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2029 से पहले लोकसभा में महिलाओं के लिए 33% आरक्षण लागू करने की तैयारी में सरकार

नई दिल्ली: केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार 2029 में होने वाले अगले लोकसभा चुनाव से पहले इसमें महिलाओं के लिए आरक्षण सुनुश्चित करना चाहती है। यह परिसिमन की प्रक्रिया से भी जुड़ा है। ऐसे में सरकार इस योजना को लेकर तेजी से आगे बढ़ रही है। सूत्रों के हवाले से यह जानकारी सामने आई है।

इंडियन एक्सप्रेस ने उच्च पदस्थ सूत्रों के हवाले से बताया है कि सरकार अगले चुनाव में लोकसभा और राज्य विधान सभाओं में महिलाओं के लिए एक तिहाई सीटें आरक्षित करने वाले ‘नारी शक्ति वंदन अधिनियम’ को लागू कराने का लक्ष्य बना रही है।

2023 में पास हुआ था महिला आरक्षण बिल

सरकार के सूत्रों ने बताया, ‘जनगणना की घोषणा हो चुकी है और अन्य कदम भी उठाए जाएंगे। महिला आरक्षण विधेयक परिसीमन प्रक्रिया से जुड़ा हुआ है। हम अगले चुनाव में इसे लागू करने का लक्ष्य बना रहे हैं।’

सितंबर 2023 में पारित संविधान संशोधन (एक सौ अट्ठाईसवां संशोधन) विधेयक- 2023 के अनुसार नारी शक्ति वंदन अधिनियम लोकसभा और राज्य विधान सभाओं में महिलाओं के लिए एक तिहाई सीटों का आरक्षण जनगणना के आंकड़ों के आधार पर परिसीमन की प्रक्रिया पूरी होने के बाद प्रभावी होगा।

इस महीने की शुरुआत में सरकार ने घोषणा की थी कि जाति गणना के साथ-साथ जनगणना के लिए डेटा संग्रह की प्रक्रिया अगले साल शुरू होगी और 1 मार्च, 2027 तक देश की जनसंख्या का एक आंकड़ा पेश किया जाएगा।

लोकसभा में महिला आरक्षण के लिए परिसिमन का पूरा होना जरूरी

अगले लोकसभा चुनाव में महिला आरक्षण को धरातल पर उतारने के लिए समय से परिसिमन की प्रक्रिया का पूरा होना जरूरी है। इसके बाद ही चुनाव आयोग सीटों को लेकर असल तस्वीर पेश कर सकेगा। परिसिमन से पहले जनगणना का पूरा होना भी अहम होगा। सरकार के सूत्रों के अनुसार इस बार जनगणना के आंकड़े जल्दी आने की संभावना है। नए तकनीक, डेटा के कलेक्शन के लिए डिजिटल मदद जैसे मोबाइल ऐप आदि की वजह से प्रक्रिया जल्द पूरी हो सकती है।

जनगणना के आंकड़े परिसीमन के लिए महत्वपूर्ण हैं। ऐसा इसलिए कि जनसंख्या के आधार पर ही लोकसभा और राज्य विधानसभाओं की सीटों को फिर से निर्धारित किया जा सकता है। 

परिसिमन को लेकर दक्षिणी राज्यों से उठी है विरोध की आवाज

सरकार के सामने परिसिमन की प्रक्रिया को जल्द पूरा कराने का दबाव है। दूसरी ओर इसे लेकर कुछ विरोध की आवाजें भी उठी है। इस वजह से इसे पूरा कराने की चुनौती बढ़ी है। दरअसल, दक्षिणी राज्यों में इस बात को लेकर चिंता है कि परिसीमन के कारण लोकसभा में उत्तरी भारत के राज्यों की सीटों में उछाल आएगा, जहां 1971 के बाद से जनसंख्या में तेजी से वृद्धि हुई है। वहीं, दक्षिणी राज्य, जहां इसी अवधि में जनसंख्या दर धीमी हुई है, वहां सीटों में कम वृद्धि होगी।

हालांकि, केंद्र के वरिष्ठ मंत्रियों ने कहा है कि दक्षिणी राज्यों द्वारा व्यक्त की गई चिंताओं का समाधान किया जाएगा। इस साल फरवरी में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा था कि दक्षिणी राज्यों में आनुपातिक आधार पर एक भी सीट नहीं की जाएगी।

लोकसभा में मौजूदा सीटें 1971 की जनसंख्या के आधार पर

गौरतलब है कि वर्तमान लोकसभा में सीटें 1971 में हुई जनगणना के जनसंख्या आंकड़े के आधार पर हैं। 1976 में सीटों के परिसीमन पर 25 वर्षों के लिए रोक लगा दी गई था। इसके बाद 2001 में भी और 25 वर्षों के लिए इसे रोक दिया गया था। यह समयसीमा 2026 में खत्म हो रही है। यदि 2026 तक संसद द्वारा इस रोक को और आगे नहीं बढ़ाया जाता है तो परिसीमन पर रोक स्वतः ही खत्म हो जाएगा।

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