काठमांडूः नेपाल के प्रधानमंत्री के पी शर्मा ओली ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। अधिकारियों ने इसकी पुष्टि की है। इससे पहले सोमवार को सोशल मीडिया पर प्रतिबंध और भ्रष्टाचार के खिलाफ हुए प्रदर्शन में कम से कम 19 लोगों की मौत हो गई। इससे देशव्यापी प्रदर्शन और भी बढ़ गया था।
के पी शर्मा के इस्तीफे के बाद देश में राजनीतिक हलचल तेज हो गई है क्योंकि पार्टियां सरकार बनाने के लिए संघर्ष कर रही हैं।
के पी शर्मा ओली समेत कई अन्य मंत्रियों ने दिया था इस्तीफा
ओली ने हालांकि पहले यह घोषणा की थी कि वह हिंसा का “सार्थक निष्कर्ष” निकालने के लिए व्यक्तिगत रूप से सर्वदलीय वार्ता का नेतृत्व करेंगे लेकिन उनके पद छोड़ने के फैसले से देश में राजनैतिक अस्थिरता का पता चलता है।
के पी शर्मा ओली से पहले चार अन्य मंत्रियों गृहमंत्री रमेश लेखक, पेयजल मंत्री प्रदीप यादव, स्वास्थ्य मंत्री प्रदीप पौडेल और पशुधन विकास मंत्री रामधन अधिकारी ने इस्तीफा दे दिया था।
पीएम का इस्तीफा देश में हुए राष्ट्रव्यापी प्रदर्शन के बीच हुआ जिसमें स्कूलों और कॉलेजों के छात्रों ने भाग लिया था। इसलिए इस प्रदर्शन को जेन-जी प्रोटेस्ट भी कहा गया। ये युवा देश में 26 सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर बैन के खिलाफ सड़कों पर उतरे थे। सोशल मीडिया पर प्रतिबंध के अलावा भ्रष्टाचार और बेरोजगारी भी इस प्रदर्शन का हिस्सा थे।
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गौरतलब है कि सरकार ने कई सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर प्रतिबंध का ऐलान किया था जिसमें फेसबुक, लिंक्डइन, यूट्यूब, एक्स जैसे बड़े प्लेटफॉर्म भी शामिल थे। हालांकि, सोमवार (8 सितंबर) को प्रदर्शन हिंसक होने और 19 लोगों की मौत के बाद इन प्लेटफॉर्म्स से प्रतिबंध हटा लिया गया था।
जेन-जी प्रदर्शन में 19 लोगों की मौत
सोमवार को हुए प्रदर्शन में कम से कम 17 लोगों की मौत काठमांडू में हुई थी। वहीं, पुलिस ने सुनसारी जिले में भी दो लोगों की मौत की पुष्टि की थी। इस प्रदर्शन में सैकड़ों लोग घायल हो गए थे। घायलों में पुलिसकर्मी भी शामिल थे।
इस मामले में एमनेस्टी इंटरनेशनल ने कहा कि प्रदर्शनकारियों पर गोलियां चलाई गईं जबकि संयुक्त राष्ट्र ने त्वरित और पारदर्शी जांच की मांग की है।
सोशल मीडिया पर प्रतिबंध हटाने और इसके लिए सभी दलों की बैठकों की वार्ता सहित सुलह के प्रयासों के बावजूद लोगों का गुस्सा बढ़ता जा रहा है। प्रदर्शनकारियों ने मंगलवार (9 सितंबर) को सरकारी इमारतों और नेताओं के आवास को निशाना बनाया। इसके अलावा प्रदर्शनकारियों ने सैन्य बलों पर नागरिकों की “हत्या” करने का आरोप लगाया।
हिंदुस्तान टाइम्स ने प्रदर्शनकारी छात्र युजन राजभंडारी के हवाले से लिखा “राज्य द्वारा लगभग 20 लोगों की हत्या कर दी गई, जो पुलिस की बर्बरता को दर्शाता है।”
गौरतलब है कि नेपाल की आबादी में 15-40 आयु वर्ग के बीच करीब 43 फीसदी आबादी है। विश्लेषक बताते हैं कि यह प्रदर्शन देश में बढ़ते भ्रष्टाचार, असमानता और अवसरों की कमी के खिलाफ पीढ़ी दर पीढ़ी आक्रोश को दर्शाते हैं। काठमांडू पोस्ट ने इन प्रदर्शनों के बारे में अपने संपादकीय में लिखा “यह सिर्फ सोशल मीडिया के बारे में नहीं है – यह विश्वास, भ्रष्टाचार और एक पीढ़ी की बात है जो चुप रहने से इंकार करती है।”