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हर भारतीय भाषा में मिलेगी संसद की डिबेट, इंडियाएआई मिशन और लोकसभा के बीच हुआ एमओयू

नई दिल्लीः अब संसद में होने वाली डिबेट हर भारतीय भाषा में आसानी से मिल सकेगी। इससे रिसर्चर्स, सांसदों और अन्य लोगों को फायदा होगा। यह जानकारी केंद्रीय रेल, सूचना एवं प्रसारण, इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव द्वारा मंगलवार को दी गई।  

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि इंडियाएआई मिशन और लोकसभा के बीच समझौता ज्ञापन (एमओयू) साइन हुआ है। इसके तहत एआई का उपयोग करके संसद में होने वाले डिबेट का हर भारतीय भाषा में ‘एआईकोष’ के नाम से डेटासेट बनाया जाएगा। इससे संसद में होने वाली डिबेट का ट्रांसक्रिप्शन किसी भी भाषा में लिया जा सकेगा।

किसी भी भाषा में मिल पाएगा डिबेट का विस्तृत ट्रांसक्रिप्शन

वैष्णव ने आगे कहा कि इससे हमारे रिसर्चर्स, सांसदों और अकादमिक से जुड़े लोगों को संसद की डिबेट का विस्तृत ट्रांसक्रिप्शन किसी भाषा में मिल पाएगा। मोदी सरकार ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) इकोसिस्टम को मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए 2024 में 10,300 करोड़ रुपये के आवंटन के साथ ‘इंडियाएआई मिशन’ को मंजूरी दी थी।

इंडियाएआई मिशन का उद्देश्य एक कॉम्प्रीहेन्सिव इकोसिस्टम तैयार करना है, जो कि कंप्यूटर तक पहुंच में लोकतंत्रीकरण, डेटा की गुणवत्ता को सुधार कर, स्वयं की एआई क्षमताएं विकसित कर, शीर्ष एआई टैलेंट, इंडस्ट्रीज के बीच साझेदारी, स्टार्टअप को रिस्क कैपिटल उपलब्ध कराने, समाज में बदलाव लाने वाले एआई प्रोजेक्ट के जरिए एआई इनोवेशन को बढ़ाना है।

वहीं, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व में भारत के एआई क्षेत्र में बड़ा बदलाव आ रहा है। एक तरफ देश एआई इकोसिस्टम विकसित कर रहा है और दूसरी तरफ सरकार इसके किफायती होने पर भी जोर दे रही है, जिससे आम लोगों को इसका फायदा मिल सके।

मोदी सरकार ने 2023 में तीन एआई सेंटर ऑफ एक्सीलेंस (सीओई) बनाने का ऐलान किया था, जो कि स्वास्थ्य, कृषि और सस्टेनेबल शहरों के क्षेत्र में बनाए जाएंगे। इसके अतिरिक्त सरकार ने 2025 में बजट में शिक्षा के क्षेत्र में नया सीओई बनाने का ऐलान किया है।

 

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