पटनाः प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार (15 सितंबर) को पूर्णिया जिले में राष्ट्रीय मखाना बोर्ड का उद्घाटन किया। इसकी घोषणा केंद्रीय बजट 2025 में की गई थी। सरकार ने कहा था कि इससे प्रसंस्करण और निर्यात को बढ़ाने में मदद मिलेगी। केंद्र सरकार ने इस क्षेत्र के लिए 475 करोड़ रुपये के विकास पैकेज को मंजूरी दी है।
बोर्ड से उत्पादन मानकों को बढ़ाने, कटाई के बाद के प्रबंधन में सुधार, नई तकनीकों को अपनाने, मूल्य संवर्धन का विस्तार करने और विपणन एवं निर्यात संबंधों को मजबूत करने पर ध्यान केंद्रित करने की उम्मीद है। अधिकारियों का कहना है कि यह निकाय किसान-उत्पादक संगठनों का भी समर्थन करेगा और किसानों को प्रासंगिक केंद्रीय योजनाओं तक पहुंचने में मदद करेगा।
दक्षिण और पूर्वी एशिया में होती है मखाना की खेती
मखाना एक जलीय फसल है, जो दक्षिण और पूर्वी एशिया में मुख्य रूप से होती है। इसके बीज छोटे और गहरे रंग के होते हैं। फोड़ने के बाद ये बीज सफेद हो जाते हैं। इसे “काला हीरा” भी कहा जाता है। भारत के बिहार में खासकर मिथिला क्षेत्र में इसकी खेती मुख्य रूप से होती है।
मखाना में कैलोरी और वसा कम होता है। इसमें प्रोटीन, फाइबर, मैग्नीशियम, पोटैशियम, फास्फोरस और खनिज पाए जाते हैं। इसके साथ ही इसमें एंटी-ऑक्सीडेंट्स भी पाए जाते हैं। इसलिए इसे सुपरफूड कहा जाता है। इन्हीं गुणों के चलते बाजार में मखाना की मांग बढ़ी है।
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मखाना की खेती खासतौर पर तालाबों में की जाती है। किसान पानी में जाकर इसकी फलियां निकालते हैं और इनके बीजों को निकालते हैं। बीज निकालने के बाद इन्हें भुना जाता है। इसकी खेती करना काफी मेहनत का काम है। बिहार के मिथिलांचल और सीमांचल क्षेत्र में लोगों की आजीविका का मुख्य स्रोत है।
बिहार में भारत के मखाना के कुल उत्पादन का करीब 85-90 प्रतिशत होता है। मिथिला के मखाना को जीआई टैग भी दिया गया है। यहां का मखाना विदेशी बाजारों में भी अपनी खास पहचान बना चुका है। इस बीच सरकार तथा निर्यात एजेंसियां भी संयुक्त अरब अमीरात, अमेरिका और पश्चिमी बाजारों सहित अन्य देशों में इसे भेजने की तैयारी कर रही हैं। इसी साल की शुरुआत में मखाना को कनाडा, अमेरिका, न्यूजीलैंड जैसे देशों में भेजा गया है।
मिथिलांचल में रोजगार का मुख्य स्रोत
बिहार के लोगों के लिए मखाना रोजगार का स्रोत बनने के साथ-साथ उन्हें वैश्विक स्तर पर पहचान भी दिला रहा है। ऐसे में इसकी वैश्विक स्तर पर बढ़ती मांग को देखते हुए लोग इसकी खेती करने में रुचि दिखा रहे हैं। इसके अलावा इसके स्टार्टअप भी शुरू किए जा रहे हैं जिससे स्थानीय लोगों को भी रोजगार के अवसर प्राप्त हो रहे हैं।
बिहार विधानसभा चुनाव को देखते हुए मखाना की राजनीति तेज हो गई है। एक ओर जहां सरकार ने मखाना बोर्ड का गठन किया है तो वहीं राहुल गांधी हाल ही में मखाना किसानों से मिले थे। इस दौरान वह मखाना के खेतों में भी उतर गए थे।
गौरतलब है कि बिहार विधानसभा चुनाव अक्टूबर-नवंबर में प्रस्तावित हैं। 243 विधानसभा सीटों के लिए एक ओर इंडिया गठबंधन है और दूसरी ओर एनडीए है।