Friday, October 10, 2025
Homeभारत2019 के बाद पहली बार जम्मू-कश्मीर में पाकिस्तानी प्रतिनिधिमंडल, पनबिजली परियोजना पर...

2019 के बाद पहली बार जम्मू-कश्मीर में पाकिस्तानी प्रतिनिधिमंडल, पनबिजली परियोजना पर विवाद को लेकर दौरा

नई दिल्ली: साल 2019 के बाद पहली बार पाकिस्तान का एक प्रतिनिधिमंडल 17 से 28 जून के बीच जम्मू-कश्मीर के दौरे पर है। इस पाकिस्तानी दल के साथ विश्व बैंक की ओर से नियुक्त न्यूट्रल एक्सपर्ट माइकल लिनो (Michel Lino) भी हैं। पाकिस्तानी दल का ये दौरा जम्मू-कश्मीर में चल रही भारतीय पनबिजली परियोजनाओं पर सिंधु जल संधि के तहत उठाए गए आपत्ति के मद्देनजर है। इस दल में न्यूट्रल एक्सपर्ट को तकनीकी सहायता ल्यूक डेरो (Luc Derro) की ओर से मुहैया कराई जाएगी। विश्व बैंक आमतौर पर भारत और पाकिस्तान के बीच ऐसे मामलों के लिए तटस्थ विशेषज्ञों यानी न्यूट्रल एक्सपर्ट की नियुक्ति करता है। ये एक्सपर्ट विवाद की स्थिति में जल परियोजनाओं, बुनियादी ढांचे सहित इस्तेमाल के पैटर्न का निरीक्षण करते हैं और रिपोर्ट प्रस्तुत करते हैं।

12 दिन का दौरा, पाकिस्तान के दावों पर होगी बात

करीब 12 दिनों के दौरे के बीच न्यूट्रल एक्सपर्ट पाकिस्तान की ओर से सूबे की पश्चिमी नदियों पर हाइड्रोपावर डैम को लेकर उठाई गई तकनीकी आपत्तियों पर गौर करेगा। पाकिस्तान की ओर से उठाई गई ये आपत्तियां चिनाब और किशनगंगा नदी पर बन रही रन ऑफ रिवर (आरओआर) परियोजनाओं को लेकर हैं। ये झेलम की सहायक नदियां हैं।

किशनगंगा पर 330 मेगावाट की बिजली परियोजना जिसे KHEP (किशनगंगा हाइड्रो इलेक्ट्रिक प्रोजेक्ट) कहा जाता है, कुछ साल पहले पूरी हो गई थी। वहीं, दूसरी परियोजना जिसके बारे में भी पाकिस्तान ने आपत्ति जताई है, वह किश्तवाड़ जिले में चिनाब पर 850 मेगावाट की रतले हाइड्रो इलेक्ट्रिक परियोजना (RHEP) है। यह परियोजना मई 2013 में शुरू की गई थी लेकिन बीच में छोड़ दी गई। कई साल बाद, RHEP को मोदी सरकार ने अपने दूसरे कार्यकाल में फिर से शुरू किया। हालांकि, पाकिस्तान इस परियोजना को रोकने और इसमें लगातार देरी कराने की हरसंभव कोशिश कर रहा है। पाकिस्तान पहले भी पश्चिमी नदियों पर भारत की परियोजनाओं पर ऐसी ही रणनीति अपनाता रहा है।

बहरहाल, जम्मू-कश्मीर सरकार ने दौरे पर आए प्रतिनिधिमंडल के साथ सभी प्रोटोकॉल के पालन के लिए 50 संपर्क अधिकारी नियुक्त किए हैं। इनमें से 25 जम्मू और 25 कश्मीर घाटी में हैं।

जब भारत ने दी थी सिंधु जल संधि को चुनौती…

भारत और पाकिस्तान के सिंधु आयुक्तों वाले स्थायी सिंधु आयोग या पर्मानेंट इंडस कमिशन (पीआईसी) की 118वीं बैठक 30-31 मई 2022 को नई दिल्ली में आयोजित की गई थी। भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व तब इंडस वाटर्स के लिए भारतीय आयुक्त ए.के. पाल ने किया था। वहीं, पाकिस्तानी प्रतिनिधिमंडल की ओर से पाल के समकक्ष सैयद मुहम्मद मेहर अली शाह ने नेतृत्व किया।

बैठक के दौरान 31 मार्च 2022 के लिए पीआईसी की वार्षिक रिपोर्ट को अंतिम रूप दिया गया और उस पर हस्ताक्षर भी किए गए। बैठक सौहार्दपूर्ण ढंग से हुई। हालांकि 2023 में कोई बैठक नहीं हुई जब भारत ने 25 जनवरी को सिंधु जल समझौता (IWT) को चुनौती दी। भारत ने पाकिस्तान से संधि के अनुच्छेद XII (3) के तहत IWT को लेकर फिर से बातचीत के लिए कहा था। यह पहली बार है कि भारत ने अनुच्छेद XII (अंतिम प्रावधान) को लागू करने की बात कही है जिसका मतलब संधि में संशोधन से है।

क्या है सिंधु जल समझौता?

