तियानजिन: सात साल से ज्यादा के लंबे इंतजार के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शनिवार को चीन पहुँचे। यह दौरा ऐसे समय में हो रहा है जब अमेरिका द्वारा लगाए गए टैरिफ (आयात शुल्क) की वजह से भारत और अमेरिका के रिश्तों में थोड़ी खटास आई है।
चीन पहुँचते ही प्रधानमंत्री मोदी ने एक्स पर लिखा, “चीन के तियानजिन में उतरा। शंघाई सहयोग संगठन (SCO) शिखर सम्मेलन की चर्चाओं और दुनिया के कई नेताओं से मिलने का इंतजार है।”
तियांजिन पहुंचने पर प्रधानमंत्री मोदी का होटल में गर्मजोशी से स्वागत किया गया। भारतीय समुदाय ने पारंपरिक सांस्कृतिक प्रस्तुतियों के साथ वंदे मातरम और भारत माता की जय के नारों से माहौल को जोशीला बना दिया।
प्रधानमंत्री मोदी ने इस विशेष स्वागत की तस्वीरें अपने सोशल मीडिया एक्स पर साझा करते हुए लिखा- “चीन में भारतीय समुदाय ने तियानजिन में एक विशेष स्वागत दिया।”
क्यों खास है यह दौरा?
पीएम मोदी इस दौरे पर मुख्य रूप से शंघाई सहयोग संगठन (SCO) की सालाना बैठक में हिस्सा लेने आए हैं। लेकिन, अमेरिका के साथ चल रहे व्यापारिक तनाव को देखते हुए, रविवार को चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ उनकी मुलाकात को बहुत अहम माना जा रहा है।
प्रधानमंत्री मोदी और शी के बीच होने वाली बातचीत में दोनों देशों के आर्थिक रिश्तों की समीक्षा होगी। साथ ही, वे उन कदमों पर भी चर्चा करेंगे जिनसे गलवान घाटी में हुई झड़पों के बाद तनावपूर्ण हुए रिश्तों को फिर से सामान्य बनाया जा सके।
भारत के विदेश मंत्रालय के मुताबिक, यह यात्रा भारत की एससीओ में सक्रिय और रचनात्मक भूमिका की पुष्टि करती है। सम्मेलन के दौरान प्रधानमंत्री मोदी कई अहम द्विपक्षीय बैठकें करेंगे। रविवार को उनकी मुलाकात चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग से होगी, जबकि सोमवार को वह रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से वार्ता करेंगे।
चीन रवाना होने से पहले जापान के अखबार ‘द योमीउरी शिंबुन’ को दिए एक इंटरव्यू में पीएम मोदी ने कहा था, “दुनिया की अर्थव्यवस्था में मौजूदा उतार-चढ़ाव को देखते हुए, यह जरूरी है कि भारत और चीन, दो बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के रूप में मिलकर दुनिया की आर्थिक व्यवस्था में स्थिरता लाएँ।”
आपसी संबंध सुधारने की कोशिशें
पिछले कुछ महीनों से दोनों देश अपने रिश्तों को फिर से सुधारने की कोशिश कर रहे हैं। इस दौरे से कुछ दिन पहले ही चीन के विदेश मंत्री वांग यी भी भारत आए थे। दोनों देशों ने सीमा पर शांति बनाए रखने, सीमा व्यापार फिर से शुरू करने और सीधी उड़ानें बहाल करने जैसे कई मुद्दों पर सहमति जताई है।
यह मुलाकात ऐसे समय में हो रही है जब भारत और चीन दोनों को ही अपनी अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ाने के लिए एक स्थिर माहौल की जरूरत है। भारत और चीन दोनों ही दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में शामिल हैं और मौजूदा अस्थिर वैश्विक हालात में इनका सहयोग अहम है।
दोनों देशों के बीच व्यापार बढ़ाने, प्रत्यक्ष उड़ानों को फिर से शुरू करने और पीपल-टू-पीपल कॉन्टैक्ट (लोगों के बीच सीधा संवाद) को बढ़ावा देने जैसे विषयों पर चर्चा होने की उम्मीद है। चीनी मीडिया की एक रिपोर्ट में भी कहा गया है कि एससीओ शिखर सम्मेलन में भारत की सक्रिय भागीदारी यह दर्शाती है कि वह बहुपक्षीय सहयोग की ओर बढ़ रहा है।
प्रधानमंत्री मोदी आखिरी बार जून 2018 में एससीओ शिखर सम्मेलन के लिए चीन गए थे। वहीं, राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने अक्टूबर 2019 में दूसरे ‘अनौपचारिक शिखर सम्मेलन’ के लिए भारत का दौरा किया था। पीएम मोदी और राष्ट्रपति शी जिनपिंग की आखिरी मुलाकात 2024 में रूस के कजान में ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के दौरान हुई थी। भारत और चीन ने 3,500 किलोमीटर लंबे एलएसी पर गश्त के लिए समझौता किया, जिससे चार साल लंबे सीमा संघर्ष का समाधान हुआ।