Friday, October 10, 2025
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आवारा कुत्तों को लेकर सुप्रीम कोर्ट में नई गुहार, CJI बीआर गवई ने कहा वे इसपर गौर करेंगे

नई दिल्ली: दिल्ली-एनसीआर से आवारा कुत्तों को हटाने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर राजनीतिक बहस तेज हो गई है। इसी बीच, सुप्रीम कोर्ट में बुधवार को एक याचिका पर तत्काल सुनवाई की गुहार लगाई गई। इस पर भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) बी.आर. गवई ने आश्वासन दिया कि वह इसपर गौर करेंगे। 

यह याचिका ‘कॉन्फ्रेंस फॉर ह्यूमन राइट्स (इंडिया)’ नामक एक संगठन द्वारा दायर की गई थी। याचिकाकर्ता के वकील ने मुख्य न्यायाधीश और जस्टिस के विनोद चंद्रन की पीठ के सामने इस मामले का उल्लेख किया। इस पर सीजेआई ने कहा कि एक और पीठ पहले ही इस संबंध में आदेश पारित कर चुकी है।

याचिका में क्या कहा गया?

याचिका में दावा किया गया है कि आवारा कुत्तों की बढ़ती आबादी को रोकने के लिए बनाए गए ‘एनिमल बर्थ कंट्रोल (डॉग) रूल्स, 2001’ का पालन नहीं किया जा रहा है। इन नियमों में कुत्तों की नियमित नसबंदी और टीकाकरण कार्यक्रम अनिवार्य है।

दरअसल, 11 अगस्त को जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस आर. महादेवन की पीठ ने कुत्ते के काटने की घटनाओं से उत्पन्न स्थिति को “बेहद गंभीर” बताते हुए एक आदेश जारी किया था। पीठ ने दिल्ली-एनसीआर से सभी आवारा कुत्तों को जल्द से जल्द स्थायी रूप से स्थानांतरित करने का निर्देश दिया था।

इसके अलावा, कोर्ट ने दिल्ली के अधिकारियों को छह से आठ सप्ताह के भीतर लगभग 5,000 कुत्तों के लिए शेल्टर बनाने के भी निर्देश दिए थे। कोर्ट ने यह भी चेतावनी दी थी कि अगर कोई व्यक्ति या संगठन इस स्थानांतरण अभियान में किसी भी तरह की बाधा डालता है, तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी और अवमानना की कार्यवाही भी शुरू की जा सकती है। इससे पहले, मई 2024 में जस्टिस जेके माहेश्वरी की अगुवाई वाली एक पीठ ने आवारा कुत्तों से संबंधित याचिकाओं को संबंधित हाईकोर्टों को भेज दिया था।

कोर्ट के फैसले पर राहुल गांधी की कड़ी आपत्ति

सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले पर कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने कड़ी आपत्ति जताई है। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर लिखा, “दिल्ली-एनसीआर से सभी आवारा कुत्तों को हटाने का सुप्रीम कोर्ट का निर्देश दशकों से चली आ रही मानवीय और विज्ञान-समर्थित नीति से एक कदम पीछे है।”

राहुल गांधी ने कहा कि ये बेजुबान कोई समस्या नहीं हैं, जिन्हें मिटाया जा सके। उन्होंने सुझाव दिया कि आश्रय, नसबंदी, टीकाकरण और सामुदायिक देखभाल के जरिए सड़कों को क्रूरता के बिना सुरक्षित रखा जा सकता है। उन्होंने कोर्ट के इस कदम को “अमानवीय, अदूरदर्शी और हमारी करुणा को खत्म करने वाला” बताया।

क्या कहते हैं आंकड़े

2024 में देशभर में डॉग बाइट के मामलों में भारी बढ़ोतरी हुई है। केंद्रीय मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी राज्य मंत्री प्रो. एस पी सिंह बघेल ने 1 अप्रैल 2025 को लोकसभा में बताया कि 2024 में लगभग 37 लाख 15 हजार डॉग बाइट के मामले दर्ज किए गए, जबकि 2023 में यह संख्या करीब 30 लाख 52 हजार थी। रेबीज से होने वाली मौतों में भी वृद्धि देखी गई है; 2024 में 54 मौतें दर्ज की गईं, जो 2023 में दर्ज 50 मौतों से ज़्यादा हैं।

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, भारत में रेबीज से प्रभावित होने और मौतों के सही आंकड़े पूरी तरह से उपलब्ध नहीं हैं। हालाँकि, उपलब्ध जानकारी के मुताबिक, इस बीमारी से हर साल 18,000 से 20,000 मौतें होती हैं। भारत में रेबीज के कुल मामलों और मौतों में से लगभग 30 से 60 प्रतिशत 15 साल से कम उम्र के बच्चों में होते हैं, क्योंकि बच्चों को काटने के कई मामलों की पहचान या रिपोर्ट नहीं हो पाती है।

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