नई दिल्ली: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के 100 साल और विजयादशमी के मौके पर मोहन भागतव ने गुरुवार को अपना संबोधन दिया। आरएसएस प्रमुख ने इस दौरान अपने भाषण में अमेरिकी टैरिफ से लेकर नेपाल में हुए प्रदर्शन और तख्तापलट सहित पहलगाम आतंकी हमले का भी जिक्र किया। मोहन भागवत ने पहलगाम हमले का जिक्र करते हुए कहा कि भारत को अपनी सुरक्षा के लिए हमेशा सतर्क और तैयार रहना होगा। साथ ही मोहन भागवत ने अमेरिकी टैरिफ की भी चर्चा की और कहा कि देश को आत्मनिर्भरता के रास्ते पर बढ़ना होगा।
आरएसएस इस साल अपनी स्थापना के 100 साल पूरे होने का भी जश्न मना रहा है। आरएसएस की स्थापना 100 साल पहले 27 सितंबर 1925 को विजयादशमी के दिन हुई थी। हर साल विजयादशमी के मौके पर नागपुर में आरएसएस प्रमुख स्वयंसेवकों को संबोधित करते हैं। इस बार संघ के आयोजन के मौके पर पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद भी पहुंचे थे।
अमेरिकी टैरिफ पर मोहन भागवत
मोहन भागवत ने भारत के खिलाफ अमेरिका के टैरिफ हमले के प्रमुख मुद्दे पर बोलते हुए कहा कि आयात पर निर्भरता मजबूरी नहीं बननी चाहिए और स्वदेशी या स्वदेशी उत्पादन का कोई विकल्प नहीं है।
उन्होंने कहा, ‘अमेरिका द्वारा लागू की गई नई टैरिफ नीति उनके हितों को ध्यान में रखकर बनाई गई है। लेकिन इससे सभी प्रभावित होते हैं…दुनिया एक-दूसरे पर निर्भरता के साथ काम करती है। कोई भी देश अलग-थलग नहीं रह सकता। यह निर्भरता मजबूरी में नहीं बदलनी चाहिए, हमें स्वदेशी पर भरोसा करना चाहिए और आत्मनिर्भरता पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए, साथ ही अपने सभी मित्र देशों के साथ राजनयिक संबंध बनाए रखने का प्रयास करना चाहिए, जो हमारी इच्छा से और बिना किसी मजबूरी के होंगे।’
‘अराजकता बाहरी शक्तियों को अपना खेल खेलने का मौका देती है’
भागवत ने नागपुर स्थित आरएसएस मुख्यालय में विजयादशमी पर अपने संबोधन में नेपाल में हाल में हुए विरोध प्रदर्शनों का भी जिक्र किया। आरएसएस प्रमुख ने जेन-जी के विरोध प्रदर्शन पर कहा, ‘पड़ोस में अशांति कोई अच्छा संकेत नहीं है।’ उन्होंने कहा, ‘श्रीलंका, बांग्लादेश और हाल ही में नेपाल में जनाक्रोश के हिंसक विस्फोट के कारण सत्ता परिवर्तन हमारे लिए चिंता का विषय है। भारत में ऐसी अशांति पैदा करने की चाहत रखने वाली ताकतें हमारे देश के अंदर और बाहर दोनों जगह सक्रिय हैं।’
भागवत ने कहा, ‘लोकतांत्रिक आंदोलन बदलाव लाते हैं, हिंसक विद्रोह नहीं। वे उथल-पुथल मचाते हैं, लेकिन यथास्थिति बनी रहती है। इतिहास देखिए। कोई भी क्रांति अपना उद्देश्य पूरा नहीं कर पाई। फ्रांस अपने राजा के खिलाफ उठा और नेपोलियन सम्राट बना। इतने सारे तथाकथित समाजवादी आंदोलन हुए, ये सभी समाजवादी देश अब पूंजीवादी हो गए हैं। अराजकता बाहरी शक्तियों को अपना खेल खेलने का मौका देती है।’
आरएसएस प्रमुख ने कहा कि विविधता भारत की परंपरा है और हमें अपने मतभेदों को स्वीकार करना चाहिए। उन्होंने कहा, ‘कुछ मतभेद कलह का कारण बन सकते हैं। मतभेदों को कानून के दायरे में व्यक्त किया जाना चाहिए। समुदायों को उकसाना अस्वीकार्य है। प्रशासन को निष्पक्ष रूप से कार्य करना चाहिए, लेकिन युवाओं को भी सतर्क रहना चाहिए और जरूरत पड़ने पर हस्तक्षेप करना चाहिए। अराजकता को रोकना होगा।’ भागवत ने कहा कि ‘हम’ बनाम ‘वे’ की मानसिकता अस्वीकार्य है।
पहलगाम हमले का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि 26 बेगुनाहों की धर्म पूछकर हत्या से पूरे देश में आक्रोश फैला। उन्होंने कहा, ‘भारत सरकार ने मई में योजना बनाकर कड़ी प्रतिक्रिया दी। देश के मजबूत नेतृत्व और सुरक्षा बलों की बहादुरी के अलावा, हमने इस दौरान समाज की मजबूती और एकता भी देखी।’
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