Thursday, October 9, 2025
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‘खेले मसाने में होरी…’ नहीं रहे पद्म विभूषण पंडित छन्नूलाल मिश्र, काशी में आज अंतिम संस्कार

पंडित छन्नूलाल मिश्र खयाल, ठुमरी, भजन, दादरा, कजरी और चैती के लिए विशेष तौर पर जाने जाते थे। उनका गाया ‘खेले मसाने में होरी…’ आज भी खूब सुना जाता है। इसे कई और गायकों ने भी गाया लेकिन पंडित छन्नूलाल मिश्र की एक अलग छाप इस पर दिखती है।

वाराणसी: प्रख्यात शास्त्रीय गायक और पद्म विभूषण से सम्मानित पंडित छन्नूलाल मिश्र का गुरुवार तड़के निधन हो गया। वह 89 वर्ष के थे। पारिवारिक सूत्रों ने बताया कि पंडित छन्नूलाल मिश्र ने लंबी बीमारी के बाद सुबह करीब 4 बजे अंतिम सांस ली। वे कुछ समय से अपनी सबसे छोटी बेटी के परिवार के साथ मिर्जापुर में रह रहे थे। वे 2014 में वाराणसी सीट से पीएम नरेंद्र मोदी के प्रस्तावक भी रहे थे। उनका अंतिम संस्कार गुरुवार शाम बनारस में किया जाएगा।

समाचार एजेंसी पीटीआई ने पारिवारिक सूत्रों के हवाले से बताया है कि बुधवार देर रात मिश्रा की तबीयत ज्यादा बिगड़ गई और उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई। इससे पहले हाल में उन्हें बीएचयू में भी भर्ती कराया गया था। बाद में तबीयत में सुधार के बाद उन्हें अस्पताल से छुट्टी दे दी गई थी। वे अपने पीछे दो बेटियों और एक बेटे को छोड़ गए है। उनकी पत्नी का चार साल पहले 26 अप्रैल 2021 को कोरोना से निधन हो गया था। इसी के तीन दिन बाद बड़ी बेटी का भी निधन कोरोना से हुआ था।

‘खेले मसाने में होरी…’ आज भी सभी की जुबां पर

पंडित छन्नूलाल मिश्र का जन्म 3 अगस्त 1936 को उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ जिले के हरिहरपुर में हुआ था। उन्हें संगीत का माहौल विरासत में मिला। उनके दादा गुदई महाराज शांता प्रसाद एक प्रसिद्ध तबला वादक थे। पिता भी संगीत से जुड़े थे। छन्नूलाल मिश्र को छह वर्ष की उम्र में अपने पिता पंडित बद्री प्रसाद मिश्र से संगीत की प्रारंभिक शिक्षा मिली। इसके बाद उन्होंने 9 साल की उम्र में उस्ताद गनी अली साहब से खयाल गायकी की बारीकियां सीखीं।

खयाल, ठुमरी, भजन, दादरा, कजरी और चैती के लिए वे विशेष तौर पर जाने जाते थे। उनका गाया ‘खेले मसाने में होरी…’ आज भी बेहद लोकप्रिय है। वैसे तो इसे और कई गायकों ने अलग-अलग समय पर गाया है लेकिन होली के मौके पर इसे पंडित छन्नूलाल मिश्र से सुनना एक तरह से रवायत सी रही है।

पंडित छन्नूलाल मिश्र को 2010 में यूपीए कार्यकाल में पद्मभूषण से सम्मानित किया गया था। यूपी की अखिलेश यादव की सरकार के समय भी उन्हें यश भारती सम्मान से नवाजा गया था। साल 2020 में पद्मविभूषण मिला था। उन्हें इससे पहले साल 2000 में संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार से भी नवाजा जा चुका है।

पीएम नरेंद्र मोदी ने जताया दुख

इस बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पंडित छन्नूलाल मिश्र के निधन पर गहरा शोक प्रकट किया है। पीएम मोदी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर उनके साथ की अपनी कुछ तस्वीरों को भी पोस्ट किया। पीएम मोदी ने इन तस्वीरों के साथ लिखा, ‘सुप्रसिद्ध शास्त्रीय गायक पंडित छन्नूलाल मिश्र के निधन से अत्यंत दुख हुआ है। वे जीवनपर्यंत भारतीय कला और संस्कृति की समृद्धि के लिए समर्पित रहे। उन्होंने शास्त्रीय संगीत को जन-जन तक पहुंचाने के साथ ही भारतीय परंपरा को विश्व पटल पर प्रतिष्ठित करने में भी अपना अमूल्य योगदान दिया। मेरा सौभाग्य है कि मुझे सदैव उनका स्नेह और आशीर्वाद प्राप्त होता रहा।’

पीएम मोदी ने इसी पोस्ट में आगे कहा, ‘साल 2014 में वे वाराणसी सीट से मेरे प्रस्तावक भी रहे थे। शोक की इस घड़ी में मैं उनके परिजनों और प्रशंसकों के प्रति अपनी गहरी संवेदना प्रकट करता हूं। ओम शांति!’

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी पंडित छन्नूलाल मिश्र के निधन पर शोक जताया। उन्होंने एक्स पर लिखा, ‘भारतीय शास्त्रीय संगीत के मर्मज्ञ, ‘पद्म विभूषण’ प्रख्यात शास्त्रीय गायक पंडित छन्नूलाल मिश्र जी का निधन अत्यंत दुःखद एवं शास्त्रीय संगीत विधा की अपूरणीय क्षति है। उन्हें विनम्र श्रद्धांजलि! आपने अपना पूरा जीवन भारतीय शास्त्रीय गीत-संगीत के उत्थान में समर्पित कर दिया। आपका गायन कला साधकों के लिए एक प्रेरणा है। प्रभु श्री राम से प्रार्थना है कि दिवंगत पुण्यात्मा को सद्गति व उनके शोकाकुल परिजनों, अनुयायियों एवं प्रशंसकों को यह अथाह दुःख सहन करने की शक्ति प्रदान करें। ॐ शांति!’

विनीत कुमार
विनीत कुमार
पूर्व में IANS, आज तक, न्यूज नेशन और लोकमत मीडिया जैसी मीडिया संस्थानों लिए काम कर चुके हैं। सेंट जेवियर्स कॉलेज, रांची से मास कम्यूनिकेशन एंड वीडियो प्रोडक्शन की डिग्री। मीडिया प्रबंधन का डिप्लोमा कोर्स। जिंदगी का साथ निभाते चले जाने और हर फिक्र को धुएं में उड़ाने वाली फिलॉसफी में गहरा भरोसा...
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