Friday, October 10, 2025
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ओडिशा सरकार तबादला-पोस्टिंग में मनमाना हस्तक्षेप पर सख्त, पुरानी सरकार के अफसरों को हटाया

भुवनेश्वर: ओडिशा सरकार ने अपने कर्मचारियों को पोस्टिंग और तबादलों को प्रभावित करने के किसी भी प्रयास के खिलाफ सख्त चेतावनी दी है। इसे सरकारी आचरण नियमों का उल्लंघन बताया है।

मुख्य सचिव मनोज आहूजा ने सभी सचिवों और कलेक्टरों को एक नोट में साफ किया कि किसी भी बाहरी प्रभाव का इस्तेमाल सरकारी नियमों के तहत नहीं किया जा सकता।

अंग्रेजी अखबार द इंडियन एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक, ओडिशा सरकारी कर्मचारी आचरण नियम, 1959 के नियम 23 के अनुसार, कोई भी सरकारी कर्मचारी अपनी नौकरी, पदोन्नति या सेवा शर्तों के मामलों में किसी अधिकारी पर प्रभाव डालने की कोशिश नहीं कर सकता।

यह चेतावनी ऐसे समय में आई है जब बीजेपी की नई सरकार ने सत्ता संभालते ही नौकरशाही, पुलिस, और इंजीनियरिंग सेवाओं में बड़े पैमाने पर बदलाव किए हैं।

ओडिशा के पिछली सरकार के करीबी अफसरों पर असर

इंडियन एक्सप्रेस ने सरकारी सूत्रों के हवाले से बताया है कि इन बदलावों से विशेष रूप से वे अधिकारी प्रभावित हुए हैं, जिन्हें पिछले शासन के करीबी माना जाता था। कुछ अधिकारियों ने अपनी पोस्टिंग को प्रभावित करने की कोशिशों की, तब सरकार की ओर से इस तरह के निर्देश जारी किए गए।

ओडिशा सरकार के मुख्य सचिव ने अपने नोट में कहा कि सरकारी कर्मचारियों से ईमानदारी और उच्च आचरण की अपेक्षा की जाती है और उन्हें सभी सेवा मामलों में निष्पक्षता और पारदर्शिता बनाए रखनी चाहिए।

मुख्य सचिव ने यह भी कहा कि तबादले और नियुक्तियां प्रशासनिक जरूरतों और योग्यता के आधार पर की जाती हैं, और इस प्रक्रिया को दरकिनार करने का प्रयास गंभीर कदाचार माना जाएगा।

राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष को पद से हटाया

अखबार ने अपनी खबर में बताया है कि एक अन्य मामले में राज्य सरकार ने ओडिशा राज्य महिला आयोग (ओएससीडब्ल्यू) की अध्यक्ष मिनाती बेहरा को पद से हटा दिया है। इसके पीछे यह वजह बताई गई है कि उनके नेतृत्व में आयोग का प्रदर्शन असंतोषजनक था।

बेहरा को पहले बीजू जनता दल सरकार के तहत नियुक्त किया गया था और वे दो कार्यकालों से इस पद पर थीं। इस निर्णय के कुछ ही दिनों पहले आयोग के चार अन्य सदस्यों को भी बर्खास्त किया गया था।

सरकार की अधिसूचना के बावजूद बेहरा कथित तौर पर कार्यालय में काम करती रहीं, जिसके बाद महिला एवं बाल विकास विभाग ने उन्हें कारण बताओ नोटिस जारी किया। बाद में सरकार ने उनके जवाब को असंतोषजनक पाते हुए उन्हें औपचारिक रूप से हटा दिया है।

मीडिया से बात करते हुए, बेहरा ने सरकार के आदेश को स्वीकार करने की बात कही, लेकिन यह भी जोड़ा कि उन्हें अपना पक्ष रखने का अवसर मिलना चाहिए था। बेहरा ने आयोग के प्रदर्शन को लेकर सरकार की आलोचना को भी खारिज करते हुए कहा कि उनके कार्यकाल में आयोग ने अच्छा काम किया है।

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