वॉशिंगटनः अमेरिका के वाणिज्य सचिव और राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के सहयोगी हावर्ड लटनिक ने भारत को एक बार फिर चेतावनी दी है। उन्होंने कहा कि भारत को ‘ठीक करने की जरूरत है’ और अगर वह अमेरिकी उपभोक्ताओं को सामान बेचना चाहता है, तो उसे राष्ट्रपति के साथ तालमेल बैठाना होगा।
अमेरिकी न्यूज चैनल न्यूजनेशन से बात करते हुए लटनिक ने भारत और ब्राजील दोनों के प्रति कड़े शब्दों का इस्तेमाल किया। उन्होंने कहा, “हमारे पास सुधार करने के लिए कई देश हैं, जैसे स्विट्जरलैंड, ब्राजील और भारत। इन देशों को अमेरिका के साथ सही तरीके से व्यवहार करना होगा। अपने बाजार खोलने होंगे और ऐसे कदम उठाना बंद करने होंगे जो अमेरिकी हितों को नुकसान पहुंचाते हैं।”
उन्होंने आगे कहा कि राष्ट्रपति ट्रंप के सौदे करने का तरीका अलग है। पहला सौदा हमेशा सबसे अच्छा होता है, उसके बाद हर अगला सौदा और महंगा पड़ता है।
अमेरिका ने भारत पर अब तक के सबसे ऊंचे शुल्क लगा रखे हैं। कुछ उत्पादों पर 50 प्रतिशत तक टैरिफ लगाया गया है, जबकि हाल ही में पेटेंटेड और ब्रांडेड दवाओं पर 100 प्रतिशत शुल्क लगा दिया गया। यह कदम भारतीय फार्मा कंपनियों के लिए झटका है, क्योंकि उनकी लगभग 40 प्रतिशत कमाई अमेरिकी बाजार से होती है।
भारतीय आयात पर लगे 50 प्रतिशत टैरिफ में 25 प्रतिशत का जुर्माना भी शामिल है, जो रूस से भारत द्वारा लगातार तेल खरीदने के कारण लगाया गया है।
लुटनिक ने कहा, “अगर आप अमेरिकी उपभोक्ताओं को बेचना चाहते हैं, तो आपको राष्ट्रपति के साथ तालमेल बिठाना होगा। भारत और ब्राजील अभी बड़े मुद्दे हैं, लेकिन इन्हें समय के साथ सुलझा लिया जाएगा।” उन्होंने यह भी संकेत दिया कि अमेरिका के एजेंडे में ताइवान सहित कई अन्य देश भी हैं।
इससे पहले लटनिक ने कहा था कि भारत भले ही अभी टैरिफ और व्यापार मसलों पर कड़ा रुख अपना रहा हो, लेकिन जल्द ही उसे अमेरिकी दबाव में झुकना पड़ेगा। उनका कहना है कि भारत, अमेरिका को लंबे समय तक नाराज नहीं रख सकता, खासकर रूस से बढ़ते तेल आयात के मुद्दे पर।
राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के करीबी माने जाने वाले लटनिक ने ब्लूमबर्ग टीवी को दिए इंटरव्यू में कहा था, भारत की स्थिति कनाडा जैसी है, जिसने पहले अमेरिका से टकराव दिखाया था लेकिन अंततः समझौता करना पड़ा। भारत का यह रुख महज दिखावा है, क्योंकि अमेरिकी बाजार के बिना भारतीय व्यापार टिक नहीं सकता।
भारत एक-दो महीने में माफी मांगेगा, बातचीत की कोशिश करेगाः अमेरिकी वाणिज्य सचिव का दावा
लटनिक के अनुसार, शुरुआत में बड़ी ताकत से टकराना आकर्षक लगता है, लेकिन अंततः कारोबारियों को अमेरिका के साथ समझौता ही करना पड़ता है। उन्होंने दावा किया था कि एक दो महीने में भारत बातचीत की टेबल पर लौटेगा और माफी मांगेगा।
उन्होंने यह भी कहा था कि भारत अगर अमेरिका के साथ रिश्ते सुधारना चाहता है तो उसे रूसी तेल की खरीद बंद करनी होगी, ब्रिक्स में अपनी सक्रियता पर रोक लगानी होगी और अमेरिकी डॉलर व बाजार का समर्थन करना होगा। तंज कसते हुए उन्होंने कहा, “भारत रूस और चीन के बीच सिर्फ एक स्वर है। अगर आप वही बनना चाहते हैं, तो बनिए। लेकिन फिर 50 प्रतिशत टैरिफ के लिए तैयार रहिए, देखते हैं यह कब तक चलता है।
गौरतलब है कि अमेरिका के साथ व्यापार को सुलझाने के लिए भारत बातचीत जारी रखे हैं। वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल के नेतृत्व में भारतीय प्रतिनिधिमंडल ने 22 से 24 सितंबर तक वॉशिंगटन का दौरा किया था। इस दौरान अमेरिकी व्यापार प्रतिनिधि जेमीसन ग्रीयर और भारत में नामित राजदूत सर्जियो गोर से मुलाकात हुई।
वाणिज्य मंत्रालय ने कहा कि वार्ता सकारात्मक और रचनात्मक रही। दोनों पक्षों ने संभावित समझौते की रूपरेखा पर विचार-विमर्श किया और जल्दी ही एक पारस्परिक रूप से लाभकारी व्यापार समझौते पर पहुंचने की दिशा में बातचीत जारी रखने पर सहमति जताई।
वहीं, अमेरिकी निवेशकों और कंपनियों के साथ भी भारतीय प्रतिनिधियों ने बातचीत की। मंत्रालय ने कहा कि निवेशकों ने भारत की विकास यात्रा पर भरोसा जताया है और अपने कारोबारी विस्तार की गहरी रुचि दिखाई है।