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नेपाल में हिंसा के पीछे पूर्व राजा ज्ञानेंद्र शाह? राजनीतिक दलों के आरोप के बाद सुरक्षा में कटौती

काठमांडू: नेपाल में नेपाल में राजशाही की मांग को लेकर भड़की हिंसा को लेकर पूर्व पीएम पुष्प कमल दहल प्रचंड समेत कई नेताओं ने पूर्व राजा ज्ञानेंद्र शाह पर गंभीर आरोप लगाए। प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली की ओर से बुलाई गई सर्वदलीय बैठक में यह तय किया गया कि पूर्व राजा ज्ञानेंद्र शाह मुख्य रूप से शुक्रवार को हुए उन षड्यंत्रकारी गतिविधियों के लिए जिम्मेदार हैं। जिनका मकसद संघीय लोकतांत्रिक गणतंत्र शासन को खत्म करने और संविधान विरोधी गतिविधियों में संलिप्त होना है। सत्तारूढ़ नेपाली कांग्रेस और विपक्षी माओवादी केंद्र ने शुक्रवार की घटनाओं के लिए ज्ञानेंद्र शाह को जिम्मेदार ठहराया है।

ज्ञानेंद्र की सुरक्षा में कटौती की गई

इसी बीच नेपाली गृह मंत्रालय ने पूर्व राजा की सुरक्षा में लगे सुरक्षाकर्मियों को बदलने का भी फैसला किया। साथ ही सरकार ने पूर्व राजा पर निगरानी भी बढ़ा दी है। इससे पहले पूर्व पीएम पुष्प कमल दहल ने भी पूर्व राजा पर हिंसा के आरोप लगाए थे। उन्होंने कहा कि ‘अब ये पूरी तरह से साफ हो गया है कि इस सब के पीछे ज्ञानेंद्र शाह हैं। ज्ञानेंद्र शाह की नीयत सही नहीं है। ये पहले भी देखा गया और अब भी देखा जा रहा है, लेकिन अब समय आ गया है कि सरकार कड़ी कार्रवाई करे। घटना की पूरी जांच हो और दोषियों को न्याय के कटघरे में लाया जाए। ज्ञानेंद्र शाह को अब पूरी आजादी नहीं दी जा सकती। यह पूरी तरह से अस्वीकार्य है और नेपाल सरकार को इस मुद्दे पर गंभीर होने की जरूरत है।’

ज्ञानेंद्र शाह पर साजिश रचने का आरोप 

स्थानीय मीडिया की रिपोर्ट के अनुसार, दलों ने पूर्व राजा पर संविधान को कमजोर करने और संघीय लोकतांत्रिक गणतंत्र प्रणाली को उखाड़ फेंकने की साजिश रचने का आरोप लगाया। गृह मंत्री रमेश लेखक ने कहा कि संविधान की रक्षा, राष्ट्रीय विकास और सार्वजनिक सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए राजनीतिक दलों के बीच एकजुट होने पर आम सहमति है।

बैठक के बाद प्रेस को संबोधित करते हुए लेखक ने कहा, “किसी भी संविधान विरोधी गतिविधि को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। अलग-अलग दलों के बीच विभिन्न मुद्दों पर असहमति के बावजूद, पूर्व पीएम बाबूराम भट्टाराई जो नेपाल समाजवादी पार्टी (एनएसपी) के अध्यक्ष भी हैं, ने सुझाव दिया कि शाह के समर्थन में हाल ही में की गई गणतंत्र विरोधी गतिविधियों का मुकाबला करने के लिए उन्हें एकजुट होना चाहिए।”

सर्वदलीय बैठक से रखा गया बाहर 

भट्टराई ने कहा, “ज्ञानेंद्र शाह लंबे समय से ऐसे व्यवहार कर रहे हैं जैसे कि वे अभी भी राजा हों। राजनीतिक दलों और सरकार ने इसे दयापूर्वक अनदेखा किया है। हालांकि, 28 मार्च की घटना उनकी तरफ से उकसाई गई थी और यह एक आपराधिक कृत्य था। उनकी हरकतें अब सीमा पार कर गई हैं। इसीलिए मैंने सर्वदलीय बैठक में प्रस्ताव रखा है कि उन्हें कानूनी कार्रवाई का सामना करना चाहिए।”

इस बीच, संसद में चौथी और पांचवीं सबसे बड़ी पार्टियों राष्ट्रीय स्वतंत्र पार्टी (आरएसपी) और राष्ट्रीय प्रजातंत्र पार्टी (आरपीपी) को रविवार को सर्वदलीय बैठक से बाहर रखा गया। नेपाल के प्रमुख दैनिक काठमांडू पोस्ट के अनुसार, दोनों पार्टियों को गणतंत्र विरोधी ताकतें माना जाता है।

शुक्रवार को राजधानी काठमांडू के कुछ इलाकों में तनाव बढ़ गया, क्योंकि सुरक्षाकर्मियों और राजशाही समर्थक प्रदर्शनकारियों के बीच हिंसक झड़पों में दो लोगों की मौत हो गई और सैकड़ों लोग घायल हो गए। ये लोग नेपाल में समाप्त हो चुकी राजशाही की बहाली की मांग कर रहे थे।

(आईएएनएस इनपुट के साथ)

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