Friday, October 10, 2025
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वक्फ विधेयक पर हमलावर विपक्ष, कहा सरकार के 4 मकसद- ‘कमजोर करो, बदनाम करो, बांटो और अधिकार छीनो’

नई दिल्ली: लोकसभा में बुधवार को पेश किए गए वक्फ संशोधन विधेयक को लेकर विपक्ष ने केंद्र सरकार पर तीखा हमला बोला। कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई ने इसे अल्पसंख्यकों को “कमजोर करने, बदनाम करने, समाज को बांटने और उन्हें अधिकारों से वंचित करने” का प्रयास करार दिया।

गोगोई ने कहा, हमारा संविधान कहता है कि सभी को सामाजिक, धार्मिक और राजनीतिक न्याय और समानता मिले। यह बिल संविधान के मूल ढांचे पर आक्रमण है। मंत्री किरेन रिजिजू का पूरा भाषण संघीय ढांचे पर आक्रमण है।”

गौरव गोगोई ने विधेयक के उद्देश्यों पर उठाए सवाल

कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई ने विधेयक के उद्देश्यों पर सवाल उठाते हुए कहा कि यह केवल प्रशासनिक बदलाव का मामला नहीं है, बल्कि इसका उद्देश्य संविधान की मूल भावना पर प्रहार करना और अल्पसंख्यक समुदायों को हाशिए पर धकेलना है। उन्होंने कहा, “आज सरकार की नजर एक विशेष समुदाय की जमीन पर है, कल यह अन्य समुदायों की संपत्तियों पर भी जाएगी।”

उन्होंने चार मकसद बताए। कहा, “इस सरकार के चार मकसद हैं। संविधान को कमजोर करना, भ्रम फैलाना (dilute) और अल्पसंख्यकों को बदनाम करना (defame), भारतीय समाज को बांटना (divide) और चौथा मकसद अल्पसंख्यकों को डिसएन्फ्रेंचाइज (disenfranchise) करना। कुछ हफ्ते पहले देश में लोगों ने ईद की शुभकामनाएं दीं। इनकी डबल इंजन सरकार ने लोगों को सड़क पर नमाज नहीं पढ़ने दी।”

किरेन रिजिजू पर गुमराह करने का आरोप लगाया

गोगोई ने केंद्रीय अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री किरेन रिजिजू पर सदन को गुमराह करने का आरोप लगाते हुए कहा, “मंत्री ने 2013 में यूपीए सरकार को लेकर जो बातें कहीं, वे पूरी तरह से भ्रामक और झूठी हैं। यह सरकार समाज में भ्रम फैलाकर अल्पसंख्यकों को बदनाम करना चाहती है।”

गौरव गोगोई ने इस विधेयक को असंवैधानिक बताते हुए कहा कि यह संविधान के अनुच्छेद 14, 25 और 26 के खिलाफ है। उन्होंने कहा, “संशोधन की जरूरत है, लेकिन यह विधेयक विवाद और समस्याएं बढ़ाने वाला है। भाजपा चाहती है कि देश के कोने-कोने में मुकदमेबाजी हो और समाज में मतभेद बढ़े।”

समाजवादी पार्टी के सांसद अखिलेश यादव ने भी विधेयक का विरोध किया और इसे भाजपा द्वारा अपनी “विफलताओं को छिपाने” की रणनीति बताया। उन्होंने कहा, “भाजपा बार-बार ऐसे बिल लाकर अपनी विफलताओं को छिपाने की कोशिश करती है। हमने संभल में देखा कि प्रशासनिक अधिकारी क्या कर रहे थे। इस बार वक्फ बिल का इस्तेमाल उनकी नाकामियों को छुपाने के लिए किया जा रहा है।”

वक्फ बिल को नाकामी का पर्दा बनाया हैः अखिलेश

सपा प्रमुख ने कहा कि भाजपा में इसका मुकाबला चल रहा है कि कौन खराब हिंदू है। मोदीजी ने कहा कि वक्फ बिल से उम्मीद है। वक्फ बिल से कैसी उम्मीद। अखिलेश ने आगे कहा कि नोटबंदी रोजगार, किसानों की आय दोगुनी नहीं होना है। यह सब सरकार की नाकामी है। भाजपा ने वक्फ बिल को इस नाकामी का पर्दा बनाया है।

