Thursday, October 9, 2025
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Nobel Prize Literature 2025: हंगरी के लास्जलो क्रास्ज्नाहोरकाई बने विजेता

हंगरी के लास्जलो क्रास्ज्नाहोरकाई को साल 2025 के लिए नोबेल साहित्य श्रेणी में विजेता चुना गया है। उन्हें 11 मिलियन स्वीडिश क्रोना दिए जाएंगे। लास्जलो के अलावा अन्य नामों की भी खूब चर्चा की हो रही थी।

Nobel Prize Literature 2025: रॉयल स्वीडिश एकेडमी ऑफ साइंसेज ने गुरुवार, 9 अक्टूबर को साहित्य में नोबेल प्राइज की घोषणा कर दी है। इस साल साहित्य श्रेणी में नोबेल पुरस्कार हंगरी के लेखक लास्जलो क्रास्ज्नाहोरकाई (László Krasznahorkai) को दिया गया है। उन्हें “उनके सम्मोहक और दूरदर्शी कार्यों के लिए, जो सर्वनाशकारी आतंक के बीच, कला की शक्ति की पुष्टि करते हैं”, के लिए चुना गया है। उन्हें पुरस्कार राशि के रूप में 11 मिलियन स्वीडिश क्रोना (1 करोड़ से अधिक रुपये) दिए जाएंगे।

लास्जलो का जन्म साल 1954 में हुआ था। 71 वर्षीय लास्जलो का जन्म रोमेनियाई सीमा के निकट ग्युला में हुआ था। 1985 में उनका पहला उपन्यास प्रकाशित हुआ था। अपने पहले ही उपन्यास से उन्होंने हंगरी के साहित्यिक जगत में सनसनी पैदा कर दी थी। उनके इस उपन्यास का नाम ‘सातांतंगो (Satantango)’ था।

लास्जलो की प्रकाशित कृतियां

इस साल लास्जलो की आई नई कृति ‘हर्श्ट 07769’ भी खूब लोकप्रिय हुई। इस कृति को देश की सामाजिक अशांति को सटीकता से चित्रित करने के कारण एक महान समकालीन जर्मन उपन्यास कहा जा सकता है।

‘हर्श्ट 07769’ में हम खुद को कार्पेथियन के किसी भयावह दुःस्वप्न में नहीं, बल्कि जर्मनी के थुरिंगेन के एक समकालीन छोटे से कस्बे के एक विश्वसनीय चित्रण में पाते हैं, जो फिर भी सामाजिक अराजकता, हत्या और आगजनी से ग्रस्त है। साथ ही, उपन्यास का आतंक जोहान सेबेस्टियन बाख की शक्तिशाली विरासत की पृष्ठभूमि में रचा-बसा है। नोबेल समिति के बयान में कहा गया है कि यह एक ही सांस में लिखी गई किताब है, जिसमें हिंसा और सुंदरता का ‘असंभव’ रूप से सम्मिश्रण है।

लास्जलो की अन्य प्रमुख कृतियों में उनका उपन्यास ‘एस्जाक्रोल हेगी (Északról hegy)’, ‘डेलरो टू (Délről tó)’, ‘ न्युगट्रोल उतक (Nyugatról utak)’, ‘केलेट्रोल फोल्यो (Keletről folyó) (‘A Mountain to the North, a Lake to the South, Paths to the West, a River to the East’, 2022)’, और ‘सेइओब्दो जार्ट ओडालेंट (Seiobo járt odalent)’ शामिल हैं।

उनका एक कहानी संग्रह भी काफी लोकप्रिय है। ‘सियोबो देयर बिलो’ 17 कहानियों का एक संग्रह है, जो अंधत्व और अनित्यता की दुनिया में सौंदर्य और कलात्मक सृजन की भूमिका के बारे में फिबोनाची अनुक्रम में व्यवस्थित है।

इन लेखकों की भी थी चर्चा

साहित्य श्रेणी में नोबेल पुरस्कार की घोषणा से पहले कई अन्य नामों पर भी चर्चा काफी तेज थी। इनमें ऑस्ट्रेलियाई लेखक गेराल्ड मुर्नेन, मैक्सिको की लेखिका क्रिस्टीना रिवेरा गार्जा का नाम भी शामिल था। इसके अलावा जापानी लेखक हारुकी मुराकामी और रोमानिया की मिर्सिया कार्टारेस्कु का नाम शामिल था। वहीं, अमेरिकी लेखक थॉमस पिंचन और चीन के कैन जू शामिल थे।

इसके अलावा भारतीय मूल के लेखकों में सलमान रश्दी और अमिताभ घोष के नामों की चर्चा थी। वहीं, भारतीय साहित्यिक जगत में लोग विनोद कुमार शुक्ल, संजीव के नामों पर चर्चा कर रहे थे।

बीते साल साहित्य श्रेणी का नोबेल पुरस्कार दक्षिण कोरियाई लेखिका हान कांग को मिला था। साल 1901 में फ्रांसीसी कवि सुली प्रोधोम को पहला नोबेल पुरस्कार मिला था।

इस पुरस्कार को जीतने वाले को 11 मिलियन स्वीडिश क्रोनोर दिए जाते हैं। भारतीय मूल्य में इसकी कीमत लगभग 1 करोड़ रुपये से अधिक की है। यह राशि 10 दिसंबर को दी जाएगी।

नोबेल पुरस्कार के 124 सालों के इतिहास में अब तक सिर्फ 18 महिलाओं को इसके लिए चुना गया है। वहीं, फ्रांस ने सर्वाधिक 16 नोबेल पुरस्कार जीते हैं।

अमरेन्द्र यादव
अमरेन्द्र यादव
लखनऊ विश्वविद्यालय से राजनीति शास्त्र में स्नातक करने के बाद जामिया मिल्लिया इस्लामिया से पत्रकारिता की पढ़ाई। जागरण न्यू मीडिया में बतौर कंटेंट राइटर काम करने के बाद 'बोले भारत' में कॉपी राइटर के रूप में कार्यरत...सीखना निरंतर जारी है...
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