तिनजियानः भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ हुई बातचीत में सीमा-पार आतंकवाद का मुद्दा उठाया है। भारतीय विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने रविवार (31 अगस्त) को इसकी जानकारी दी। गौरतलब है कि पीएम मोदी 31 अगस्त और एक सितंबर को शंघाई सहयोग संगठन (SCO) में हिस्सा लेने के लिए चीन पहुंचे हैं।
विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने एक विशेष ब्रीफिंग के दौरान कहा कि पीएम मोदी ने शी जिनपिंग के साथ बातचीत में इस बात पर जोर दिया कि सीमा पार आतंकवाद भारत और चीन दोनों देशों को प्रभावित करता है और इस मुद्दे से निपटने के लिए दोनों देशों को एक-दूसरे का समर्थन करना महत्वपूर्ण है।
सीमा-पार आतंकवाद को बताया खतरा
उन्होंने कहा “प्रधानमंत्री ने सीमा-पार आतंकवाद को प्राथमिकता बताया। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि यह भारत और चीन दोनों को प्रभावित करता है और इसलिए यह जरूरी है कि हम सीमा पार आतंकवाद से निपटने के लिए एक-दूसरे के प्रति समझ और समर्पण बढ़ाएं।”
मिस्री ने आगे कहा “वास्तव में मैं यह कहना चाहूंगा कि हमें चीन की समझ और सहयोग प्राप्त हुआ है क्योंकि हमने चल रहे एससीओ शिखर सम्मेलन के संदर्भ में सीमा पार आतंकवाद के मुद्दे से निपटा है।”
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पीएम नरेंद्र मोदी सात साल बाद चीन गए हैं। वह शंघाई सहयोग संगठन में हिस्सा लेने के लिए तिनजियान शहर में हैं। इस दौरान उन्होंने कई नेताओं से द्विपक्षीय मुलाकात की और चीन के राष्ट्रपति से भी बातचीत की। शी जिनपिंग से पीएम मोदी की मुलाकात इससे पहले रूस के कजान में ब्रिक्स सम्मेलन के दौरान अक्तूबर 2024 में हुई थी। इस दौरान दोनों नेताओं ने वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर सैन्य गतिरोध को समाप्त करने के लिए सहमति जताई थी। दोनों देशों के बीच यह गतिरोध साल 2020 में अप्रैल-मई के बीच शुरु हुआ था।
इस दौरान दोनों पक्षों के बीच संबंधों में काफी गिरावट देखी गई थी। 1962 के युद्ध के बाद से दोनों देशों के संबंध निम्नतम स्तर पर आ गए थे।
भारत-चीन सीमा पर भी हुई चर्चा
विक्रम मिस्री ने कहा कि शी जिनपिंग के साथ हुई मुलाकात के दौरान भारत-चीन सीमा मुद्दे पर भी चर्चा हुई। उन्होंने कहा कि जिनपिंग से मुलाकात के दौरान पीएम मोदी ने सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति और स्थिरता की आवश्यकता पर बल दिया जिससे द्विपक्षीय संबंधों में निरंतरता और सुचारु विकास बना रहे।
उन्होंने आगे कहा कि दोनों नेताओं ने इस बात पर जोर दिया कि दोनों देश मुख्य रूप से अपने घरेलू विकास लक्ष्यों पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं। उन्होंने यह भी कहा कि दोनों नेताओं ने सहमति जताई कि इन लक्ष्यों को प्राप्त करते समय दोनों देश प्रतिद्वंद्वी नहीं बल्कि साझेदार हैं।
उन्होंने बताया की मोदी और जिनपिंग के बीच इस बात पर भी सहमति थी कि भारत और चीन के बीच सौहार्दपूर्ण और स्थिर संबंध 2.8 अरब लोगों के लिए लाभकारी हो सकते हैं।
2001 में हुई थी SCO की स्थापना
SCO की स्थापना साल 2001 में हुई थी। चीन, रूस, किर्गिस्तान, उजबेकिस्तान, ताजिकिस्तान और कजाखस्तान ने मिलकर इसकी स्थापना की थी। हालांकि, मौजूदा समय में इसमें कुल 10 सदस्य हैं। साल 2017 में भारत और पाकिस्तान इसमें जुड़े तो वहीं 2024 में ईरान और बेलारूस भी जुड़े। सभी देशों के राष्ट्राध्यक्ष इस बैठक में शामिल हुए।
इसके अलावा पर्यवेक्षक के तौर पर भी कई देशों के नेता और प्रतिनिधि इसमें भाग लेने पहुंचे हैं। रूस और भारत चीन के लिए काफी अहम देश हैं। मौजूदा समय में जहां चीन पर अमेरिकी राष्ट्रपति ने भारी-भरकम टैरिफ का ऐलान किया है तो वहीं भारत पर भी रूस से तेल और सैन्य सामान खरीदने को लेकर पहले 25 प्रतिशत और बाद में 25 प्रतिशत अतिरिक्त टैरिफ का ऐलान किया है। ऐसे में इन नेताओं के बीच बातचीत पर ज्यादा फोकस है कि ट्रंप टैरिफ से निपटने के लिए ये देश क्या योजना बनाते हैं?