काठमांडू: नेपाल में हालात बेकाबू होते जा रहे हैं। सरकार द्वारा सोशल मीडिया पर से बैन हटाने के बावजूद मंगलवार विरोध प्रदर्शन और हिंसक हो गया। मंगलवार को प्रदर्शनकारियों ने नेपाली कांग्रेस के कार्यालय में घुसने की कोशिश की और पार्टी कार्यालय के बाहर एक ट्रैफिक पोस्ट में आग लगा दी।
इसके अलावा प्रदर्शनकारियों ने राष्ट्रपति भवन परिसर को भी निशाना बनाया। मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, प्रदर्शनकारियों ने राष्ट्रपति आवास की दीवार को गिराने का प्रयास किया। सोशल मीडिया पर ऐसे वीडियो भी सामने आए हैं जिनमें प्रदर्शनकारी आवास के अंदर तोड़फोड़ करते, सीढ़ियों से ऊपर चढ़ते हुए देखे गए। हालांकि बोले भारत इस वीडियो की पुष्टि नहीं करता है।
बता दें कि हालात इतने खराब हो चुके हैं कि पुलिस ने नेताओं को सुरक्षा देने में असमर्थता जता दी है। यह घटना ऐसे समय में हुई है जब पूरे शहर में अनिश्चितकालीन कर्फ्यू लागू है। मंगलवार सुबह भी प्रदर्शनकारी सड़कों पर उतर आए और संसद भवन तथा कलंकी जैसे कई महत्वपूर्ण स्थानों पर विरोध प्रदर्शन किया।
नेताओं के घरों पर हमला और आगजनी
विरोध प्रदर्शनों के दौरान, प्रदर्शनकारियों ने शीर्ष सरकारी अधिकारियों और राष्ट्रीय नेताओं के आवासों को भी निशाना बनाया। मंगलवार सुबह, प्रदर्शनकारियों ने ललितपुर के सुनाकोठी में संचार, सूचना और प्रौद्योगिकी मंत्री पृथ्वी सुब्बा गुरुंग के निजी आवास में आग लगा दी। आग लगाने से पहले प्रदर्शनकारियों ने उनके घर पर पथराव भी किया।
सूत्रों के अनुसार, प्रदर्शनकारियों ने नेपाली कांग्रेस के अध्यक्ष शेर बहादुर देउबा, रमेश लेखक, वित्त मंत्री बिष्णु पौडेल, राज्यपाल बिस्वा पौडेल और पूर्व प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल के आवासों के बाहर भी विरोध प्रदर्शन किया। इन हमलों के बाद, सरकार ने राष्ट्रीय नेताओं के आवासों पर सुरक्षा बढ़ा दी है।
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पीएम केपी शर्मा ने बुलाई सर्वदलीय बैठक
हालात को देखते हुए नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने आज शाम छह बजे सर्वदलीय बैठक बुलाई है। दोपहर में जारी अपनी अपील में ओली ने कहा कि वह सोमवार को राजधानी काठमांडू और देश के अन्य हिस्सों में हुए विरोध प्रदर्शनों और उसके बाद की हिंसक घटनाओं से गहरी पीड़ा महसूस कर रहे हैं।
उन्होंने बताया कि संबंधित पक्षों के साथ बातचीत की शुरुआत हो चुकी है और सभी से आग्रह किया गया है कि बातचीत के ज़रिए शांतिपूर्ण समाधान तलाशा जाए। ओली ने प्रदर्शनकारियों से अपील करते हुए कहा, मैं सभी भाइयों और बहनों से विनम्र निवेदन करता हूं कि इस कठिन परिस्थिति में धैर्य और संयम बनाए रखें।
इससे पहले सोमवार देर रात जारी एक बयान में ओली ने हिंसा के लिए विरोध प्रदर्शनों में घुसपैठ करने वाले अवांछित समूहों को जिम्मेदार ठहराया था।
उन्होंने यह भी कहा था कि यह स्थिति सोच की अस्पष्टता और सरकार के प्रयासों को लेकर सूचना की कमी से पैदा हुई। इन प्रदर्शनों में भारी हिंसा हुई, सरकारी संपत्तियों को नुकसान पहुंचा और कई लोगों की जानें गईं। हालाँकि, लोग सोशल मीडिया पर सरकार की कड़ी आलोचना कर रहे हैं और उसे ‘हत्यारी सरकार’ तक कह रहे हैं। प्रदर्शनकारी ओली के इस्तीफे की मांग कर रहे हैं।
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कई मंत्रियों ने दिया इस्तीफा
इस बीच पीएम केपी शर्मा ओली की कैबिनेट के कई मंत्रियों ने इस्तीफा दे दिया है। अबतक चार मंत्रियों ने इस्तीफा दिया है। इस्तीफा देने वाले मंत्रियों में पेयजल मंत्री प्रदीप यादव, कृषि और पशुधन विकास मंत्री राम नाथ अधिकारी, स्वास्थ्य मंत्री प्रदीप पौडेल और गृहमंत्री रमेश लेखक शामिल हैं।
