नई दिल्ली: नीति आयोग ने नए आयकर अधिनियम-2025 के तहत 12 अपराधों को पूरी तरह से गैर-अपराधीकरण करने की सिफारिश की है। साथ ही आयोग ने 17 अपराधों के लिए आपराधिक मामले को केवल तभी बनाए रखने का सुझाव दिया है जब धोखाधड़ी का इरादा स्थापित हो। इसके अलावा छह गंभीर अपराधों के लिए आपराधिक प्रावधान बनाए रखा गया है।
द प्रिंट की रिपोर्ट के मुताबिक शुक्रवार को जारी टैक्स पॉलिसी वर्किंग पेपर सीरीज-II के अनुसार, 12 अपराधों को गैर-अपराधीकरण करने से न केवल मुकदमे आदि को कम करने में मदद मिलेगी, बल्कि करदाताओं और प्रशासन के बीच विश्वास और सहयोग को भी बढ़ावा मिलेगा। इसमें कहा गया है कि इसकी वजह से स्वैच्छा से नियमों के अनुपालन में वृद्धि होगी।
‘भारत के कर परिवर्तन की ओर: गैर-अपराधीकरण और विश्वास-आधारित शासन’ के शीर्षक वाले नीति आयोग के पेपर में कहा गया है कि भय आधारित प्रवर्तन से हटकर चीजों को विश्वास आधारित शासन की ओर जाने की आवश्यकता है।
‘नागरिकों और राज्य के बीच विश्वास स्थापित करने की जरूरत‘
नीति आयोग ने आयकर अधिनियम 2025 का स्वागत करते हुए इसे सही दिशा में उठाया गया एक कदम बताया है। साथ ही इसने सुझाव दिया कि एक सुधार के रूप में इसकी पूरी क्षमता को समझने के लिए आपराधिक मुकदमे का डर पैदा करने की बजाय नागरिकों और राज्य के बीच विश्वास स्थापित करने की आवश्यकता है।
रिपोर्ट में धोखाधड़ी और गलती के बीच अंतर करने की आवश्यकता पर जोर दिया गया है। इसमें सुझाव दिया गया है कि अधिनियम में उल्लिखित 17 अपराधों के लिए आपराधिक मामले को तभी बरकरार रखा जाना चाहिए जब धोखाधड़ी का इरादा साबित हो जाए। आयोग ने केवल छह अपराधों में आपराधिक प्रावधानों को बनाए रखने की सिफारिश की है, जहाँ जानबूझकर और गंभीर कदाचार किया गया हो।
नीति आयोग के सीईओ बी.वी.आर. सुब्रह्मण्यम ने इस पेपर के विमोचन के अवसर पर कहा, ‘अगर भारत को 2047 तक विकसित भारत बनना है, तो हमें एक ऐसी विश्वस्तरीय कर प्रणाली की आवश्यकता है जो अनुपालन को बढ़ावा दे, जो आसान हो, जो निष्पक्ष हो, जो न्यायसंगत हो और जो कर कानूनों के अनुपालन को बढ़ावा दे, न कि उन्हें इतना जटिल बना दे कि कहीं न कहीं, जानबूझकर नहीं बल्कि अनजाने में ही चूक जाएँ।’
उन्होंने आगे कहा कि अगर अपराध का फैसला अदालत में होना है, तो उस कृत्य में न्यूनतम कारावास की अनिवार्यता नहीं होनी चाहिए। अगर न्यूनतम कारावास की अनिवार्यता का प्रावधान है, तो जज के पास फैसला सुनाने का लचीलापन नहीं रह जाता।
परदर्शी सिस्टम तैयार करने पर फोकस: नीति आयोग
सुब्रह्मण्यम ने कहा कि भारत के कर सुधार एक निर्णायक चरण में है और सरलीकरण, आधुनिकीकरण और कर प्रशासन में विश्वास को बढ़ाने पर फोकस किया जा रहा है।
उन्होंने कहा, ‘जैसे-जैसे भारत प्रवर्तन-संचालित अनुपालन से विश्वास-आधारित शासन की ओर बढ़ रहा है, फोकस आनुपातिक, निष्पक्ष और पारदर्शी प्रवर्तन सिस्टम पर केंद्रित होना चाहिए जो करदाताओं को सशक्त बनाते हुए राजकोषीय अखंडता की रक्षा करें।’
नीति आयोग के वर्किंग-पेपर में कहा गया कि 2025 अधिनियम में कई पुराने अपराधों को खत्म कर दिया गया है, लेकिन 13 प्रावधानों में 35 कार्यों और गलती को आपराधिक श्रेणी में रखा गया है, जिनमें से अधिकांश में अनिवार्य कारावास का प्रावधान है।
वर्किंग-पेपर में एक सुनियोजित गैर-अपराधीकरण रोडमैप की सिफारिश की गई है, जिसमें मामूली प्रक्रियागत चूक के लिए कारावास को हटाना, धोखाधड़ी या जानबूझकर कर चोरी से जुड़े मामलों तक ही आपराधिक दंड को सीमित करना और सिविल और प्रशासनिक सजा की भूमिका को बढ़ाना शामिल है।
सुब्रह्मण्यम के अनुसार, ऐसे सुधारों से मुकदमेबाजी कम होगी, निवेशकों का विश्वास बढ़ेगा और ग्लोबल बेस्ट प्रैक्टिस के अनुरूप एक निष्पक्ष और पूर्वानुमानित कर व्यवस्था के प्रति भारत की प्रतिबद्धता और मजबूत होगी।