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पाकिस्तान ने माना सच! भारत के ऑपरेशन सिंदूर के दौरान मारे गए थे कम से कम 13 पाक सैन्य कर्मी

नई दिल्ली: ऑपरेशन सिंदूर के तहत भारत द्वारा पाकिस्तान में आतंकी ढाँचों पर किए गए सटीक हवाई हमलों के तीन महीने से भी ज्यादा समय के बाद बड़ी जानकारी सामने आई है। दरअसल, पाकिस्तान ने 9-10 मई को हुए भारत की ओर से हुए सैन्य हमले में भारी नुकसान होने की बात स्वीकार की है। सूत्रों के हवाले से आई जानकारी के अनुसार इन हमलों में पाकिस्तानी अधिकारियों ने 13 सैन्यकर्मियों सहित 50 से ज्यादा हताहतों की बात स्वीकार की है।

सीएनएन-न्यूज-18 ने अपनी एक रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से यह जानकारी दी है। पाकिस्तान ने ऑपरेशन सिंदूर के दौरान स्क्वाड्रन लीडर उस्मान यूसुफ के मारे जाने की पुष्टि की है, जब भारत ने भोलारी एयरबेस पर हमला किया था। यूसुफ को पाकिस्तान के राष्ट्रपति भवन में मरणोपरांत सम्मानित किया गया। नूर खान, सरगोधा, जैकबाबाद, भोलारी और शोरकोट पर भारत के हमलों में कई अन्य घायल हुए थे।

गौरतलब है कि भारत सरकार ने पहले कहा था कि 7 मई को ऑपरेशन सिंदूर के दौरान 100 से ज्यादा आतंकवादियों का सफाया किया गया। साथ ही आतंकवादियों के प्रमुख गढ़ों को भी नष्ट कर दिया गया था।

सूत्रों के अनुसार, कई रिपोर्टों ने यह भी पुष्टि की है कि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान नूर खान एयरबेस पर अमेरिकी तकनीशियन घायल हुए थे। यह जानकारी पाकिस्तान के राष्ट्रपति भवन में आयोजित एक वार्षिक पुरस्कार समारोह के दौरान सामने आई।

14 अगस्त को सैन्य कर्मियों को पाकिस्तान में किया गया सम्मानित

ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पाकिस्तान के मारे हए हुए सैन्य कर्मियों को ये पुरस्कार 14 अगस्त को उसके स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर राष्ट्रपति भवन में पाकिस्तानी प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ द्वारा प्रदान किए गए।

मरणोपरांत तमगा-ए-बसालत से सम्मानित किए गए कर्मियों में स्क्वाड्रन लीडर उस्मान यूसुफ, हवलदार मुहम्मद नवीद, नायक वकार खालिद और लांस नायक दिलावर खान शामिल थे। तमगा-ए-जुरात पाने वालों में नायक अब्दुल रहमान, लांस नायक इकरामुल्लाह और सिपाही अदील अकबर शामिल रहे।

भारत ने 7 मई को ऑपरेशन सिंदूर शुरू किया था, जिसमें 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले के जवाब में पाकिस्तान और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में नौ आतंकवादी शिविरों पर तड़के बमबारी की गई थी। पहलगाम आतंकी हमले में 26 पर्यटक मारे गए थे। लश्कर की एक शाखा, द रेजिस्टेंस फ्रंट (टीआरएफ) ने इस हमले की जिम्मेदारी ली थी। इसके आतंकियों ने लोगों के धर्म पूछकर उनकी हत्या की थी।

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