पाकिस्तान हमेशा से सूबे में पश्चिमी नदियों पर इंजीनियरिंग कार्यों (पनबिजली बांधों) के डिजाइन, निर्माण आदि को लेकर प्रश्न उठाता रहा है। साल 1960 की सिंधु जल संधि (IWT) के तहत तीन पूर्वी नदियों- सतलज, ब्यास और रावी भारत को मिली थीं। वहीं चिनाब, झेलम और सिंधु को पश्चिमी नदियों के तौर पर जाना जाता है। इन्हें पाकिस्तान को दिया गया है। हालांकि, भारत को इस पर सिंचाई के सीमित अधिकार सहित जल विद्युत उत्पादन के पूरे अधिकार हैं। पश्चिमी नदियों पर पाकिस्तान को कोई संप्रभु अधिकार नहीं है क्योंकि वे भारतीय क्षेत्रों से होकर बहती हैं।

2019 के बाद पहली बार पाकिस्तानी दल का दौरा

सिंधु जल संधि के तहत पाकिस्तान द्वारा इन इलाकों में परियोजना स्थलों का दौरा नियमित माना जाता रहा है। हालांकि 2019 में भारत-पाकिस्तान संबंधों में तनाव के बाद से कोई दौरा नहीं हुआ था। ऐसे में पाकिस्तानी प्रतिनिधिमंडल का ये दौरा बेहद खास माना जा रहा है क्योंकि इसमें KHEP और RHEP को लेकर विवाद पर फोकस होगा। पाकिस्तान ने इन दोनों परियोजनाओं के खिलाफ तटस्थ विशेषज्ञ और कोर्ट ऑफ आर्बिटरेशन (मध्यस्थता न्यायालय, सीओए) के स्तर पर कार्यवाही शुरू कर दी है।

सिंधु जल समझौते के तहत विवाद की स्थिति में सबसे पहले पर्मानेंट इंडस कमिशन (PIC) के पास बात रखी जाती है। यदि दोनों पक्ष पीआईसी के स्तर पर किसी मुद्दे को हल करने में विफल रहते हैं, तो दूसरे चरण के रूप में एक तटस्थ विशेषज्ञ के पास मामला जाता है। यदि यहां भी हल नहीं मिला तो यह मध्यस्थता न्यायालय (सीओए) के स्तर तक जाता है। भारत केएचईपी और आरएचईपी दोनों मामलों में न्यूट्रल एक्सपर्ट के सामने कार्यवाही के लिए तैयार हुआ है। हालांकि, अपनी नीति के अनुसार भारत ने दोनों मामलों में सीओए की कार्यवाही का बहिष्कार किया है। फिलहाल, शॉन मर्फी की अध्यक्षता वाली सीओए पाकिस्तानी पक्ष को सुन रही है। चूंकि भारत इसमें शामिल नहीं है, इसलिए पूरी कार्यवाही एकतरफा ही चल रही है।

न्यूट्रल एक्सपर्ट के सामने हरीश साल्वे रखेंगे भारत की बात

इन सबके बीच न्यूट्रल एक्सपर्ट के सामने भारत की कानूनी टीम का नेतृत्व सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे कर रहे हैं। शीर्ष या वैश्विक कानूनी स्तर पर अक्सर जब भी भारत और पाकिस्तान के बीच कोई बात होती है तो भारत सरकार के लिए हरीश साल्वे कई मौकों पर नजर आ चुके हैं। दूसरी ओर पाकिस्तान की कानूनी टीम का नेतृत्व अहमद इरफान असलम कर रहे हैं।

बता दें कि पिछले महीने 26 मई को साल्वे और नौ सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल केएचईपी और आरएचईपी की साइट के दौरे के लिए श्रीनगर पहुंचे थे। इसका मकसद भारत के लिए मजबूती से बात रखने की तैयारी करना था। अगले दिन 27 मई को कुछ प्रतिनिधिमंडल के सदस्यों ने किशनगंगा जलविद्युत परियोजना (केएचईपी) के लिए हेलीकॉप्टर से गुरेज का दौरा किया। वे देर शाम श्रीनगर लौट आये अगले दिन 28 मई को प्रतिनिधिमंडल ने श्रीनगर से किश्तवाड़ में रतले हाइड्रो इलेक्ट्रिक प्रोजेक्ट (आरएचईपी) के लिए उड़ान भरी और वहां का जायजा लिया था।

RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Most Popular

Recent Comments

मनोज मोहन on कहानीः याद 
प्रकाश on कहानीः याद 
योगेंद्र आहूजा on कहानीः याद 
प्रज्ञा विश्नोई on कहानीः याद 
डॉ उर्वशी on एक जासूसी कथा