Friday, October 10, 2025
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नीरव मोदी को एक बार फिर झटका, यूके हाईकोर्ट ने 10वीं बार जमानत याचिका की खारिज

लंदनः पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) घोटाले के मुख्य आरोपी नीरव मोदी को यूके हाईकोर्ट ने एक बार फिर जमानत देने से इनकार कर दिया है। यह उसका 10वां प्रयास था, जिसे अदालत ने 15 मई को सुनवाई के बाद खारिज कर दिया। नीरव मोदी मार्च 2019 से लंदन की जेल में बंद है और भारत में प्रत्यर्पण का सामना कर रहा है।

भारत सरकार की एजेंसी प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने एक आधिकारिक पोस्ट में बताया, “पीएनबी घोटाले के मास्टरमाइंड नीरव मोदी को यूके हाईकोर्ट ने एक बार फिर जमानत नहीं दी। यह याचिका उसकी चौथी औपचारिक जमानत याचिका थी, जिसकी सुनवाई 15 मई 2025 को हुई।”

ईडी ने बताया कि अदालत में बचाव पक्ष (नीरव मोदी) और अभियोजन पक्ष (भारत सरकार) की दलीलों को सुनने के बाद, ईडी द्वारा जमा किए गए लिखित साक्ष्यों पर भी विचार हुआ। इन साक्ष्यों में यह बताया गया कि कैसे नीरव मोदी ने शेल कंपनियों के जरिए विदेशों में मनी लॉन्ड्रिंग की, जिनमें यूके भी शामिल है।

अदालत ने धोखाधड़ी की गंभीरता, ईडी द्वारा जब्त की गई संपत्तियों और बैंकों को लौटाई गई धनराशि को ध्यान में रखते हुए जमानत याचिका खारिज कर दी।

CBI ने भी किया जमानत का विरोध

इससे पहले सप्ताह की शुरुआत में सीबीआई ने भी एक प्रेस विज्ञप्ति में बताया कि नीरव मोदी की नई जमानत याचिका को लंदन की हाई कोर्ट ऑफ जस्टिस, किंग्स बेंच डिवीजन ने खारिज कर दिया।

सीबीआई ने बताया कि क्राउन अभियोजन सेवा के अधिवक्ता ने जमानत का जोरदार विरोध किया और भारत से पहुंचे सीबीआई के जांच अधिकारी और विधिक विशेषज्ञों की टीम ने अदालत में मजबूत पक्ष रखा।

सीबीआई ने कहा, “नीरव मोदी भारत में सीबीआई द्वारा दर्ज 6,498.20 करोड़ रुपये के बैंक घोटाले में वांछित है। वह एक भगोड़ा आर्थिक अपराधी है। 2019 में गिरफ्तारी के बाद से यह उसका 10वां जमानत प्रयास था, जिसे एक बार फिर चुनौती दी गई।”

प्रत्यर्पण को कोर्ट पहले ही दे चुका है मंजूरी

नीरव मोदी को मार्च 2019 में ब्रिटिश अधिकारियों ने गिरफ्तार किया था। उसके प्रत्यर्पण को पहले ही यूके हाईकोर्ट ने मंजूरी दे दी है। प्रवर्तन निदेशालय ने 2018 में उसके और उसके मामा मेहुल चोकसी के खिलाफ पीएमएलए के तहत केस दर्ज किया था, जिसमें कई संपत्तियाँ जब्त की गई हैं। नीरव मोदी द्वारा प्रत्यर्पण रोकने की हर कोशिश अब तक नाकाम रही है। दिसंबर 2022 में यूके सुप्रीम कोर्ट में भी उसकी याचिका खारिज कर दी गई थी।

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