नई दिल्ली: सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने शुक्रवार को नई दिल्ली स्थित मानेकशॉ सेंटर में एक किताब विमोचन के मौके पर खुलासा किया कि ऑपरेश सिंदूर सिर्फ तीन दिनों तक नहीं चला था। इससे ज्यादा अवधि तक जारी रहा था।
सेना प्रमुख ने शुक्रवार को लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) केजेएस ढिल्लों की पुस्तक ‘ऑपरेशन सिंदूर: द अनटोल्ड स्टोरी ऑफ इंडियाज डीप स्ट्राइक्स इनसाइड पाकिस्तान’ का विमोचन किया। किताब में इस साल की शुरुआत में नियंत्रण रेखा (LoC) के पार भारत द्वारा चलाए गए निर्णायक बहु-क्षेत्रीय अभियान के बारे में विस्तार पूर्वक चर्चा की गई है।
किताब पर बातचीत के दौरान जनरल द्विवेदी ने कहा कि ‘आपको लगता होगा कि 10 मई को युद्ध खत्म हो गया था, नहीं, ऐसा नहीं है।’ सेना प्रमुख ने कहा कि यह काफी समय तक चला, क्योंकि बहुत से फैसले लिए जाने बाकी थे। इससे ज्यादा मैं यहाँ साझा नहीं कर सकता।
उन्होंने बताया कि 22–23 अप्रैल को सेना ने कई पूर्व सैन्य अधिकारियों से बातचीत की थी ताकि अलग-अलग रणनीतिक विकल्पों का आकलन किया जा सके। कई दिग्गजों ने शानदार सुझाव दिए, लेकिन उन्हें राष्ट्रीय हित को ध्यान में रखकर ही लागू करना था। हर कदम, यहाँ तक कि सोची-समझी चुप्पी भी, लंबे समय तक असर डालती है।
गौरतलब है कि ‘ऑपरेशन सिंदूर’, जिसे 7 मई को पहलगाम आतंकी हमले के जवाब में शुरू किया गया था, पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) में कई आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया था।
‘घुसपैठ की कोशिशें जारी, आतंकवाद खत्म नहीं हुआ‘
जनरल द्विवेदी ने भारत-पाकिस्तान सीमा पर जारी चुनौतियों के बारे में भी बात की। उन्होंने कहा कि ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के प्रभाव का आकलन करना अभी जल्दबाजी होगी, क्योंकि पाकिस्तान-प्रायोजित आतंकवाद अभी खत्म नहीं हुआ है और सीमा पार से घुसपैठ की कोशिशें अभी भी जारी हैं। उन्होंने कहा, क्या राज्य-प्रायोजित आतंकवाद खत्म हो गया है? मुझे नहीं लगता, क्योंकि एलओसी पर घुसपैठ की कोशिशें अभी भी हो रही हैं।
सेना प्रमुख ने तीनों सेनाओं के बीच तालमेल और एकीकरण (थिएट्राइजेशन) पर भी जोर दिया। उन्होंने कहा कि यह प्रक्रिया होकर रहेगी, भले ही इसमें समय लगे। उन्होंने भारतीय सेना के समन्वित अभियान की तुलना एक लयबद्ध लहर से की, जिसमें हर कोई एक साथ मिलकर काम कर रहा था।
उन्होंने कहा कि आधुनिक युद्ध में, जहाँ कई एजेंसियां (तीनों सेनाओं से लेकर नागरिक और साइबर इकाइयाँ) शामिल होती हैं, वहाँ एक एकीकृत कमान संरचना बेहद रूरी है। उन्होंने आगे कहा कि अगर इतनी सारी एजेंसियों के साथ तालमेल बिठाना है, तो थिएट्राइजेशन ही एकमात्र उपाय है।
चेन्नई में एक अलग कार्यक्रम में, वायु सेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल सिंह अमर प्रीत सिंह ने भी ‘ऑपरेशन सिंदूर’ में दिखाए गए असाधारण तालमेल की सराहना की थी। उन्होंने कहा कि यह तीनों सेनाओं और अन्य एजेंसियों के बीच तालमेल का एक उत्कृष्ट उदाहरण है।
डिफेंस सेक्टर को मिला जीएसटी में छूट का फायदा
सेना प्रमुख ने हाल ही में हुए जीएसटी सुधारों का भी जिक्र किया। उन्होंने सरकार के इस फैसले का स्वागत किया। जनरल द्विवेदी ने कहा कि ड्रोन पर जीएसटी को 18 प्रतिशत से घटाकर 5 प्रतिशत करने से सेना को बड़े पैमाने पर ड्रोन खरीदने में मदद मिलेगी। उन्होंने कहा कि इस कदम से रक्षा गलियारों को मजबूती मिलेगी और छोटे उद्यमों को भी इस क्षेत्र में शामिल होने का प्रोत्साहन मिलेगा।