भारत और रूस के बीच द्विपक्षीय संबंधों को नई ऊँचाइयों पर ले जाने के उद्देश्य से शुक्रवार 23वें शिखर सम्मेलन का आयोजन किया गया। इस मौके पर दोनों देशों ने सांस्कृतिक, आर्थिक और मानव गतिशीलता को मजबूत करने वाले कई समझौतों पर मुहर लगाई।
पीएम मोदी ने इस दौरान रूस से आने वाले यात्रियों को 30 दिन का मुफ्त ई-टूरिस्ट वीजा और 30 दिन का मुफ्त ग्रुप टूरिस्ट वीजा का भी ऐलान किया।
ई-वीजा क्या है, रूसी नागरिकों के लिए क्या बदलेगा
गौरतलब है कि केंद्र सरकार देश में विदेशी नागरिकों, खासकर पर्यटकों, पेशेवरों, व्यवसायियों और छात्रों की सुरक्षित और वैध एंट्री को आसान बनाने के लिए वीजा प्रणाली को लगातार आधुनिक और सरल बना रही है।
सरकार के मुताबिक, पर्यटकों के लिए सबसे बड़ा बदलाव ई-वीजा सुविधा की शुरुआत रही है। नवंबर 2014 में 43 देशों के नागरिकों के लिए शुरू हुई यह सुविधा अब बढ़ाकर 172 देशों तक कर दी गई है। ई-वीजा पर यात्री 32 अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डों और 6 बड़े समुद्री बंदरगाहों के माध्यम से भारत में प्रवेश कर सकते हैं।
इस समय ई-वीजा 13 उप-श्रेणियों में उपलब्ध है, जिनमें ई-टूरिस्ट, ई-बिजनेस, ई-मेडिकल, ई-मेडिकल अटेंडेंट, ई-कॉन्फ्रेंस, ई-आयुष, ई-स्टूडेंट, ई-ट्रांजिट, ई-माउंटेनियरिंग, ई-फिल्म आदि शामिल हैं। पूरी प्रक्रिया ऑनलाइन है और विदेशी नागरिक दुनिया में कहीं से भी ई-वीजा के लिए आवेदन कर सकते हैं। इससे भारत आने वाले यात्रियों को पर्यटन, कारोबार या चिकित्सा इलाज के लिए आसान और बिना बाधा के प्रवेश मिलता है।
मुफ्त ई-टूरिस्ट वीजा से रूस के यात्रियों के लिए भारत आना पहले की तुलना में आसान और सस्ता हो जाएगा। वीजा शुल्क खत्म होने से पर्यटन एजेंसियों और टूर ऑपरेटरों के लिए भी समूह यात्राओं का आयोजन करना सरल होगा।
भारत का यह कदम दोनों देशों के बीच पर्यटन और सांस्कृतिक आदान-प्रदान को तेज करने की बड़ी रणनीति का हिस्सा है। रूस जहां नए यात्रा साझेदार ढूंढ रहा है, वहीं भारत अपने पर्यटन बाजार को विविध बनाने पर जोर दे रहा है।
वीजा छूट के अलावा और क्या समझौते हुए
वीजा छूट के साथ भारत और रूस ने कई अन्य महत्वपूर्ण समझौतों पर भी हस्ताक्षर किए, जिनमें श्रम गतिशीलता, स्वास्थ्य सहयोग, खाद्य सुरक्षा और समुद्री साझेदारी जैसे क्षेत्र शामिल हैं। दोनों देशों ने रक्षा और ऊर्जा से आगे बढ़कर सामाजिक और आर्थिक क्षेत्रों में भी सहयोग बढ़ाने की इच्छा जताई है।
बैठक में सबसे अहम करार लेबर मोबिलिटी पैक्ट रहा, जिसके लागू होने के बाद भारतीय कामगारों के लिए रूस में रोजगार पाना आसान हो जाएगा। इस समझौते के तहत कामकाजी वीज़ा प्रक्रिया को सरल किया जाएगा, भारतीय डिग्री और तकनीकी योग्यताओं को मान्यता मिलेगी और श्रमिकों को स्वास्थ्य सुविधाओं व सामाजिक सुरक्षा जैसे संरक्षण बेहतर ढंग से उपलब्ध कराए जाएंगे।
यह समझौता ऐसे समय में हुआ है जब भारत की युवा आबादी विदेशों में काम के नए अवसर तलाश रही है, जबकि रूस श्रमिकों की कमी का सामना कर रहा है। यह पूरी व्यवस्था नियंत्रित श्रम प्रवासन के मॉडल पर आधारित है, जिसका उद्देश्य रोजगार की जरूरतों को पूरा करना है, न कि स्थायी आव्रजन को बढ़ाना।