अपने इस्तीफे में राम नाथ ने कहा कि वे “राज्य की हिंसा से पैदा हुए दर्द” को देखते हुए पद पर नहीं रह सकते। उन्होंने आरोप लगाया कि राज्य द्वारा दिखाई गई हिंसा यह सवाल उठाती है कि क्या वर्तमान सरकार तानाशाही की ओर बढ़ रही है।
उन्होंने फेसबुक पर लिखा, “मुझे यह जानकर हैरानी हुई कि लोकतंत्र में सवाल पूछना और शांतिपूर्वक विरोध करना, जो नागरिकों का स्वाभाविक अधिकार है, उसे स्वीकार करने के बजाय हम दमन, हत्याओं और बल प्रयोग के रास्ते पर बढ़ रहे हैं। यह लोकतंत्र नहीं, बल्कि तानाशाही की ओर बढ़ना है।”
उन्होंने आगे लिखा, “जिस युवा पीढ़ी को देश निर्माण में साथ देना चाहिए था, उसी के साथ युद्ध जैसा व्यवहार क्यों किया जा रहा है? इन सवालों के जवाब खोजे बिना सत्ता में बने रहना मेरे लिए स्वीकार्य नहीं है।”
उन्होंने आगे लिखा कि मेरी अंतरात्मा मुझे लगातार चेतावनी दे रही है कि मासूम बच्चों की हत्या और उनके उत्पीड़न के बीच, जब पूरा देश शोक में डूबा है, तब सरकार में बने रहना मेरी नैतिकता और मेरी पार्टी की शिक्षा दोनों के खिलाफ है। मैं अपनी आधिकारिक ज़िम्मेदारियों से चिपके रहने को अपने लिए अपराध मानता हूं।
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भारत ने जारी की चेतावनी
इधर, भारत नेपाल के हालात पर करीब से नजर रख रहा है। सरकार ने नेपाल में रह रहे भारतीय नागरिकों को सतर्क रहने और स्थानीय प्रशासन के आदेशों का पालन करने की सलाह दी है।
भारत सरकार ने अपने बयान में कहा कि वह नेपाल की स्थिति पर करीबी नजर बनाए हुए है और युवा प्रदर्शनकारियों की मौत से गहरा दुख व्यक्त करती है। साथ ही भारत ने उम्मीद जताई कि नेपाल के सभी पक्ष संयम बरतेंगे और मुद्दों का समाधान शांतिपूर्ण वार्ता से करेंगे।
विरोध क्यों हो रहा है?
नेपाल सरकार ने सोशल मीडिया प्लेटफार्मों पर यह कहते हुए प्रतिबंध लगा दिया था कि फर्जी आईडी का उपयोग करके घृणास्पद भाषण, फर्जी खबरें और धोखाधड़ी को बढ़ावा दिया जा रहा है। सरकार का तर्क था कि ये प्लेटफॉर्म देश के पंजीकरण नियमों का पालन नहीं कर रहे थे।
इसके जवाब में, हजारों की संख्या में युवा, जिनमें से कई स्कूल और कॉलेज की वर्दी में थे, हाथों में राष्ट्रीय झंडे और तख्तियाँ लेकर संसद की ओर मार्च करने लगे। इन तख्तियों पर भ्रष्टाचार को बंद करो, सोशल मीडिया को नहीं और युवा भ्रष्टाचार के खिलाफ हैं, जैसे नारे लिखे हुए थे। उनका कहना था कि यह प्रतिबंध उनकी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हमला है।
सोमवार को प्रदर्शन हिंसक हो गए, जब युवाओं और पुलिस के बीच झड़पें हुईं, जिसके कारण काठमांडू के कई हिस्सों में कर्फ्यू लगाना पड़ा। गृह मंत्रालय के तहत आने वाले काठमांडू घाटी के तीन जिला प्रशासन कार्यालयों ने मंगलवार की सुबह से घाटी के कई इलाकों में कर्फ्यू लगा दिया है।
काठमांडू जिला प्रशासन कार्यालय ने मंगलवार सुबह 8:30 बजे से अनिश्चितकालीन कर्फ्यू लगाया है। इस दौरान, किसी भी व्यक्ति के आवागमन, सभा, प्रदर्शन या जुलूस पर रोक लगा दी गई है। यह कर्फ्यू रिंग रोड के बाहर के प्रमुख एंट्री पॉइंट्स को भी कवर करता है ताकि प्रदर्शनकारियों को शहर के मुख्य हिस्सों में प्रवेश करने से रोका जा सके।
ललितपुर और भक्तपुर के जिला प्रशासन कार्यालयों ने भी अलग-अलग हिस्सों में कर्फ्यू लगा दिया है, ताकि सार्वजनिक शांति और सुरक्षा बनी रहे।
कर्फ्यू के दौरान, एम्बुलेंस, दमकल गाड़ियों, मीडिया कर्मियों, स्वास्थ्य सेवा से जुड़े वाहनों और विदेशी मिशनों से जुड़े वाहनों जैसी आवश्यक सेवाओं को ही आवाजाही की अनुमति दी गई है।
बता दें सोमवार को हुए विरोध प्रदर्शन में पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच हुई झड़प में कम से कम 19 लोगों की मौत हुई है और 400 से ज्यादा लोग घायल हुए हैं। इसके बाद ही सरकार ने सोशल मीडिया पर लगा प्रतिबंध हटा दिया था। प्रदर्शनकारियों ने सोमवार को हुई मौतों के लिए मंगलवार को शोक सभाएँ आयोजित करने की भी अपील की है।