Friday, October 10, 2025
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जब काला धुआं सफेद में बदल जाए तब…ऐसे चुने जाएंगे अगले पोप; बेहद दिलचस्प है पूरी प्रक्रिया

दुनियाभर में कैथोलिक ईसाइयों के सबसे बड़े धर्मगुरु पोप फ्रांसिस का सोमवार को निधन हो गया है। 88 वर्षीय पोप को न्यूमोनिया की वजह से लंग्स में इन्फेक्शन भी हुआ था। इसके चलते उन्हें सांस लेने में दिक्कत का सामना करना पड़ रहा था। वे एक महीने से ज्यादा समय तक अस्पताल में भर्ती रहे थे। वेटिकन ने एक वीडियो संदेश में ये जानकारी देते हुए बताया कि रोमन कैथोलिक चर्च के पहले लैटिन अमेरिकी लीडर पोप फ्रांसिस का निधन हो गया है। एक तरफ जहां दुनियाभर में उनके जाने पर शोक मनाया जा रहा है वहीं, यह भी सवाल उठ रहा है कि नया पोप कौन बनेगा? उसका चुनाव कैसे होता है? साथ ही किस नियम के तहत चुनाव प्रक्रिया होती है?

कैसे होता है नए का चुनाव कैसे होता है?

बता दें कि नियमों के तहत 80 साल से कम उम्र के 115 कार्डिनल ही नए पोप के चुनाव में वोट दे सकते हैं। यह चुनाव वेटिकन सिटी के सिस्टीन चैपेल में किया जाता है। पोप पुरुष ही बन सकता है, हालांकि इसके लिए कोई उम्र निर्धारित नहीं की गई है। किसी कार्डिनल को दो-तिहाई वोट मिलने तक मतदान होता है। यह प्रक्रिया तब तक चलती रहती है, जब तक किसी भी कार्डिनल को 77 कार्डिनल्स के वोट नहीं मिल जाते हैं। इसके बाद ही नए पोप का चयन होता है।  

यही वजह है कि इस बात की कोई गारंटी नहीं है कि पहले दिन की वोटिंग में ही नया पोप मिल जाए। यह प्रक्रिया लंबी चल सकती है। चुनाव में गुप्त मतदान के जरिये कागज के मत-पत्रों द्वारा वोटिंग की जाती है। चुनाव के लिए तीन-तीन कार्डिनल्स के तीन समूह बनाए जाते हैं। पहला समूह स्क्रूटनियर्स मत पत्रों को गिनता है। दूसरा समूह रिवाइजर मतों की फिर से गिनती करता है। तीसरा समूह इन्फर्मी अन्य कॉर्डिनल्स से बैलट जमा करता है।

कार्डिनल दिन में चार बार डालते हैं वोट

हर कार्डिनल दिन में चार बार वोट डालते हैं। स्क्रूटनियर बैलट गिनकर दूसरी प्लेट में रखता है। वह यह सुनिश्चित करता है कि सभी कार्डिनल्स ने वोट दे दिए हैं।हर बैलट से एक स्क्रूटनियर नाम नोट करके दूसरे को देता है। दूसरे स्क्रूटनियर भी ऐसा ही करता है। इसके बाद तीसरा स्क्रूटनियर हर कॉर्डिनल का नाम को कॉन्क्लेव में बोलता है। यह प्रक्रिया दो-तिहाई वोट नहीं मिलने तक चलती रहती है। 

धुआं बताता है कौन होगा अगला पोप 

हर चरण की वोटिंग के बाद बैलेट पेपर्स को एक खास केमिकल डालकर जला दिया जाता है, जिससे काला या सफेद धुआं चिमनी से बाहर आता है। चिमनी से काला धुआं निकलने का मतलब है कि चुनाव प्रक्रिया अभी चल रही है। वहीं, पोप का चयन हो जाने के बाद मतपत्रों को दूसरे स्पेशल केमिकल से जलाया जाता है, जिससे चिमनी से सफेद धुंआ निकलता है।

पोप चुनने के बाद कार्डिनल अपने लिए एक नए नाम का चयन करते हैं। इसके बाद ‘नए पोप मिल गए’ की घोषणा होती है और फिर नए पोप पूर्व निर्धारित कपड़े पहनकर बैसिलिका की बालकनी में आते हैं, जहां हजारों बेताब लोग उनकी पहली झलक पाने का इंतजार करते हैं। वह दुनियाभर में बसे करोड़ों कैथोलिक ईसाइयों के धर्मगुरु होते हैं। 

 

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