अखिलेश यादव ने भाजपा को अलोकतांत्रिक पार्टी बताते हुए आगे कहा कि वक्फ पर अंदर से भाजपा के कई नेता सहमत नहीं हैं। वोट बैंक को संभालने, ध्रुवीकरण करने और समाज को बांटने के लिए यह बिल लाया जा रहा है। सपा प्रमुख ने कहा कि वक्फ बिल के आने से पूरी दुनिया में गलत संदेश जाएगा। यह भाजपा की काली राजनीति का अध्याय है। अखिलेश ने कहा कि भाजपा मुस्लिम भाईचारे में बंटवारा करना चाहती है।

टीएमसी ने क्या कहा?

लोकसभा में बोलते हुए तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) सांसद कल्याण बनर्जी ने कहा, “कोई भी मुस्लिम अकेले या बिना किसी इमाम के भी नमाज अदा कर सकता है। लेकिन मस्जिद में सामूहिक नमाज केवल इमाम की अगुवाई में होती है। इस्लाम एक अत्यंत आधुनिक और उदार धर्म है, जिसमें किसी भी व्यक्ति को मस्जिद में प्रवेश कर नमाज अदा करने से रोके जाने का कोई सवाल ही नहीं उठता।”

इसके साथ ही उन्होंने राजस्थान का उल्लेख करते हुए आरोप लगाया कि “राजस्थान सरकार ने स्वयं राज्य की वक्फ संपत्तियों में से 80% पर कब्जा कर रखा है। टीएमसी सांसद कल्याण बनर्जी ने कहा, “ममता बनर्जी के नेतृत्व में अखिल भारतीय तृणमूल कांग्रेस की ओर से मैं इस विधेयक का पुरजोर विरोध करता हूं। मेरे भाषण की भावना है ‘तू हिंदू बनेगा न मुसलमान बनेगा। इंसान की औलाद है इंसान बनेगा’…”

सरकार का पक्ष

विधेयक पेश करते हुए किरेन रिजिजू ने कहा कि सरकार किसी भी धार्मिक संस्थान में हस्तक्षेप नहीं कर रही है, बल्कि यह संशोधन इसलिए जरूरी है क्योंकि 2013 में यूपीए सरकार द्वारा किए गए बदलावों ने वक्फ कानून को अन्य अधिनियमों से ऊपर कर दिया था। उन्होंने कहा, “हमारी सरकार वक्फ कानून में पारदर्शिता लाने और इसमें सुधार करने के लिए यह संशोधन ला रही है। विपक्ष जानबूझकर लोगों को गुमराह कर रहा है।”

विधेयक में प्रमुख बदलाव

पांच साल तक सक्रिय मुस्लिम होने की अनिवार्यता: प्रस्तावित विधेयक के तहत, केवल उन्हीं लोगों को वक्फ संपत्ति देने की अनुमति होगी जो कम से कम पांच वर्षों से इस्लाम धर्म का पालन कर रहे हैं।

महिलाओं के अधिकारों की सुरक्षा: यह विधेयक सुनिश्चित करता है कि मुस्लिम महिलाओं को वक्फ में संपत्ति दान करने से पहले अपनी संपत्ति पर उत्तराधिकार के रूप में अधिकार मिले, विशेष रूप से विधवा, तलाकशुदा महिलाओं और अनाथों के मामले में।

सरकारी संपत्तियों की जांच: किसी भी सरकारी संपत्ति को वक्फ संपत्ति के रूप में दावा करने की स्थिति में, जांच का कार्य कलेक्टर से ऊपर के अधिकारी द्वारा किया जाएगा।

न्यायिक प्राधिकरण का स्थानांतरण: वक्फ संपत्ति से जुड़े स्वामित्व विवादों का अंतिम निर्णय वक्फ ट्रिब्यूनल की बजाय वरिष्ठ सरकारी अधिकारियों के पास होगा।

 

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