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यूपी के कारोबारी ने 23 साल पहले खरीदी थी दाऊद इब्राहिम की दुकान, अब हुई रजिस्ट्री; संपत्ति पर अब भी डॉन के गुर्गों का कब्जा

मुंबई: मुंबई के नागपाड़ा इलाके में अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम से जुड़ी 144 वर्ग फुट की दुकान 23 साल की कानूनी और नौकरशाही लड़ाई के बाद आखिरकार हेमंत जैन के नाम पर पंजीकृत हो पाई।

सितंबर 2001 में आयकर विभाग द्वारा आयोजित नीलामी में यूपी के आगरा के कारोबारी हेमंत जैन ने जयराज भाई स्ट्रीट पर स्थित दुकान को दो लाख रुपए में खरीदा था। यह संपत्ति तस्करों और विदेशी मुद्रा हेरफेर अधिनियम (SAFEMA) के तहत जब्त की गई थी।

नीलामी के बाद जैन को पता चला कि संपत्ति के मालिकाना हस्तांतरण पर अफसरों ने रोक लगाए जाने का दावा किया। हालांकि बाद में पता चला कि ऐसा कोई प्रतिबंध नहीं था। आयकर विभाग ने दावा किया कि संपत्ति से जुड़ी “मूल फाइलें गायब” हो गई हैं।

वाजपेयी सरकार से लेकर नरेंद्र मोदी तक लगाई गुहार, नहीं हुई सुनवाई

इसके बाद हेमंत जैन ने अटल बिहारी वाजपेयी, मनमोहन सिंह और नरेंद्र मोदी के कार्यकाल के दौरान प्रधानमंत्री कार्यालय को कई पत्र लिखे, लेकिन फाइलें गायब रहने और कोई साफ निर्देश नहीं होने से मामले में कोई प्रगति नहीं हुई।

इसकी वजह से स्टाम्प ड्यूटी बढ़ती गई। साल 2017 तक आयकर विभाग ने जैन को मौजूदा बाजार मूल्य के आधार पर स्टाम्प ड्यूटी अदा करने के लिए कहा।

यह 23 लाख रुपए से अधिक हो गई थी। जैन ने तर्क दिया कि नीलामी की संपत्ति पर बाजार मूल्य के अनुसार शुल्क नहीं लगाया जाना चाहिए। इसके बावजूद उन्हें स्टाम्प ड्यूटी, पंजीकरण शुल्क और दंड के रूप में 1.5 लाख रुपए का भुगतान करना पड़ा।

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दुकान पर अब भी दाऊद इबराहिम के कथित गुर्गों का है कब्जा

बड़ी मुश्किल से 19 दिसंबर 2024 को संपत्ति का पंजीकरण हेमंत जैन के नाम पर हो पाया। हालांकि दुकान पर अब भी दाऊद के कथित गुर्गों का कब्जा है, जिन्होंने इसे लेथ मशीन वर्कशॉप में तब्दील कर दिया है।

जैन का कहना है कि अधिकारियों ने उन्हें संपत्ति छोड़ने और शांति से रहने की सलाह दी थी। उन्होंने कहा, “मैं संपत्ति पर कब्जा हासिल करने के लिए लड़ाई जारी रखूंगा।”

इस लंबी लड़ाई के बाद जैन के धैर्य और साहस को कई राजनीतिक दलों ने सराहना की। समाजवादी पार्टी के नेता रामजीलाल सुमन और पूर्व विधायक अजीम भाई ने उन्हें सम्मानित करने की सिफारिश की है।

इस तरह की संपत्ति को खरीदने वाले हेमंत जैन और उनके भाई पीयूष पहले व्यक्ति थे। उनकी इस कार्रवाई ने कई अन्य लोगों को भी नीलामी में शामिल होने के लिए प्रेरित किया।

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