Thursday, October 9, 2025
Homeसाइंस-टेकNobel Prize Chemistry 2025: क्यों मिला जापान, अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया के वैज्ञानिकों...

Nobel Prize Chemistry 2025: क्यों मिला जापान, अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया के वैज्ञानिकों को इस साल केमिस्ट्री का नोबेल पुरस्कार?

क्योटो विश्वविद्यालय के सुसुमु कितागावा, मेलबर्न विश्वविद्यालय के रिचर्ड रॉबसन और कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय, बर्कले के उमर एम याघी को इस साल का रसायन विज्ञान का नोबेल पुरस्कार दिया जाएगा।

Nobel Prize Chemistry 2025: रसायन विज्ञान का नोबेल पुरस्कार इस साल क्योटो विश्वविद्यालय के सुसुमु कितागावा, मेलबर्न विश्वविद्यालय के रिचर्ड रॉबसन और कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय, बर्कले के उमर एम याघी को देने का फैसला किया गया है। स्वीडन की रॉयल स्वीडिश एकेडमी ऑफ साइंसेज ने बुधवार को इसका ऐलान किया।

इन्हें ये पुरस्कार ‘धातु-ऑर्गेनिक फ्रेमवर्क्स के विकास के लिए’ (development of metal–organic frameworks) प्रदान किया गया है। पुरस्कार की घोषणा करते हुए रॉयल स्वीडिश एकेडमी ऑफ साइंसेज ने कहा कि तीनों को आणविक संरचना का एक नया रूप डिज़ाइन करके रसायन विज्ञान में ‘नए नियम बनाने’ के लिए यह पुरस्कार दिया जा रहा है। विजेताओं को 11 मिलियन स्वीडिश क्रोना (10.3 करोड़ रुपए), सोने का मेडल और सर्टिफिकेट दिया जाएगा। पुरस्कार 10 दिसंबर को दिए जाएंगे।

तीन वैज्ञानिकों को केमिस्ट्री का नोबेल पुरस्कार?

रॉयल स्वीडिश एकेडमी ऑफ साइंसेज की विज्ञप्ति के अनुसार इन्हें ‘आणविक संरचना के एक नए रूप के विकास’ के लिए सम्मानित किया जा रहा। इन्होंने ऐसे मॉलेकुलर आर्किटेक्चर बनाए हैं, जिसमें मेटल आयन आधारशिला के रूप में कार्य करते हैं और जो लंबे कार्बनिक (कार्बन-आधारित) अणुओं से जुड़े होते हैं। धातु आयन और अणु मिलकर बड़ी क्रिस्टल बनाते हैं, जिसमें बड़े छिद्र होते हैं। इन छिद्रयुक्त पदार्थों को धातु-कार्बनिक ढाँचा (मेटल ऑर्गनिक फ्रेमवर्क, MOF) कहा जाता है।

आसान भाषा में समझें तो MOF ऐसी संरचनाएं है, जिनमें बड़े-बड़े खाली हिस्से होते हैं। ये खास तरह से डिजाइन किए जा सकते हैं ताकि वे किसी खास चीज को कैप्चर कर सकें या स्टोर कर सकें। ये MOF रासायनिक अभिक्रियाओं को संचालित कर सकते हैं या विद्युत का संचालन भी कर सकते हैं।

इस खोज की यात्रा 1989 में शुरू हुई जब रिचर्ड रॉबसन ने चार्ज्ड तांबे के आयनों को एक चतुर्भुज अणु के साथ संयोजित करके, एक क्रिस्टल बनाने का प्रयोग किया।

हालाँकि उनकी प्रारंभिक बनाए क्रिस्टल अस्थिर थीं। जब उन्हें मिलाया गया, तो वे एक सुव्यवस्थित विशाल क्रिस्टल बनाने के लिए आपस में जुड़ गए। यह असंख्य कैविटिज से भरे हीरे जैसा था। 1992 और 2003 के बीच सुसुमु कितागावा और उमर यागी ने इस क्षेत्र में और काम किया। कितागावा ने इन ढाँचों के माध्यम से गैस प्रवाह और उनके संभावित लचीलेपन को दिखाया, जबकि यागी ने अत्यधिक स्थिर MOF विकसित किए जिन्हें विशिष्ट कार्यों के लिए संशोधित किया जा सकता था।

इन क्रिस्टल को कई तरह से इस्तेमाल किया जा सकता है। मसलन रेगिस्तानी हवा से पानी इकट्ठा करने, कार्बन डाइऑक्साइड को साफ करने, जहरीली गैसों को स्टोर करने, प्रदूषण हटाने, या रासायनिक क्रियाएं तेज करने में इनका इस्तेमाल हो सकता है।

केमिस्ट्री में नोबेल पुरस्कार का इतिहास

रसायन विज्ञान का नोबेल पुरस्कार 1901 से अब तक कुल 116 बार दिया गया है, जिसके तहत 197 पुरस्कार विजेताओं को सम्मानित किया जा चुका है। फ्रेडरिक सेंगर और बैरी शार्पलेस जैसे दो बार पुरस्कार जीतने वाले लोगों को मिलाकर 195 व्यक्तियों को यह पुरस्कार मिला है। यह पुरस्कार हालांकि, आठ वर्षों- 1916, 1917, 1919, 1924, 1933, 1940, 1941 और 1942 में किसी को नहीं दिया गया था।

सबसे कम उम्र के रसायन विज्ञान पुरस्कार विजेता फ्रेडरिक जोलियट हैं, जिन्होंने 1935 में 35 वर्ष की आयु में अपनी पत्नी इरीन जोलियट-क्यूरी के साथ यह पुरस्कार प्राप्त किया था। सबसे वृद्ध पुरस्कार विजेता जॉन बी. गुडइनफ हैं, जिन्होंने 2019 में 97 वर्ष की आयु में यह पुरस्कार जीता, जिससे वे सभी श्रेणियों में सबसे वृद्ध नोबेल पुरस्कार विजेता बन गए।

195 पुरस्कार विजेताओं में से केवल आठ महिलाएँ हैं, जिनमें मैरी क्यूरी और डोरोथी क्रोफुट हॉजकिन शामिल हैं। बता दें कि मैरी क्यूरी और उनकी बेटी इरीन जोलियट-क्यूरी एकमात्र माँ-बेटी जोड़ी हैं जिन्हें रसायन विज्ञान का नोबेल पुरस्कार मिला है।

विनीत कुमार
विनीत कुमार
पूर्व में IANS, आज तक, न्यूज नेशन और लोकमत मीडिया जैसी मीडिया संस्थानों लिए काम कर चुके हैं। सेंट जेवियर्स कॉलेज, रांची से मास कम्यूनिकेशन एंड वीडियो प्रोडक्शन की डिग्री। मीडिया प्रबंधन का डिप्लोमा कोर्स। जिंदगी का साथ निभाते चले जाने और हर फिक्र को धुएं में उड़ाने वाली फिलॉसफी में गहरा भरोसा...
RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Most Popular

Recent Comments

मनोज मोहन on कहानीः याद 
प्रकाश on कहानीः याद 
योगेंद्र आहूजा on कहानीः याद 
प्रज्ञा विश्नोई on कहानीः याद 
डॉ उर्वशी on एक जासूसी कथा