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मुख्य चुनाव आयुक्त के खिलाफ महाभियोग लाएगा विपक्ष? INDI गठबंधन के लिए मुश्किल रास्ता; क्या है प्रक्रिया

नई दिल्ली: चुनाव आयोग पर चुनावी धोखाधड़ी के आरोपों को लेकर चल रही तनातनी के बीच विपक्ष अब मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार को हटाने के लिए प्रस्ताव लाने पर विचार कर रहा है। सूत्रों के हवाले ये जानकारी सामने आई है। सूत्रों के अनुसार, विपक्षी दलों ने सोमवार सुबह संसद भवन में अपने नेताओं की बैठक के दौरान चुनाव आयोग प्रमुख को हटाने के प्रस्ताव पर चर्चा की।

हालांकि, इस संबंध में कोई आधिकारिक स्पष्टता नहीं है। न्यूज-18 की एक रिपोर्ट के अनुसार कांग्रेस के राज्यसभा सांसद सैयद नसीर हुसैन ने कहा कि पार्टी लोकतंत्र के सभी संवैधानिक हथियारों का इस्तेमाल करने को तैयार है। उन्होंने कहा कि जरूरत पड़ी तो लोकतंत्र के तहत उपलब्ध सभी हथियारों का इस्तेमाल किया जाएगा लेकिन अभी तक महाभियोग पर कोई औपचारिक चर्चा नहीं हुई है। जरूरत पड़ी तो कोई भी कदम उठाया जा सकता है।

मुख्य चुनाव आयुक्त को हटाने की क्या प्रक्रिया है?

मुख्य चुनाव आयुक्त को हटाने की प्रक्रिया सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश के समान ही है। ऐसे प्रस्ताव को संसद के दोनों सदनों में दो-तिहाई बहुमत से पारित होना आवश्यक है। हटाने का आधार ‘सिद्ध कदाचार या अक्षमता’ होनी चाहिए। चूँकि विपक्ष के पास इस तरह के प्रस्ताव को पारित कराने के लिए पर्याप्त संख्याबल नहीं है, इसलिए यह दबाव बनाने की रणनीति मानी जा सकती है।

विपक्षी दलों की ये योजना चुनाव आयोग प्रमुख द्वारा INDIA गुट के आरोपों पर पलटवार करते हुए की गई तीखी टिप्पणियों के बाद आई हैं। दरअसल, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राहुल गांधी के ‘वोट चोरी’ वाले बयान पर पलटवार करते हुए कुमार ने कल कहा था कि ऐसे ‘अनुचित शब्दों’ का प्रयोग संविधान का अपमान करने के समान है।

चुनाव आयुक्त ने कल प्रेस कॉन्फ्रेंस में क्या कहा था?

रविवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस में मुख्य चुनाव आयुक्त ने कहा कि चुनाव आयोग का इस्तेमाल राजनीतिक उद्देश्यों के लिए एक लॉन्चपैड के रूप में किया जा रहा है और चुनाव आयोग मतदाताओं के साथ पूरी तरह से खड़ा है। उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग के लिए हर पार्टी एक समान है और वह सत्ताधारी दल और विपक्ष के बीच कोई भेदभाव नहीं करता।

इस महीने की शुरुआत में राहुल गांधी ने 2024 के लोकसभा चुनाव के दौरान कर्नाटक के महादेवपुरा विधानसभा क्षेत्र में मतदान में धोखाधड़ी का आरोप लगाया था। लोकसभा में विपक्ष के नेता ने अब बिहार में मतदाता अधिकार यात्रा शुरू की है। यह यात्रा चुनावी राज्य के 20 जिलों में 1,300 किलोमीटर की दूरी तय करेगी। कांग्रेस और उसकी सहयोगी राजद ने बिहार में मतदाता सूचियों के विशेष गहन पुनरीक्षण को चुनौती देते हुए आरोप लगाया है कि चुनाव आयोग मतदाता सूची में छेड़छाड़ करने और सत्तारूढ़ दल को फायदा पहुंचाने के लिए भाजपा के साथ मिलीभगत कर रहा है।

इस तरह के आरोपों का खंडन करते हुए चुनाव आयोग प्रमुख ने कल कहा, ‘एक करोड़ से ज्यादा अधिकारी, 10 लाख से ज्यादा बूथ-लेवल एजेंट और 20 लाख से ज्यादा पोलिंग एजेंट लोकसभा चुनाव में काम करते हैं। क्या कोई इतने सारे लोगों के सामने और इतनी पारदर्शी प्रक्रिया के बावजूद वोट चुरा सकता है? दोहरे मतदान के कुछ आरोप लगाए गए थे, लेकिन जब हमने सबूत मांगे, तो हमें कुछ नहीं मिला। ऐसे आरोपों से न तो चुनाव आयोग और न ही कोई मतदाता डरता है।’

महादेवपुरा मामले में राहुल गांधी के आरोपों के बाद, कर्नाटक चुनाव आयोग ने उनसे शपथपत्र जमा कराने कहा था। राहुल गांधी ने इससे इनकार कर दिया है और कहा कि उन्होंने जो आँकड़े दिए हैं, वे चुनाव आयोग के हैं, उनके नहीं।
वहीं, कांग्रेस नेता को हलफनामा (शपथपत्र) जमा करने पर जोर देते हुए ज्ञानेश कुमार ने कहा कि ‘हलफनामा देना होगा या (उन्हें) देश से माफ़ी मांगनी होगी। कोई तीसरा विकल्प नहीं है। अगर हमें सात दिनों के भीतर हलफनामा नहीं मिलता है, तो इसका मतलब है कि ये आरोप निराधार हैं।’

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