो दिया।’ उन्होंने इस मामले को आगामी सत्र में उठाने की बात कही है।

अस्पताल ने आरोपों का खंडन किया

शिवसेना (उबाठा), कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) समेत विपक्षी दलों के कार्यकर्ताओं ने दीनानाथ मंगेशकर अस्पताल के बाहर विरोध प्रदर्शन किया और यहां तक ​​कि अस्पताल के एक कर्मचारी पर सिक्के भी फेंके।
एमएलसी गोरखे ने बृहस्पतिवार को दावा किया था कि तीन लाख रुपये का तुरंत भुगतान करने के आश्वासन के बावजूद, अस्पताल ने मरीज को भर्ती करने से इनकार कर दिया और यहां तक ​​कि मंत्रालय से फोन करने पर भी उनकी ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली। हालांकि, अस्पताल ने आरोपों का खंडन किया और महिला के परिजन पर ‘भ्रामक जानकारी’ देने का आरोप लगाया। अस्पताल के चिकित्सा निदेशक डॉ. धनंजय केलकर ने कहा कि वे घटना के बारे में एक विस्तृत रिपोर्ट तैयार कर स्वास्थ्य विभाग को सौंपेंगे।

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