नई दिल्ली: पाकिस्तान और सऊदी अरब के बीच एक रणनीतिक रक्षा समझौता हुआ है। इसके तहत दोनों देश एक-दूसरे पर किसी भी हमले की स्थिति में संयुक्त रूप से जवाब देंगे। इस समझौते पर भारत ने अपनी कड़ी प्रतिक्रिया दी है और कहा है कि वह इस घटनाक्रम पर बारीकी से नजर रखे हुए है और अपने राष्ट्रीय हितों की रक्षा तथा सभी क्षेत्रों में व्यापक राष्ट्रीय सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सभी आवश्यक कदम उठाएगा।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने मीडिया के सवालों का जवाब देते हुए कहा, “हम इस घटनाक्रम के हमारे राष्ट्रीय सुरक्षा, साथ ही क्षेत्रीय और वैश्विक स्थिरता पर पड़ने वाले प्रभावों का अध्ययन करेंगे। सरकार भारत के राष्ट्रीय हितों की रक्षा और सभी क्षेत्रों में व्यापक राष्ट्रीय सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है।”

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, इस समझौते पर पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ की हालिया रियाद यात्रा के दौरान औपचारिक मुहर लगी, जिस पर सऊदी क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान और पाक प्रधानमंत्री ने हस्ताक्षर किए। यह समझौता ऐसे समय में हुआ है जब दोहा में 40 इस्लामी देशों के एक शिखर सम्मेलन में नेताओं ने नाटो (NATO) जैसे गठबंधन बनाने पर जोर दिया था।
गौरतलब है कि पाकिस्तान एकमात्र ऐसा इस्लामी देश है जिसके पास परमाणु हथियार हैं। कुछ मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, इस समझौते ने पाकिस्तान के परमाणु हथियारों को सऊदी अरब के लिए भी खोल दिया है।
सऊदी प्रेस एजेंसी द्वारा प्रकाशित एक बयान में कहा गया है, “यह समझौता… दोनों देशों के बीच रक्षा सहयोग को विकसित करने और किसी भी आक्रामकता के खिलाफ संयुक्त प्रतिरोध को मजबूत करने का लक्ष्य रखता है।”
भारत ने कहा है कि उसे इस घटनाक्रम की जानकारी थी और उसने स्वीकार किया कि सऊदी अरब और पाकिस्तान के बीच यह आपसी रक्षा समझौता लंबे समय से विचाराधीन था। रणधीर जायसवाल ने कहा कि हमने सऊदी अरब और पाकिस्तान के बीच एक रणनीतिक आपसी रक्षा समझौते पर हस्ताक्षर होने की खबरें देखी हैं। सरकार को इस बात की जानकारी थी कि यह घटनाक्रम, जो दोनों देशों के बीच एक लंबे समय से चली आ रही व्यवस्था को औपचारिक रूप देता है, विचाराधीन था।
पाकिस्तान-सऊदी अरब संयुक्त बयान में क्या कहा गया?
हस्ताक्षर समारोह के बाद जारी एक संयुक्त बयान में कहा गया है, लगभग आठ दशकों की साझेदारी और भाईचारे, इस्लामी एकजुटता तथा साझा रणनीतिक हितों के आधार पर, दोनों पक्षों ने सामरिक आपसी रक्षा समझौते पर हस्ताक्षर किए। इस समझौते का उद्देश्य द्विपक्षीय सुरक्षा संबंधों को बढ़ाना और क्षेत्रीय तथा वैश्विक शांति में योगदान देना है।
ऐतिहासिक रूप से, पाकिस्तान ने सऊदी अरब को व्यापक सैन्य और प्रशिक्षण सहायता प्रदान की है, जिसमें दशकों से पाकिस्तानी सैनिक किंगडम की बाहरी खतरों से रक्षा कर रहे हैं।
पाकिस्तान ने कहा कि इस समझौते का उद्देश्य दोनों देशों के बीच रक्षा सहयोग के पहलुओं को विकसित करना और किसी भी आक्रामकता के खिलाफ संयुक्त प्रतिरोध को मजबूत करना है।